शिमला: लोकसभा चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने के बाद मोदी सरकार ने तीसरी बार अपना कार्यभार संभाल लिया हैं. केंद्र में नई सरकार बनने के बाद 16वें वित्त आयोग की टीम रविवार को शिमला पहुंची. इससे गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार को आस बंधी है. वहीं, 16वें वित्त आयोग की बैठक सोमवार को आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया की अध्यक्षता में राज्य अतिथि गृह पीटरहॉफ में होगी.
आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू, उनकी पूरी कैबिनेट और मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना समेत सभी प्रशासनिक सचिव भाग लेंगे. बैठक में राज्य सरकार 16वें वित्त आयोग के समक्ष हिमाचल की आर्थिक स्थिति, राज्य की मांगों और अन्य संबंधित मसलों पर प्रेजेंटेशन देगी. इसके लिए काफी समय से वित्त विभाग व मुख्य सचिव कार्यालय में कसरत चल रही थी.
बता दें कि हिमाचल के सामने सबसे बड़ी चुनौती रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट को लेकर है जो लगातार घट रही है. ऐसे में प्रदेश सरकार का प्रयास वित्त आयोग के समक्ष राज्य के हितों की पैरवी करने का रहेगा ताकि नया वित्त आयोग केंद्र के समक्ष ग्रांट को बढ़ाने की सिफारिश करने पर मजबूर हो जाए. इसके लिए सरकार ने तथ्यों सहित रिपोर्ट तैयार की है.
एक अप्रैल से लागू होंगी सिफारिशें:
16वें वित्त आयोग की सिफारिशें एक अप्रैल 2026 के बाद लागू होनी हैं. इस वित्त आयोग को 31 अक्टूबर 2025 तक की अवधि के लिए केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें देनी हैं जो राज्यों में पहली अप्रैल 2026 से लागू होंगी. वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही प्रदेश सरकार को अगले पांच सालों के लिए पैसा मिलेगा जिससे राज्य सरकार को विकास की गाड़ी को पटरी पर लाने में मदद मिलेगी.
नए वित्त आयोग की टीम सबसे पहले हिमाचल के ही दौरे पर पहुंची है. ऐसे में हिमाचल की भी टीम से काफी उम्मीदें हैं. इस दौरान देखा जाएगा कि राज्य को कितना राजस्व घाटा अनुदान मिलने वाला है. इसके अलावा पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों के लिए केंद्र से कितनी आर्थिक मदद दी जानी है.
इसके लिए हिमाचल की परिस्थितियों को समझा जाएगा. बता दें कि हिमाचल प्रदेश को 15वें वित्त आयोग ने 37,199 करोड़ रुपये की रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट दी थी. उस समय राज्य में जयराम ठाकुर के नेतृत्व में नई-नई सरकार बनी थी और आयोग ने हिमाचल का दौरा किया था. तब 15वें वित्त आयोग ने पांच साल की अवधि के लिए हिमाचल को कुल 81,977 करोड़ रुपये रेकमंड किए थे. इस रकम में से 37,199 करोड़ रेवेन्यू डेफिसिट ग्रांट, 3049 करोड़ रुपये स्थानीय निकायों के लिए और 2258 करोड़ रुपये आपदा राहत के लिए दिए थे.
आयोग की सिफारिश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 2222 करोड़ रुपये भी दिए गए थे. मंडी में प्रस्तावित ग्रीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए 1000 करोड़ रुपये की सिफारिश भी की गई थी लेकिन केंद्र सरकार से ये सिफारिश लागू नहीं हुई थी. ऐसे में सुक्खू सरकार को भी नए वित्त आयोग से काफी उम्मीदें हैं.
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