भोपाल: भारत तिब्बत सीमा बुमला दर्रे से बाइक पर सवार होकर पंद्रह नौजवान तिब्बती निकले हैं. रैली भारत के 19 से ज्यादा राज्यों से गुजर रही है. जो 15 हजार किलोमीटर की लंबी यात्रा तय करेगी. यात्रा का मकसद चीन के कब्जे में फंसे तिब्बत की आजादी है. जिसके लिए ये 15 नौजवान देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचकर भारत के सांसदों, विधायकों और मंत्रियों के साथ भारत की आम जनता को तिब्बतियों के सामने खड़े संकट से रूबरू करवा रहे हैं.
ये बाइक रैली गुरुवार को मध्य प्रदेश में दाखिल हुई. तिब्बत की आजादी की मांग को लेकर यात्रा पर निकले इस समूह का कहना है कि "चीन ने जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है, उसकी वजह से तिब्बत में भूकंप आया और तबाही हुई है."
तिब्बत में भूकंप के लिए भी चीन ही जिम्मेदार
इस यात्रा पर निकले बाइकर मैतश्री चुब्बल ने बताया कि "चीन जिस तरह से तिब्बत में जंगलों को नष्ट कर रहा है. जैसे वहां नदियों पर डैम बनाए जा रहे हैं. उसके बाद ही तिब्बत में भूकंप की घटनाएं बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि हम ये बाइक यात्रा तीन मुद्दों को लेकर निकाल रहे हैं. एक तो जिस तरह से तिब्बत में चीन हमारी संस्कृति नष्ट कर रहा है. हमारी पहचान पर संकट आ गया है. उसे तुरंत बंद किया जाए. दूसरा 60 साल से भारत हमें जो सहारा दे रहा है. उसके लिए ये आभार यात्रा भी है.
चीन ने जो हमारा पर्यावरण खराब किया है. उस पर दुनिया की निगाह हो और भारत में 19 शहरों से हम जनसमर्थन जुटा रहे हैं कि जिस भारत ने हमें सहारा दिया. ऐसे पूरी दुनिया में माहौल बने, ताकि चीन जो तिब्बत के साथ कर रहा है वो बंद हो सके."
पीड़ा बताने पहाड़ों से मैदान की तरफ निकले तिब्बती बाइकर
आमतौर पर बाइक रैली नौजवानों के लिए स्टंट का हिस्सा होती है, लेकिन अरुणाचल प्रदेश में भारत तिब्बत सीमा बुमला दर्रे से निकले 15 नौजवान एक खास मकसद के साथ भारत के शहर-शहर पहुंच रहे हैं. चीन से तिब्बत की मुक्ति के लिए भारतीय जनता का समर्थन जुटाने. भारत तिब्बत सहयोग मंच के मध्य क्षेत्र संयोजक गिरीराज किशोर ने बताया कि "ये बाइकर्स रैली असल में चीन के कब्जे से तिब्बत के आजादी के आव्हान के लिए है. पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तिब्बती समर्थन जुटा रहे हैं. ये बाइक रैली भी उसी का हिस्सा है.
इनकी आवाज में आवाज मिलाकर हम भी मांग करते हैं कि चीन तिब्बत से पीछे हटे. जिससे परम पावन दलाई लामा की तिब्बत वापिसी का रास्ता प्रशस्त हो सके. चीन की जेलो में कई राजनीतिक बंदी हैं. जिनके साथ अमानवीय अत्याचार हो रहा है. उन्हें मुक्त किया जाए. तिब्बत में जिस तरह से महिलाओं, बच्चों और पुरुषों के साथ जो बर्ताव हो रहा है. जो जुल्म ढाए जा रहे हैं. मानव अधिकार हनन के उन मामलों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा होनी चाहिए. यूएनओ के प्रतिनिधिमंडल को को वहां की निगरानी करनी चाहिए."
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19 शहर और 15 हजार किलोमीटर की यात्रा
तिब्बत को बचाने की एक अपील के साथ बाFक पर सवार होकर ये दल 22 नवम्बर को भारत तिब्बत सीमा से निकला था. इस यात्रा में ये भारत के 19 शहरों तक पहुंचेंगे. अब तक इन्होंने अरुणाचल प्रदेश के बाद आसम, नागालैंड, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, बिहार, ओडिशा, तेलंगाना, कर्नाटक और गोवा का सफर तय किया है. अब मध्य प्रदेश के बाद ये आगे गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बाद दिल्ली पहुंचेंगे. दिल्ली में इस यात्रा का समापन होगा.