अलवर. जिला प्रमुख अलवर बलबीर छिल्लर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश में विपक्षी कांग्रेस खुद ही हिट विकेट हो गई. करीब 20 दिन चले घटनाक्रम में कांग्रेस न फलोर टेस्ट की तारीख तय करा पाई और न ही अपने जिला पार्षदों को एकजुट रख पाई. नतीजन कांग्रेस के 11 जिला पार्षदों की ओर से अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने पर जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रतिभा वर्मा ने शुक्रवार देर रात अविश्वास प्रस्ताव निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए. फिलहाल बलबीर छिल्लर का जिला प्रमुख बने रहने का रास्ता साफ हो गया.
वहीं, जिला प्रमुख बलबीर छिल्लर ने कहा कि हमें पहले ही पता था कि भाजपा परिवार एकजुट है. यह अविश्वास प्रस्ताव निरस्त होना तय था. उन्होंने कहा कि जिला पार्षदों ने विकास को जिताया और विश्वास पर मुहर लगाई है. अविश्वास प्रस्ताव निरस्त किए जाने को कांग्रेस जिलाध्यक्ष योगेश मिश्रा ने भाजपा सरकार की ओर से संविधान की अवहेलना बताया है. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने फलोर टेस्ट की तारीख नहीं देकर मामले को घुमाते रहे, जिससे वे असंवैधानिक तरीका अपना कर बहुमत जुटा सके.
कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे बलबीर छिल्लरः बलबीर छिल्लर कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर जिला प्रमुख चुने गए थे, लेकिन गत लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस से त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया था. लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस खेमे ने छिल्लर को जिला प्रमुख पद से हटाने के लिए अविश्वास प्रस्ताव की मुहिम छेड़ी. कांग्रेस के 19 जिला पार्षदों का हस्ताक्षरयुक्त अविश्वास प्रस्ताव जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रतिभा वर्मा को सौंपा गया, लेकिन उनकी ओर से फलोर टेस्ट की तारीख तय करने के बजाय मामले को घुमाया गया. कांग्रेस खेमा भी इस दौरान ज्यादा सक्रिय नहीं दिखा और बलबीर छिल्लर के भाजपा खेमे ने अपने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव के सहयोग से कांग्रेस खेमे में ही सेंध लगा दी. कांग्रेस के 11 जिला पार्षदों ने शुक्रवार देर शाम अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने का पत्र जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी को सौंपा. इसके बाद देर रात मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने अविश्वास प्रस्ताव निरस्त करने के आदेश जारी किए.
इसलिए हुआ अविश्वास प्रस्ताव निरस्त : अलवर जिला परिषद में कुल 49 जिला पार्षद हैं. इनमें एक जिला पार्षद का निधन होने और कठूमर से पार्षद के भरतपुर से सांसद चुने जाने से पद रिक्त हैं. इसके चलते अभी 47 जिला पार्षद हैं. अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए कांग्रेस को 16 जिला पार्षदों के हस्ताक्षर का पत्र पेश करना था. शुरू में कांग्रेस के 19 जिला पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, लेकिन बाद में 11 के अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने से कांग्रेस के पास जरूरी 16 जिला पार्षदों का समर्थन नहीं बचा और अविश्ववास प्रस्ताव निरस्त हो गया. जिला प्रमुख को फलोर टेस्ट में पद बचाने के लिए केवल 12 जिला पार्षदों का समर्थन जरूरी था. वर्तमान में जिला परिषद में भाजपा बहुमत में है.
करीब 20 दिन चला अविश्वास प्रस्ताव का घटनाक्रम : जिला प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का घटनाक्रम करीब 20 दिन चला. जिला प्रमुख बलबीर छिल्लर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का घटनाक्रम करीब 20 दिन पहले जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी को अविश्वास प्रस्ताव पत्र देने से शुरू हुआ और करीब 20 दिन बाद 11 कांग्रेस जिला पार्षदों के अविश्वास प्रस्ताव वापस लेने के साथ ही खत्म हुआ. इस दौरान कांग्रेस के जिला पार्षदों ने पंचायती राज विभाग के आयुक्त से लेकर जिला कलेक्टर तक खूब चक्कर लगाए, लेकिन उन्हें फलोर टेस्ट की तारीख नहीं मिल सकी. इस मामले को अधिकारी एक-दूसरे पर टाल तारीख देने से बचते रहे.