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ताज ने ओढ़ी 1560 फीट की सतरंगी चादर, फिजाओं में घुली सांप्रदायिक सद्भाव की महक

ताजमहल में मुगल बादशाह शाहजहां के उर्स के तीसरे दिन 1560 फीट लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई गई. इस दौरान अकीदतमंदों ने अमन चैन की दुआ मांगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 8, 2024, 7:10 PM IST

ताजमहल में मुगल बादशाह शाहजहां के उर्स के तीसरे दिन 1560 फीट लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई गई.

आगरा : देश और दुनियां में मोहब्बत की निशानी के तौर पर मशहूर ताजमहल ने गुरुवार को सतरंगी चादर लपेट ली. मौका था मुगल शहंशाह शाहजहां के 369 वें उर्स के आखिरी दिन का. सर्वधर्म सद्भाव की मिसाल पेश करते हुए 1560 मीटर लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर दक्षिण गेट से ताजमहल के अंदर लाई गई. ढोल-ताशे के साथ अकीदतमंद चादर और पंखे लेकर साथ चले. इस दौरान पर्यटक भी इस नजारे को कैमरे में कैद करते रहे. चादरपोशी के दौरान देश और दुनियां में अमन चैन की दुआ की गई.

शाहजहां के 369 वां उर्स की शुरुआत मंगलवार को गुस्ल की रस्म के साथ हुई थी. इस मौके पर ताजमहल के तहखाने में स्थित शाहजहां और मुमताज की असली कब्रें सैलानियों के लिए खोली गईं. उर्स के दूसरे दिन बुधवार को शाहजहां और मुमताज की कब्र पर संदल चढ़ाया गया. गुरुवार सुबह ताज में कुलशरीफ के बाद कुरानख्वानी और फिर फातिहा पढ़ाया गया. गुलपोशी के बाद चादरपोशी और पंखे चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ.

मुगल बादशाह की कब्र पर चढ़ाई गई हिंदुस्तानी सतरंगी चादर

उर्स में तीसरे दिन आकर्षण का मुख्य केंद्र खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की हिंदुस्तानी सतरंगी चादर रही. जिसकी लंबाई 1560 मीटर रही. हिंदुस्तानी सतरंगी चादर दक्षिण गेट स्थित हनुमान मंदिर से दोपहर करीब 2.45 बजे ताजमहल लाई गई. दक्षिण गेट से फोर्टकोर्ट, राॅयल गेट, सेंट्रल टैंक से होकर ताजमहल के मुख्य गुंबद में पहुंची. हिंदुस्तानी सतरंगी चादर का एक सिरा दक्षिणी गेट पर था तो दूसरा दूसरा सिरा ताजमहल में मुख्य मकबरे के तहखाना तक पहुंच गया. जिससे ऐसा लग रहा था कि ताज ने सतरंगी चादर ओढ़ ली है. पूरा परिसर सतंगरी नजर आ रहा था. इसे देशी-विदेशी सैलानी भी अचरज से देख रहे थे.

सुरक्षा के रहे पुख्ता इंतजाम

उर्स के आखिरी दिन ताजमहल पर उमड़ी भीड़ को देखते हुए एएसआई और सीआईएसएफ अधिकारियों ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए. उर्स में तीसरे दिन सुबह से ही ताजमहल में पर्यटकों को फ्री इंट्री रही. पर्यटकों को मुख्य मकबरे तक ले जाने के लिए जिगजैग रूट सिस्टम रखा गया है. ग्रुप में पर्यटकों को मुख्य मकबरे तक जाने दिया जा रहा है. इसके साथ ही उर्स कमेटी के वालंटियर भी इंतजाम संभालने में मदद कर रहे हैं.

दिन भर गूंजी कव्वाली, लगा लंगर

शहंशाह शाहजहां के उर्स पर तीसरे दिन गुरुवार को ताजमहल में दिन भर कव्वालियां गूंजती रहीं. मुख्य मकबरे के द्वार के पास बैठे कव्वालों ने कलाम पेश किए तो ताज के बाहर पश्चिमी गेट स्थित फतेहपुरी मस्जिद पर लंगर वितरित करने के साथ शर्बत वितरित किया गया. इस दौरान ताजमहल में नियम जमकर टूटे. मुख्य मकबरे की संगमरमरी रेलिंग पर जहां सैलानी बैठे नजर आए तो चमेली फर्श की रेलिंग से बच्चे कूदते रहे. इसके साथ ही नहर व सेंट्रल टैंक में लोग उतर गए. मुख्य मकबरे पर तमाम लोग बिना शू कवर के पहुंच गए.

यह भी पढ़ें : शाहजहां का उर्स: ताजमहल में उमड़ी पर्यटकों की भीड़, कल सुबह से फ्री इंट्री

यह भी पढ़ें : Taj Mahal: शाहजहां का 368वां उर्स, वीकएंड पर फ्री रहेगी ताजमहल में एंट्री

ताजमहल में मुगल बादशाह शाहजहां के उर्स के तीसरे दिन 1560 फीट लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई गई.

आगरा : देश और दुनियां में मोहब्बत की निशानी के तौर पर मशहूर ताजमहल ने गुरुवार को सतरंगी चादर लपेट ली. मौका था मुगल शहंशाह शाहजहां के 369 वें उर्स के आखिरी दिन का. सर्वधर्म सद्भाव की मिसाल पेश करते हुए 1560 मीटर लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर दक्षिण गेट से ताजमहल के अंदर लाई गई. ढोल-ताशे के साथ अकीदतमंद चादर और पंखे लेकर साथ चले. इस दौरान पर्यटक भी इस नजारे को कैमरे में कैद करते रहे. चादरपोशी के दौरान देश और दुनियां में अमन चैन की दुआ की गई.

शाहजहां के 369 वां उर्स की शुरुआत मंगलवार को गुस्ल की रस्म के साथ हुई थी. इस मौके पर ताजमहल के तहखाने में स्थित शाहजहां और मुमताज की असली कब्रें सैलानियों के लिए खोली गईं. उर्स के दूसरे दिन बुधवार को शाहजहां और मुमताज की कब्र पर संदल चढ़ाया गया. गुरुवार सुबह ताज में कुलशरीफ के बाद कुरानख्वानी और फिर फातिहा पढ़ाया गया. गुलपोशी के बाद चादरपोशी और पंखे चढ़ाने का सिलसिला शुरू हुआ.

मुगल बादशाह की कब्र पर चढ़ाई गई हिंदुस्तानी सतरंगी चादर

उर्स में तीसरे दिन आकर्षण का मुख्य केंद्र खुद्दाम-ए-रोजा कमेटी की हिंदुस्तानी सतरंगी चादर रही. जिसकी लंबाई 1560 मीटर रही. हिंदुस्तानी सतरंगी चादर दक्षिण गेट स्थित हनुमान मंदिर से दोपहर करीब 2.45 बजे ताजमहल लाई गई. दक्षिण गेट से फोर्टकोर्ट, राॅयल गेट, सेंट्रल टैंक से होकर ताजमहल के मुख्य गुंबद में पहुंची. हिंदुस्तानी सतरंगी चादर का एक सिरा दक्षिणी गेट पर था तो दूसरा दूसरा सिरा ताजमहल में मुख्य मकबरे के तहखाना तक पहुंच गया. जिससे ऐसा लग रहा था कि ताज ने सतरंगी चादर ओढ़ ली है. पूरा परिसर सतंगरी नजर आ रहा था. इसे देशी-विदेशी सैलानी भी अचरज से देख रहे थे.

सुरक्षा के रहे पुख्ता इंतजाम

उर्स के आखिरी दिन ताजमहल पर उमड़ी भीड़ को देखते हुए एएसआई और सीआईएसएफ अधिकारियों ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए. उर्स में तीसरे दिन सुबह से ही ताजमहल में पर्यटकों को फ्री इंट्री रही. पर्यटकों को मुख्य मकबरे तक ले जाने के लिए जिगजैग रूट सिस्टम रखा गया है. ग्रुप में पर्यटकों को मुख्य मकबरे तक जाने दिया जा रहा है. इसके साथ ही उर्स कमेटी के वालंटियर भी इंतजाम संभालने में मदद कर रहे हैं.

दिन भर गूंजी कव्वाली, लगा लंगर

शहंशाह शाहजहां के उर्स पर तीसरे दिन गुरुवार को ताजमहल में दिन भर कव्वालियां गूंजती रहीं. मुख्य मकबरे के द्वार के पास बैठे कव्वालों ने कलाम पेश किए तो ताज के बाहर पश्चिमी गेट स्थित फतेहपुरी मस्जिद पर लंगर वितरित करने के साथ शर्बत वितरित किया गया. इस दौरान ताजमहल में नियम जमकर टूटे. मुख्य मकबरे की संगमरमरी रेलिंग पर जहां सैलानी बैठे नजर आए तो चमेली फर्श की रेलिंग से बच्चे कूदते रहे. इसके साथ ही नहर व सेंट्रल टैंक में लोग उतर गए. मुख्य मकबरे पर तमाम लोग बिना शू कवर के पहुंच गए.

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