उन्नाव : शुक्लागंज-कानपुर के बीच गंगा नदी पर बना ब्रिटिश शासनकाल का ऐतिहासिक पुल मंगलवार भोर ढह गया. इस पुल का जर्जर हिस्सा, जिसमें दोनों पिलरों के बीच का भाग था, अचानक नदी में गिर गया. गनीमत रही कि पुल तीन साल पहले ही जर्जर स्थिति के कारण यातायात के लिए बंद कर दिया गया था. जिसके कारण किसी तरह की जनहानि नहीं हुई.
पुल का इतिहास: यह पुल लगभग 150 साल पुराना था. अपनी अनूठी बनावट और उपयोगिता के कारण ऐतिहासिक महत्व रखता था. इसका निर्माण अंग्रेजी शासन के दौरान 1870 के दशक में शुरू हुआ था. अवध एंड रुहेलखंड कंपनी लिमिटेड ने इस पुल का निर्माण कराया था. इसका डिज़ाइन जेएम हेपोल ने तैयार किया था. निर्माण कार्य एसबी न्यूटन और ई वेडगार्ड के नेतृत्व में हुआ था. इस पुल का प्रमुख उद्देश्य कानपुर और शुक्लागंज को जोड़ना था.
एक पुल, दो उपयोग: यह पुल डबल-स्टोरी संरचना के लिए जाना जाता था. शुरुआत में इसके ऊपरी हिस्से पर नैरो गेज रेलवे लाइन थी, जिस पर ट्रेनें चलती थीं, जबकि निचले हिस्से से हल्के वाहन और पैदल यात्री गुजरते थे. 50 वर्षों तक इस पुल का उपयोग ट्रेन और सड़क यातायात के लिए किया गया. जैसे-जैसे कानपुर और उन्नाव के बीच यातायात बढ़ा, ट्रेनों के लिए अलग पुल बनाया गया और पुराने पुल के दोनों हिस्सों को सड़क यातायात के लिए समर्पित कर दिया गया.
इतिहास में दर्ज है यह पुल: यह पुल 14 जुलाई 1875 को पैदल यात्रियों के लिए खोला गया था, जबकि अगले ही दिन से रेलवे यातायात शुरू कर दिया गया. पुल की लंबाई करीब 800 मीटर थी और यह तकनीकी उत्कृष्टता का नमूना माना जाता था. यह गंगा पर बना उन पुराने पुलों में से एक था, जिसने औपनिवेशिक दौर में यातायात और व्यापार को नया आयाम दिए.
तीन साल पहले बंद किया गया: हाल के वर्षों में पुल की हालत खराब हो चुकी थी. लंबे समय तक रखरखाव की कमी और पुरानी संरचना के कारण यह खतरनाक हो गया था. इसे तीन साल पहले बंद कर दिया गया था, जिससे किसी भी दुर्घटना का खतरा टल गया. सोमवार को इसका एक हिस्सा गिरने से यह पुल अब इतिहास बनकर रह गया है.स्थानीय निवासियों के लिए यह पुल सिर्फ आवागमन का साधन नहीं, बल्कि ऐतिहासिक धरोहर भी था. इसके ढहने से लोग भावुक हो गए हैं. बताते हैं कि कई फिल्मों की शूटिंग भी यहां हुई है.