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सुप्रीम कोर्ट की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में लगेगी 6 दिवसीय विशेष लोक अदालत - 6 day special Lok Adalat

सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस साल अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर दिल्ली में 29 जुलाई से 6 दिवसीय विशेष लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा.

29 जुलाई से विशेष लोक अदालत
29 जुलाई से विशेष लोक अदालत (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 18, 2024, 1:10 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस साल अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 29 जुलाई से तीन अगस्त तक विशेष लोकादलत का आयोजन किया जा रहा है. इसकी घोषणा सुप्रीम कोर्ट द्वारा करीब एक महीने पहले की गई है, जिससे कि अधिक से अधिक लंबित मुकदमों को इस विशेष लोक अदालत के लिए रेफर करके उन्हें निपटाया जा सके. इसी क्रम में दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएसएलएसए) की ओर से अभी तक सुप्रीम कोर्ट को कुल 689 केस रेफर किए गए हैं. इन सभी मुकदमों की 427 पेज की सूची डीएसएलएसए ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड की है. इन सभी मुकदमों का निपटारा 29 जुलाई से 3 अगस्त तक आयोजित होने वाली विशेष लोक अदालत में किया जाएगा.

ये भी पढ़ें: राष्ट्रीय लोक अदालत में एक लाख 71 हजार 305 मामलों का निपटारा, 1737.75 करोड़ राजस्व का कलेक्शन

सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह पहली बार है कि लगातार 6 दिन तक किसी विशेष लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है. इससे पहले हमेशा लोक अदालत एक दिन की ही लगती रही है. इस विशेष लोक अदालत के लिए खुद भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने वीडियो संदेश जारी करके लोगों से लोक अदालत में अपने मामलों का निपटारा कराने की अपील की है. यह मुहिम पिछले एक महीने से चल रही है.

एक महीने में अभी तक 689 मुकदमे दिल्ली के 11 जिलों की ओर से दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण को भेजे गए हैं. फिर डीएसएलएसए की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए हैं. इन मुकदमों में सिविल, क्रिमिनल, मोटर एक्सीडेंट क्लेम, चेक बाउंस, जमीन विवाद, सर्विस मैटर, पेंशन विवाद, फैमिली लॉ मैटर्स, रेंट एक्ट मैटर्स, सहित अन्य कई तरह के मुकदमे शामिल हैं. रेफर किए गए इन मुकदमों में सबसे अधिक मुकदमे सर्विस मैटर के हैं.

बता दें कि भारत के सुप्रीम कोर्ट की स्थापना दिल्ली के तिलक मार्ग पर 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र घोषित होने के साथ ही की गई थी, तब से सुप्रीम कोर्ट देश की सर्वोच्च अदालत के रूप में मुकदमों की सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट भारत में अपील करने की अंतिम अदालत है. इसका निर्णय अंतिम माना जाता है. इसके बाद कहीं भी अपील की कोई गुंजाइश नहीं रहती. सिर्फ सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए मृत्यु दंड की सजा को माफ करने और उम्र कैद में बदलवाने के लिए पीड़ित राष्ट्रपति के पास सिर्फ दया याचिका दायर कर सकता है.

ये भी पढ़ें: दिल्ली के सभी कोर्ट परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन, ऑन द स्‍पॉट चालान के साथ कर रही नोटिस का निपटारा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस साल अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 29 जुलाई से तीन अगस्त तक विशेष लोकादलत का आयोजन किया जा रहा है. इसकी घोषणा सुप्रीम कोर्ट द्वारा करीब एक महीने पहले की गई है, जिससे कि अधिक से अधिक लंबित मुकदमों को इस विशेष लोक अदालत के लिए रेफर करके उन्हें निपटाया जा सके. इसी क्रम में दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएसएलएसए) की ओर से अभी तक सुप्रीम कोर्ट को कुल 689 केस रेफर किए गए हैं. इन सभी मुकदमों की 427 पेज की सूची डीएसएलएसए ने अपनी वेबसाइट पर अपलोड की है. इन सभी मुकदमों का निपटारा 29 जुलाई से 3 अगस्त तक आयोजित होने वाली विशेष लोक अदालत में किया जाएगा.

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सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह पहली बार है कि लगातार 6 दिन तक किसी विशेष लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है. इससे पहले हमेशा लोक अदालत एक दिन की ही लगती रही है. इस विशेष लोक अदालत के लिए खुद भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने वीडियो संदेश जारी करके लोगों से लोक अदालत में अपने मामलों का निपटारा कराने की अपील की है. यह मुहिम पिछले एक महीने से चल रही है.

एक महीने में अभी तक 689 मुकदमे दिल्ली के 11 जिलों की ओर से दिल्ली राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण को भेजे गए हैं. फिर डीएसएलएसए की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए हैं. इन मुकदमों में सिविल, क्रिमिनल, मोटर एक्सीडेंट क्लेम, चेक बाउंस, जमीन विवाद, सर्विस मैटर, पेंशन विवाद, फैमिली लॉ मैटर्स, रेंट एक्ट मैटर्स, सहित अन्य कई तरह के मुकदमे शामिल हैं. रेफर किए गए इन मुकदमों में सबसे अधिक मुकदमे सर्विस मैटर के हैं.

बता दें कि भारत के सुप्रीम कोर्ट की स्थापना दिल्ली के तिलक मार्ग पर 26 जनवरी 1950 को भारत के गणतंत्र घोषित होने के साथ ही की गई थी, तब से सुप्रीम कोर्ट देश की सर्वोच्च अदालत के रूप में मुकदमों की सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट भारत में अपील करने की अंतिम अदालत है. इसका निर्णय अंतिम माना जाता है. इसके बाद कहीं भी अपील की कोई गुंजाइश नहीं रहती. सिर्फ सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए मृत्यु दंड की सजा को माफ करने और उम्र कैद में बदलवाने के लिए पीड़ित राष्ट्रपति के पास सिर्फ दया याचिका दायर कर सकता है.

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