ETV Bharat / state

दशहरा उत्सव में दो भाइयों का भव्य मिलन, सैकड़ों श्रद्धालु बने गवाह

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में देवता लोमश ऋषि पेखड़ी और देवता लोमश ऋषि लगीशरी ने भाई मिलन की परंपरा निभाई.

Kullu International Dussehra Festival 2024
ढालपुर में दो देवता भाइयों का भव्य मिलन (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 18, 2024, 11:06 AM IST

Updated : Oct 18, 2024, 11:15 AM IST

कुल्लू: ढालपुर मैदान में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में जहां देवी-देवताओं के शिविरों में भजन-कीर्तन का दौर चला हुआ है. वहीं, देवी-देवता भी अपने-अपने शिविर में दूसरे देवी-देवताओं से मिलकर अपनी रिश्तेदारी की परंपरा को निभा रहे हैं. कुल्लू दशहरा उत्सव में कई ऐसे देवी-देवता विराजमान हुए हैं, जो रिश्ते में भाई-बहन या अन्य रिश्ते से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में देवताओं का भव्य मिलन (ETV Bharat)

कुल्लू दशहरे में मिले दो भाई

ऐसे में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में देवी-देवता अपने हरियानों के साथ मिलकर अन्य देवी-देवताओं के साथ भी मिलन कर रहे हैं और पुरानी परंपरा का भी पालन किया जा रहा है. इसी कड़ी में जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में लोमश ऋषि पेखड़ी और लोमश ऋषि लगीशरी ने भी भाई मिलन की परंपरा को निभाया. ये दोनों देवता रिश्ते में भाई हैं और दोनों देवता बंजार घाटी से संबंध रखते हैं. इसके अलावा भी कई देवी-देवता भी एक-दूसरे से मिलकर प्राचीन परंपराओं का निर्वाह कर रहे हैं और देवी-देवताओं के मिलने के अवसर पर हरियानों द्वारा कुल्लुवी नाटी डाली जा रही है. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के अवसर पर सभी देवी-देवता एक जगह पर इकट्ठे होते हैं, इसलिए भी हरियानों को भी दशहरा उत्सव में सभी देवी-देवताओं के दर्शन हो रहे हैं.

Kullu International Dussehra Festival 2024
देवता लोमश ऋषि पेखड़ी और देवता लोमश ऋषि लगीशरी का मिलन (ETV Bharat)

देवता के पुजारी इंद्रदेव और केहर सिंह, कारदार लाल सिंह, गुरु जीवानंद ने बताया, "दशहरा उत्सव में जहां लोग आपस में मिलते हैं. वहीं, देवी-देवताओं के लिए भी ये वो पल होता है, जहां वे अपने-अपने रिश्तेदार देवी-देवताओं से मिलते हैं. हर साल इस परंपरा को निभाया जाता है और भाइयों के मिलन को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. लोमश ऋषि के प्रति पूरे जिले में लोगों की काफी आस्था है और देवता कभी अपने भक्तों को निराश भी नहीं करते हैं."

ये भी पढ़ें: देवता कार्तिक स्वामी ने दी आगामी समय में आपदा की चेतावनी, शिव परिवार में हुआ मंथन!

ये भी पढ़ें: इस दिन होगा सराज घाटी के बड़ा देव मतलोड़ा का होम, भगवान विष्णु के हैं स्वरूप!

ये भी पढ़ें: ये देवता ब्राह्मणों से नहीं लेते दान, दशहरा उत्सव में भक्तों को दे रहे दर्शन

ये भी पढ़ें: दशहरा उत्सव में देवी-देवताओं के भव्य मिलन के साक्षी बने लोग, ढोल-नगाड़ों की थाप पर झूमे हरियान

ये भी पढ़ें: उज्जैन के महाकालेश्वर की तर्ज पर होती है शमशरी महादेव की आरती, शमशान की भस्म से होता है श्रृंगार

कुल्लू: ढालपुर मैदान में अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में जहां देवी-देवताओं के शिविरों में भजन-कीर्तन का दौर चला हुआ है. वहीं, देवी-देवता भी अपने-अपने शिविर में दूसरे देवी-देवताओं से मिलकर अपनी रिश्तेदारी की परंपरा को निभा रहे हैं. कुल्लू दशहरा उत्सव में कई ऐसे देवी-देवता विराजमान हुए हैं, जो रिश्ते में भाई-बहन या अन्य रिश्ते से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.

अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में देवताओं का भव्य मिलन (ETV Bharat)

कुल्लू दशहरे में मिले दो भाई

ऐसे में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में देवी-देवता अपने हरियानों के साथ मिलकर अन्य देवी-देवताओं के साथ भी मिलन कर रहे हैं और पुरानी परंपरा का भी पालन किया जा रहा है. इसी कड़ी में जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में लोमश ऋषि पेखड़ी और लोमश ऋषि लगीशरी ने भी भाई मिलन की परंपरा को निभाया. ये दोनों देवता रिश्ते में भाई हैं और दोनों देवता बंजार घाटी से संबंध रखते हैं. इसके अलावा भी कई देवी-देवता भी एक-दूसरे से मिलकर प्राचीन परंपराओं का निर्वाह कर रहे हैं और देवी-देवताओं के मिलने के अवसर पर हरियानों द्वारा कुल्लुवी नाटी डाली जा रही है. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव के अवसर पर सभी देवी-देवता एक जगह पर इकट्ठे होते हैं, इसलिए भी हरियानों को भी दशहरा उत्सव में सभी देवी-देवताओं के दर्शन हो रहे हैं.

Kullu International Dussehra Festival 2024
देवता लोमश ऋषि पेखड़ी और देवता लोमश ऋषि लगीशरी का मिलन (ETV Bharat)

देवता के पुजारी इंद्रदेव और केहर सिंह, कारदार लाल सिंह, गुरु जीवानंद ने बताया, "दशहरा उत्सव में जहां लोग आपस में मिलते हैं. वहीं, देवी-देवताओं के लिए भी ये वो पल होता है, जहां वे अपने-अपने रिश्तेदार देवी-देवताओं से मिलते हैं. हर साल इस परंपरा को निभाया जाता है और भाइयों के मिलन को देखने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है. लोमश ऋषि के प्रति पूरे जिले में लोगों की काफी आस्था है और देवता कभी अपने भक्तों को निराश भी नहीं करते हैं."

ये भी पढ़ें: देवता कार्तिक स्वामी ने दी आगामी समय में आपदा की चेतावनी, शिव परिवार में हुआ मंथन!

ये भी पढ़ें: इस दिन होगा सराज घाटी के बड़ा देव मतलोड़ा का होम, भगवान विष्णु के हैं स्वरूप!

ये भी पढ़ें: ये देवता ब्राह्मणों से नहीं लेते दान, दशहरा उत्सव में भक्तों को दे रहे दर्शन

ये भी पढ़ें: दशहरा उत्सव में देवी-देवताओं के भव्य मिलन के साक्षी बने लोग, ढोल-नगाड़ों की थाप पर झूमे हरियान

ये भी पढ़ें: उज्जैन के महाकालेश्वर की तर्ज पर होती है शमशरी महादेव की आरती, शमशान की भस्म से होता है श्रृंगार

Last Updated : Oct 18, 2024, 11:15 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.