झालावाड़. जिले के झालरापाटन में रविवार को भगवान श्रीमन नारायण की 170वीं रथ यात्रा धूमधाम के साथ निकाली गई. इस दौरान रथ यात्रा को देखने के लिए कस्बे के आसपास क्षेत्र से श्रद्धालु उमड़ पड़े. रथ यात्रा के साथ ही आज से तीन दिवसीय धार्मिक महोत्सव का आयोजन भी शुरू हो गया.
श्रीमन नारायण मंदिर के मुख्य पुजारी राजेंद्र शर्मा ने बताया कि वर्ष 1863 में दक्षिण भारत के कांची मठ के स्वामी वेंकटाचार्य जी धर्म स्थापना के लक्ष्य से झालारापाटन पधारे थे. शहर वासियों के अनुरोध पर उन्होंने यहां पर भगवान श्रीमन नारायण की प्रतिमा स्थापित की थी, तभी से ही जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर झालरापाटन में भी रथ यात्रा निकालने की परम्परा जारी है.
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धार्मिक नगरी झालरापाटन में आयोजित रथ यात्रा महोत्सव का शुभारंभ श्रीमन नारायण मंदिर प्रांगण से हुआ, जहां भगवान नारायण को हिंडोले में बिठाकर झूला झुलाया गया. वहीं, बाद में बैंड बाजे के साथ भगवान श्रीमन नारायण को वन विहार ले जाने के लिए काष्ठ निर्मित ऐतिहासिक रथ में विराजमान किया गया. इस दौरान झालरापाटन शहर श्रीमन नारायण के जयकारों से गूंज उठा.
भगवान श्रीमन नारायण के रथ को श्रद्धालुओं ने अपने हाथों से खींचा और शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए पवित्र सलिला चंद्रभागा नदी तट ले जाया गया. इस दौरान भगवान श्रीमन नारायण के रथ को खींचने के लिए श्रद्धालु लालायित नजर आए. इस दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीमन नारायण का आशीर्वाद लिया. छड़ी चौबेदारों और बैंड बाजा के साथ निकली रथ यात्रा देर शाम को चंद्रभागा नदी के तट पर पहुंची. आगामी तीन दिनों तक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन यहीं पर होगा. मंगलवार शाम को महाआरती के साथ भगवान श्रीमन नारायण की अपने मंदिर में वापसी होगी.