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जामिया के 3 अधिकारियों पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाने का आरोप, दलित कर्मचारी की शिकायत पर पुलिस ने दर्ज की FIR - FIR against Jamia professors

FIR against Jamia professors: देश की जाने-माने यूनिवर्सिटी में से एक जामिया मिलिया इस्लामिया के उच्च अधिकारियों पर यूनिवर्सिटी में ही कार्यरत एक दलित कर्मचारी ने धर्म परिवर्तन का दबाव डालने और जाति-सूचक गाली देने का आरोप लगाया है. पीड़ित की शिकायत पर जामिया नगर थाने में पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है.

Jamia के आला अधिकारियों पर गंभीर आरोप
Jamia के आला अधिकारियों पर गंभीर आरोप (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 18, 2024, 12:11 PM IST

Updated : Jul 18, 2024, 10:59 PM IST

नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया के प्राकृतिक विज्ञान विभाग में सहायक के रूप में कार्यरत एक दलित कर्मचारी ने विश्वविद्यालय के कई उच्च पदस्थ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. शिकायतकर्ता राम निवास सिंह ने रजिस्ट्रार प्रोफेसर नाज़िम हुसैन अल-जाफ़री, डिप्टी रजिस्ट्रार एम. नसीम हैदर और प्रोफेसर शाहिद तसलीम पर धर्म परिवर्तन के लिए अनुचित दबाव डालने, जाति-आधारित गालियां देने और अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगाया है. पीड़ित ने 15 जुलाई को दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जामिया नगर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई है.

एफआईआर के अनुसार, राम निवास सिंह ने विश्वविद्यालय में हुए अपने अनुभवों का विवरण दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें लगातार जाति-आधारित भेदभाव और मौखिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है. दुर्व्यवहार के समाधान के रूप में उन पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव डाला गया. रजिस्ट्रार प्रोफेसर नाज़िम हुसैन अल-जाफ़री ने वादा किया था कि धर्म परिवर्तन करने से उनको विश्वविद्यालय में होने वाली दुर्व्यवहार और समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा.

जामिया ने बयान जारी कर आरोपों को बताया निराधार

"एफआईआर पूरी तरह से निराधार और झूठी है. राम निवास एक आदतन वादी हैं, जिन्होंने विश्वविद्यालय की अल्पसंख्यक स्थिति की चुनौती सहित कई मामले दायर किए हैं, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं और विश्वविद्यालय के सुचारू कामकाज में बाधा डालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. यह विश्वविद्यालय और वर्तमान प्रशासन को अस्थिर करने का एक प्रयास है. विश्वविद्यालय उचित कानूनी सहारा लेगा क्योंकि एससी/एसटी अधिनियम की आवश्यक आवश्यकताएं एफआईआर में दर्ज नहीं की गई हैं, और इस प्रकार, अपने कर्मचारियों को इस तरह की बांह मरोड़ने वाली रणनीति से बचाएगा."- जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय

यह भी पढ़ें- दिल्ली हाईकोर्ट के जज ने 2019 जामिया हिंसा से संबंधित याचिकाओं की सुनवाई से खुद को किया अलग

जानकारी के अनुसार, राम निवास सिंह अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. उन्होंने 30 मार्च 2007 को विश्वविद्यालय में अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में ज्वाइन किया था. वर्तमान में, वह विश्वविद्यालय में प्राकृतिक विज्ञान संकाय में सहायक के रूप में कार्यरत हैं. पुलिस का कहना है कि मामले में शिकायत के आधार पर FIR दर्ज कर ली गई है. मामले की जांच की जा रही है. आरोप साबित होने पर उचित कार्रवाई की जाएगी.

यह भी पढ़ें- चार पीएचडी स्कॉलरों से 'यौन उत्पीड़न' के आरोप में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रोफेसर सस्पेंड, जानें पूरा मामला

नई दिल्ली: जामिया मिलिया इस्लामिया के प्राकृतिक विज्ञान विभाग में सहायक के रूप में कार्यरत एक दलित कर्मचारी ने विश्वविद्यालय के कई उच्च पदस्थ अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. शिकायतकर्ता राम निवास सिंह ने रजिस्ट्रार प्रोफेसर नाज़िम हुसैन अल-जाफ़री, डिप्टी रजिस्ट्रार एम. नसीम हैदर और प्रोफेसर शाहिद तसलीम पर धर्म परिवर्तन के लिए अनुचित दबाव डालने, जाति-आधारित गालियां देने और अमानवीय व्यवहार करने का आरोप लगाया है. पीड़ित ने 15 जुलाई को दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जामिया नगर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई है.

एफआईआर के अनुसार, राम निवास सिंह ने विश्वविद्यालय में हुए अपने अनुभवों का विवरण दिया है. उन्होंने कहा कि उन्हें लगातार जाति-आधारित भेदभाव और मौखिक दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है. दुर्व्यवहार के समाधान के रूप में उन पर इस्लाम धर्म अपनाने का दबाव डाला गया. रजिस्ट्रार प्रोफेसर नाज़िम हुसैन अल-जाफ़री ने वादा किया था कि धर्म परिवर्तन करने से उनको विश्वविद्यालय में होने वाली दुर्व्यवहार और समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा.

जामिया ने बयान जारी कर आरोपों को बताया निराधार

"एफआईआर पूरी तरह से निराधार और झूठी है. राम निवास एक आदतन वादी हैं, जिन्होंने विश्वविद्यालय की अल्पसंख्यक स्थिति की चुनौती सहित कई मामले दायर किए हैं, लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं और विश्वविद्यालय के सुचारू कामकाज में बाधा डालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. यह विश्वविद्यालय और वर्तमान प्रशासन को अस्थिर करने का एक प्रयास है. विश्वविद्यालय उचित कानूनी सहारा लेगा क्योंकि एससी/एसटी अधिनियम की आवश्यक आवश्यकताएं एफआईआर में दर्ज नहीं की गई हैं, और इस प्रकार, अपने कर्मचारियों को इस तरह की बांह मरोड़ने वाली रणनीति से बचाएगा."- जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय

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जानकारी के अनुसार, राम निवास सिंह अनुसूचित जाति वर्ग से आते हैं. उन्होंने 30 मार्च 2007 को विश्वविद्यालय में अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में ज्वाइन किया था. वर्तमान में, वह विश्वविद्यालय में प्राकृतिक विज्ञान संकाय में सहायक के रूप में कार्यरत हैं. पुलिस का कहना है कि मामले में शिकायत के आधार पर FIR दर्ज कर ली गई है. मामले की जांच की जा रही है. आरोप साबित होने पर उचित कार्रवाई की जाएगी.

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Last Updated : Jul 18, 2024, 10:59 PM IST
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