जयपुर : 16वें वित्त आयोग के दो दिवसीय राजस्थान दौरे के दौरान प्रदेश को भजनलाल सरकार ने भौगोलिक और क्षेत्रफल के आधार पर अपनी आवश्यकताएं और डिमांड बताई. राज्य सरकार ने वित्त आयोग से केंद्रीय करों में राजस्थान की हिस्सेदारी को 41 से बढ़ाकर 50 फीसदी करने का भी आग्रह किया. सरकार ने कहा कि क्षेत्रफल और भौगोलिक लिहाज से राजस्थान की अन्य राज्यों की तुलना में अलग तरह की जरूरतें हैं, जिन पर आयोग को सहानुभूति पूर्वक विचार करना चाहिए.
आयोग का ये प्रतिनिधिमंडल पहुंचा : वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने कहा कि हमारी राज्य सरकार के साथ बैठक हुई. राजस्थान के यूनिक फीचर बताए. प्रदेश का क्षेत्रफल देश का 10.4 फीसदी है, 2/3 इसमें वेस्टलैंड है. पानी की कमी है. 1071 किमी लंबी अंतर्राष्ट्रीय सीमा है. ये सब बातें राज्य सरकार के प्रेजेंटेशन में थीं. प्रदेश छितराई हुई आबादी है. ग्रामीण जनसंख्या 75 प्रतिशत है, एससी-एसटी कुल जनसंख्या का 31 फीसदी है. बजट में राजकोषीय घाटा बताया. आगे आने वाले समय में भविष्य के घाटे और कर्ज की स्थिति को बताया. वर्टिकल रेवोल्यूशन पर आयोग अपनी सिफारिश देता है, फिर राज्यों में कैसे बांटा जाए, उस पर भी राय देते हैं.
राज्यों को केंद्र से टैक्स में हिस्सेदारी बढ़ानी चाहिए : उन्होंने बताया कि पिछली बार राज्यों का हिस्सा 41 फीसदी था. राजस्थान ने इस बार बढ़ाकर 50 फीसदी करने की मांग की है. राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि अभी राज्यों को केंद्र से टैक्स में 41 प्रतिशत हिस्सेदारी ही मिलती है, जिसे आने वाले समय में 50-50 प्रतिशत किया जाना चाहिए. इसके साथ ही राजस्थान सरकार की ओर से बैठक में आयोग के सामने प्रेजेंटेशन देते हुए कहा गया कि राजस्थान देश में क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन राज्य का दो तिहाई हिस्सा रेगिस्तान है. देश की वेस्ट लैंड का 21 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान में है. यहां करीब 1071 किलोमीटर अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर हैं.
उन्होंने बताया कि प्रदेश में जनसंख्या घनत्व कम होने से लोगों तक मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाने में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर ज्यादा खर्चा होता है. राजस्थान की 75 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है. प्रदेश में पानी एक बड़ी समस्या है. ऐसे में राजस्थान की इन विशेष परिस्थितियों को देखते हुए सरकार ने वित्त आयोग से मांग की है कि राज्यों में करों की हिस्सेदारी में भी राजस्थान के मानकों में बदलाव किया जाए. सरकार की डिमांड के बाद आयोग ने कहा कि राज्यों में विजिट करके वहां की सरकार से वार्ता करने के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति का आकलन कर रहा है. सभी राज्यों व केन्द्र सरकार से वार्ता के बाद आयोग अपनी सिफारिशें देगा. इसी आधार पर देश में आने वाले समय में केन्द्र और राज्यों के बीच करों का वितरण तय होगा.
गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री कार्यालय में 16वें वित्त आयोग के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शिष्टाचार भेंट की. प्रतिनिधिमंडल में वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया और सदस्य अजय नारायण झा, एनी जॉर्ज मैथ्यू, डॉ. मनोज पाण्डा, डॉ. सौम्य कांति घोष सहित सचिव रित्विक पांडेय उपस्थित रहे. इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी और मुख्य सचिव सुधांश पंत सहित फाइनेंस से जुड़े अधिकारी भी मौजूद रहे.