पानीपत: 28 अगस्त से पेरिस में पैरालंपिक का आगाज हो चुका है. ये गेम्स 8 सितंबर तक चलेंगे. इन खेलों में भारत की ओर से 84 एथलीट हिस्सा ले रहे हैं. जिनमें से हरियाणा के 22 खिलाड़ी शामिल हैं. जिनमें 6 महिलाएं और 16 पुरुष खिलाड़ी हैं. भारतीय दल का नेतृत्व सोनीपत के रहने वाले जेवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल करेंगे. सुमित टोक्यो पैरा ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीत चुके हैं.
पैरा ओलंपिक में 7 सितंबर को दमखम दिखाएंगे नवदीप: सुमित के अलावा इसराना के नवदीप पर देशवासियों की नजरें टिकी हैं. नवदीप पैरा ओलंपिक में जैवलिन थ्रो के लिए 7 सितंबर को अपना दमखम दिखाएंगे. इससे पहले टोक्यो में हुए पैरा ओलंपिक में भी नवदीप हिस्सा ले चुके हैं. टोक्यो ओलंपिक में उनके हाथ सफलता नहीं लगी थी. इस बार नवदीप पूरी तैयारी से ओलंपिक में पहुंचे हैं.
पानीपत के रहने वाले हैं नवदीप: पानीपत के जैवलिन थ्रोअर नवदीप इसराना के र हने वाले हैं. उनकी उम्र 23 साल और कद चार फीट है. नवदीप अब पेरिस पैरालंपिक में भाला फेंकेंगे. सात सितंबर को इनका मुकाबला है. नवदीप पहले कुश्ती खेलते थे. उनके शानदार खेल के चलते राष्ट्रपति ने उन्हें सम्मानित भी किया, लेकिन कमर दर्द होने पर नवदीप को कुश्ती को छोड़ना पड़ा. वो खुद को खेल से अलग नहीं कर पाए. इसलिए उन्होंने भाला उठा लिया.
नवदीप के पिता ने बताई संघर्ष की कहानी: नवदीप के पिता दलबीर ने बताया कि बेटे की इच्छा को पूरा करने के लिए उन्होंने लोन लिया. इसके बाद मेरठ से 60 हजार और इंदौर से 85 हजार रुपये की जैवलिन खरीदकर बेटे को दी. लोन की बात उन्होंने नवदीप को नहीं बताई. किसान दलबीर का कहना है कि नवदीप की तैयारी अच्छी चल रही है. पेरिस में वो देश के लिए पदक जरूर जीतेगा.
ज्यादा नहीं बढ़ी नवदीप की हाईट: 11 नवंबर 2001 को जन्मे नवदीप के बारे में डॉक्टरों ने पहले ही बता दिया था कि शारीरिक रूप से इनका कद ज्यादा नहीं बढ़ पाएगा. रोहतक पीजीआई के डॉक्टरों ने कहा था कि एम्स दिल्ली में कुछ इलाज हो सकता है. तब पिता दलबीर छह साल तक नवदीप को एम्स ले जाते रहे. इसका असर भी हुआ. कुछ कद बढ़ने लगा. डॉक्टरों ने कहा था कि अगर स्वस्थ रहना है, तो शारीरिक अभ्यास कराना होगा.
पहले कुश्ती खिलाड़ी थे नवदीप: दलबीर अपने बेटे नवदीप को अपने साथ खेत में ले जाने लगे और कसरत करवाने लगे. दलबीर खुद कुश्ती के खिलाड़ी रह चुके हैं. इसलिए उन्होंने नवदीप को अखाड़े में भेज दिया. नवदीप इतने फुर्तीले थे कि सामने वाले पहलवान को धोबी पछाड़ से हरा देते. उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने उन्हें सम्मानित किया था. कमर में चोट लगने के कारण उन्हें कुश्ती को छोड़ना पड़ा.
नवदीप की उपलब्धियां: नवदीप के पिता दलबीर ने बताया कि कुश्ती छोड़ने के बाद बेटे ने जैवलिन थ्रो खेल को अपना लिया. अपने पहले ही मुकाबले में नवदीप ने पंचकूला में स्वर्ण पदक जीत लिया. इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा. बीए फाइनल कर चुके नवदीप अब दिल्ली में हैं. वहीं पर प्रैक्टिस कर रहे हैं. वर्ल्ड चैंपियनशिप बेंगलुरु में ट्रायल में नवदीप ने अपना बेहतर थ्रो करते हुए 44.29 मीटर का थ्रो कर नेशनल रिकॉर्ड बनाया था. इससे पहले नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नवदीप ने 42.24 मीटर थ्रो किया था और 10 प्रतिभागियों को पछाड़ते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया था.