नई दिल्ली: क्रिकेट में ऐसे कई मौके आए हैं जब खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो देशों का प्रतिनिधित्व किया है. ऐसा मुख्य रूप से तब हुआ जब उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें अपने देश के लिए खेलने का ज्यादा मौका नहीं मिलेगा. इसके साथ ही कुछ खिलाड़ी व्यक्तिगत कारणों से दूसरे देश में जाकर खेलने का विकल्प चुनते हैं.
आजकल दुनिया भर में काफी टी20 लीग होने से क्रिकेटर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की तुलना में फ्रेंचाइजी क्रिकेट को प्राथमिकता दे रहे हैं. इन लीग्स में खिलाड़ियों को अच्छी पुरस्कार राशि के अलावा मोटा पैसा भी मिलता है. हाल ही में जो बर्न्स ऑस्ट्रेलिया से इटली में अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने के लिए चले गए. उनके नाना-नानी जो मूल रूप से कैलाब्रिया से थे, उनके माध्यम से इटली के लिए खेलने के योग्य होने के बाद टीम की कप्तानी करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.
हालांकि ऐसा बहुत कम ही होता है. किसी देश का दिग्गज खिलाड़ी दूसरे देश के लिए खेले. भारत के पूर्व कप्तान और मुख्य कोच राहुल द्रविड़, जिन्हें अपने दौर के सबसे बेहतरीन क्रिकेटरों में से एक माना जाता है. उन्होंने स्कॉटलैंड की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए भी खेला है.
आपको शायद ही ऐसी कोई घटना देखने को मिले जहां भारतीय खिलाड़ी किसी दूसरे देश की जर्सी पहने हों. 1996 से 2012 तक की अवधि के दौरान द्रविड़ ने तीनों प्रारूपों में भारत का प्रतिनिधित्व किया है. 500 से अधिक मैच खेले और मेन इन ब्लू के लिए 20,000 से अधिक रन बनाए.
राहुल को अपने 16 साल के करियर में स्कॉटलैंड के लिए खेलने का मौका मिला और उन्होंने स्कॉटिश टीम के साथ 12 मैच खेले, जिसमें 2003 में एकदिवसीय विश्व कप के समापन के बाद, 2003 में पाकिस्तान की टीम के खिलाफ एक टूर गेम भी शामिल था.
राहुल द्रविड़ स्कॉटलैंड के लिए कैसे खेलते थे?
विजडन के अनुसार स्कॉटलैंड में रहने वाले गैर-आवासीय भारतीयों (NRI) के एक समूह ने राहुल द्रविड़ के द ग्रेंज में रहने के दौरान चैरिटी डिनर और अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से लगभग 45,000 पाउंड जुटाए. यह उस समय हुआ जब द्रविड़ बेहतरीन फॉर्म में थे. भारत के लिए टेस्ट मैचों में उनका औसत 60 से ऊपर था.
दरसल, स्कॉटलैंड की टीम उस समय अपना वजूद तलाश रही थी. ऐसे में उन्हें ऐसे खिलाड़ियों की जरूरत थी जो उनकी टीम को मदद कर सकें. उसके लिए उन्होंने भारतीय स्टार राहुल द्रविड़ को अपने साथ जोड़ लिया था और तीन साल के लिए ट्रायल के तौर पर टीम को नेशनल लीग में प्रमोट किया.
हालांकि उन्हें अपने कार्यकाल की शुरुआत अच्छी नहीं मिली और वे हैम्पशायर के खिलाफ नेशनल क्रिकेट लीग में अपने पहले मैच में 25 रन बनाने में सफल रहे और फिर पाकिस्तान के खिलाफ एक टूर गेम में पहली गेंद पर शून्य पर आउट हो गए.
इसके बाद वह हमेशा की तरह मजबूत होकर लौटे और समरसेट के खिलाफ 97 गेंदों पर नाबाद 120 रन की शानदार पारी खेली. फिर वह मिडिलसेक्स के खिलाफ छह रन पर आउट हो गए, लेकिन इसके बाद नॉटिंघमशायर के खिलाफ एक और नाबाद शतक बनाया, जिसमें उन्होंने 14 चौके और चार छक्के लगाए.
द्रविड़ का प्रदर्शन शानदार रहा और उन्होंने 11 मैचों के टूर्नामेंट में दो बार 50+ स्कोर किया. कुल मिलाकर दाएं हाथ के बल्लेबाज ने 66.66 की शानदार औसत से 600 रन बनाए. हालांकि, उनकी खुशी ज्यादा दिन तक नहीं टिकी, क्योंकि टीम को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ा और एक दिवसीय टूर्नामेंट के दौरान खेले गए 12 मैचों में से 11 में हार का सामना करना पड़ा था.