जयपुर. कांग्रेस सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में राजस्थान में 17 नए जिले बनाए, जिसके बाद प्रदेश में जिलों की संख्या पचास हो गई, लेकिन अभी तक राज्य के खेल संघों में नए जिलों का गठन नहीं किया जा सका है. ऐसे में खेल संघों को केंद्रीय खेल मंत्रालय की गाइडलाइन की चिंता सता रही है. नए जिलों के गठन पर आरसीए ने कवायद भी की, लेकिन वह भी विवादों के कारण अटक गई.
दरअसल, केंद्रीय खेल मंत्रालय की गाइडलाइन है कि जिस राज्य में जितने जिले हैं, उनके तकरीबन आधे जिलों में खेल संघ होना अनिवार्य है. उदाहरण के लिए राजस्थान में पहले 33 जिले थे और विभिन्न खेल संघो की संख्या लगभग 18 थी, लेकिन अब राजस्थान में जिलो की संख्या 50 हो गई है, लेकिन खेल संघ अभी भी 18 ही हैं. राजस्थान क्रिकेट संघ ने तो इन नए जिलों में अपनी कार्यकारिणी के गठन की प्रक्रिया भी तकरीबन पूरी कर दी थी, लेकिन कोर्ट और सहकारिता के निर्देशों के बाद से नए जिलों की कवायद पूरी नहीं हो सकी.
इसे भी पढ़े-राजस्थान ओलंपिक संघ के चुनाव, कई खेल संघों को शामिल नहीं करने का मामला गरमाया
रजिस्ट्रार नहीं लगे : मामले को लेकर राजस्थान ओलंपिक संघ के अध्यक्ष अनिल व्यास का कहना है कि खेल मंत्रालय और प्राधिकरण की ओर से खेल संघों की मान्यता और मॉनिटरिंग की जाती है. ऐसे में अब इन खेल संघों को चिंता है कि प्रदेश में जिलों की संख्या बढ़ाई गई है, तो फिर खेल संघों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाने दी जा रही है.
ऐसे में भविष्य में केंद्रीय खेल मंत्रालय की ओर से खेलों को लेकर किसी प्रकार का आयोजन किया जाता है, तो फिर राजस्थान की भागीदारी पर संकट भी खड़ा हो सकता है. दरअसल, सहकारिता के पास जिला संघों का रजिस्ट्रेशन का काम होता है और नए जिलों में फिलहाल रजिस्ट्रार ने काम करना शुरू नहीं किया है. ऐसे में नए जिला संघों का गठन नहीं हो पा रहा है.