बस्तीः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार समाज के अंतिम व्यक्ति तक जन कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाने दावा करने के साथ ही अधिकारियों को दिशा-निर्देश देते रहते हैं. लेकिन दावे और हकीकत में कितना फर्क है, इसका अंदाजा विकास खंड कप्तानगंज के ग्राम सेंठा की 125 साल की गंगादेवी और उनकी 80 साल की बेटी मैना देवी की हालत को देखकर आसानी से लगा सकते हैं.
मां-बेटी गांव वालों के रहमोकरम पर चारपाई पर लेटे-लेटे अंतिम सांसे ले रही हैं. इन दोनों को प्रशासन, सरकार और प्रधान की कृपा का इंतजार है. गंगादेवी की बड़ी बेटी का निधन 90 साल में हुआ है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गंगा देवी देश को आजाद होते हुए देखा होगा. लेकिन आज हालात की मारी हैं. देखा जाए तो सबसे अधिकारी सरकारी योजनाओं की आवश्यकता इन दोनों बयोवृद्ध महिलाओं को है. लेकिन दोनों को वृद्धावस्था पेंशन तक नहीं मिल रही है. वहीं, मैनादेवी की 8 साल की नातिन अनुराधा भी इनके साथ रहती है. जो नानी और पर नानी के साथ संघर्ष करते हुए बमुश्किल अपनी पढ़ाई पूरी कर पा रही है.
नातिन अनुराधा ने बताया कि परनानी गंगादेवी को पांच साल पहले वृद्धा पेंशन मिला था, उसके बाद बंद हो गया. जबकि मैना देवी की तो आज तक पेंशन नहीं मिली. अनुराधा बताती हैं कि ग्रामीणों की मदद से उनका घर चलता है. लोगों द्वारा दी गई मदद से ही भोजन मिलता है. वहीं, गंगा देवी बताती हैं कि कोटेदार राशन दे देते हैं, इसी तरह जिंदगी कट रही है. गांव के रहने वाले राजन उपाध्याय ने बताया कि अब दोनों का आधार कार्ड इस लिए नहीं बन सकता. क्योंकि दोनों के शरीर में खून ही बहुत कम है. जब तक अगुंली में खून नहीं रहेगा तब तक अगूंठे का निशान मशीन में नहीं लगेगा. यानि जो संभावनाएं थी, वह भी समाप्त होती नजर आ रही हैं. उन्होंने बताया कि ग्रामीण इस परिवार की मदद करते रहते हैं. इन दोनों के पास जमीन भी नहीं है. समाज कल्याण अधिकारी श्रीप्रकाश पांडेय ने बताया कि अगर दोनों महिलाओं का आधार कार्ड मिल जाए और गंगादेवी का खाता संख्या मिल जाए तो पेंशन के लिए प्रयास किया जाएगा.