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बच्ची के साथ दुष्कर्म मामले में दोषी को 20 वर्ष का कारावास, कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया

बाराबंकी में कोर्ट ने दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में आरोपी को दोषी करार दिया. साथ ही उसे 20 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 30, 2024, 7:54 PM IST

बाराबंकी : करीब साढ़े 5 वर्ष पूर्व बच्ची के साथ घर में घुसकर दुष्कर्म और किसी से शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी के मामले में अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने दोषी को 20 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो ऐक्ट) राजीव महेश्वरम ने मंगलवार को सुनाया है.

विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो कोर्ट मनीषा झा ने बताया कि नगर कोतवाली में वादिनी ने तहरीर देकर बताया था कि 19 जून 2018 को वह मजदूरी करने घर से बाहर गई थी. उसके पति भी काम से बाहर गए थे. घर पर केवल उसकी सात साल की बेटी और 3 वर्षीय बेटा था. वादिनी के पति 11 बजे जब घर लौटे तो उन्होंने देखा कि आरोपी शकील उसकी बच्ची के साथ दुष्कर्म कर रहा था. उसके पति को देखकर आरोपी शकील शिकायत किसी से करने पर जान से मारने की धमकी देकर वहां से भाग निकला.

वादिनी की तहरीर पर आरोपी शकील अहमद के विरुद्ध नगर कोतवाली में पॉक्सो एक्ट तथा एससीएसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही शुरू की गई. तत्कालीन विवेचक ने मामले में साक्ष्य संकलित कर कोर्ट में चार्जशीट फाइल की. कोर्ट ने 02 अप्रैल 2019 को आरोपी के विरुद्ध चार्ज फ्रेम कर ट्रायल शुरू किया. मामले में अभियोजन की ओर से ठोस गवाह पेश किए गए. अभियोजन और बचाव पक्षों की ओर से पेश किए गए साक्षियों की गवाही और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट राजीव महेश्वरम ने आरोपी शकील अहमद को दोषसिद्ध करार दिया. कोर्ट ने दोषी को मंगलवार को 20 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुना दी.

बाराबंकी : करीब साढ़े 5 वर्ष पूर्व बच्ची के साथ घर में घुसकर दुष्कर्म और किसी से शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी के मामले में अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने दोषी को 20 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो ऐक्ट) राजीव महेश्वरम ने मंगलवार को सुनाया है.

विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो कोर्ट मनीषा झा ने बताया कि नगर कोतवाली में वादिनी ने तहरीर देकर बताया था कि 19 जून 2018 को वह मजदूरी करने घर से बाहर गई थी. उसके पति भी काम से बाहर गए थे. घर पर केवल उसकी सात साल की बेटी और 3 वर्षीय बेटा था. वादिनी के पति 11 बजे जब घर लौटे तो उन्होंने देखा कि आरोपी शकील उसकी बच्ची के साथ दुष्कर्म कर रहा था. उसके पति को देखकर आरोपी शकील शिकायत किसी से करने पर जान से मारने की धमकी देकर वहां से भाग निकला.

वादिनी की तहरीर पर आरोपी शकील अहमद के विरुद्ध नगर कोतवाली में पॉक्सो एक्ट तथा एससीएसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही शुरू की गई. तत्कालीन विवेचक ने मामले में साक्ष्य संकलित कर कोर्ट में चार्जशीट फाइल की. कोर्ट ने 02 अप्रैल 2019 को आरोपी के विरुद्ध चार्ज फ्रेम कर ट्रायल शुरू किया. मामले में अभियोजन की ओर से ठोस गवाह पेश किए गए. अभियोजन और बचाव पक्षों की ओर से पेश किए गए साक्षियों की गवाही और दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट राजीव महेश्वरम ने आरोपी शकील अहमद को दोषसिद्ध करार दिया. कोर्ट ने दोषी को मंगलवार को 20 वर्ष के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुना दी.

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