नई दिल्ली: टेस्ट क्रिकेट से रवींद्र जडेजा और रविचंद्रन अश्विन के संन्यास लेने के बाद भारत के सामने स्पिन की समस्या खड़ी हो सकती है. हालांकि जडेजा के रिप्लेसमेंट ढूंढना आसान लगता है, लेकिन घरेलू सर्किट में दाएं हाथ के ऑफ स्पिनरों की कमी भारत के स्पिन विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है. यह जल्द ही भारत को नुकसान पहुंचा सकती है. भारत के लिए पिछले दशक में अश्विन और जडेजा का एशिया में रिकॉर्ड योगदान रहा है.
अश्विन-जडेजा के बाद क्या होगा भारतीय स्पिन डिपार्टमेंट का भविष्य
भारत ने 2012 से घरेलू मैदान पर 52 में से केवल 2 मैच हारे हैं. लेकिन अब अश्विन 37 साल के हैं और जडेजा 35 साल के हैं. ऐसे में टीम प्रबंधन कुछ बेहतरीन स्पिनर्स को खोजने पर नजर रखेगा क्योंकि यह बेहद कम संभावना है कि वे एक से अधिक विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) सीजन के लिए मौजूद रहेंगे. अहम सवाल यह उठता है कि, क्या भारत अपनी इस स्पिन जोड़ी के बिना खेलने के लिए तैयार है. क्या टीम इंडिया इन दोनों का रिप्लेसमेंट मिल पाएगा.
जडेजा का विकल्प हो सकते हैं ये स्पिनर्स
जडेजा के मामले में इसका जवाब हां है. उनका रिप्लेसमेंट अक्षर पटेल हैं, जिन्होंने अपनी योग्यता साबित की है, लेकिन अभी तक भारत के बाहर उन्होंने ज्यादा मैच नहीं खेले है, जबकि घरेलू स्तर पर लगभग जडेजा के समान कुछ नाम हैं, जैसे सौरभ कुमार, शम्स मुलानी, आर साई किशोर, कुमार कार्तिकेय, शाहबाज अहमद, आबिद मुश्ताक और मानव सुथार.
क्या अश्विन का विकल्प नहीं है भारत के पास
जब आप एक बेहतरीन ऑफ स्पिनर की पहचान करना शुरू करते हैं तो चीजें और भी खराब हो जाती हैं. निष्पक्ष होकर कहें तो वर्तमान में भारत के पास अश्विन के लिए एक भी तैयार विकल्प नहीं है. हां, जलज सक्सेना, के गौतम, जयंत यादव और अक्षय वखारे हैं, जिन्होंने घरेलू क्रिकेट में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. लेकिन इन सभी की उम्र 33 से अधिक है, जिससे ये लंबे वक्त तक भारत के लिए नहीं खेल पाएंगे, जो चिंता बढ़ा रहा है. वाशिंगटन सुंदर, जिन्होंने बल्ले से प्रभावशाली प्रदर्शन किया है लेकिन वो गेंद से खतरनाक नहीं दिखे, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेले गए सभी चार टेस्ट मैचों में प्रभावशाली प्रदर्शन नहीं किया है. वहीं सारांश जैन, पुलकित नारंग और तनुश कोटियन जैसे युवा उभरते सितारों को अभी भारत ए के लिए खेलने का मौका मिला है.
अक्षर के अलवा सौरव भी हो सकते हैं विकल्प
भारत के पास जितने भी बाएं हाथ के स्पिनर हैं, उनमें से 29 वर्षीय अक्षर जडेजा के संन्यास लेने के बाद नंबर 6/7 स्थान के लिए सबसे आगे होंगे. उत्तर प्रदेश के सौरभ, जिन्हें 2022 में श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए बुलाया गया था. पिछले दो-तीन सालों में घरेलू क्रिकेट में सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों में से एक रहे हैं और भारत ए के लिए भी उनका प्रदर्शन बेहतरीन रहे हैं, उन्होंने छह मैचों में 21.5 की औसत से 28 विकेट लिए हैं.
सौरभ बल्ले से भी कमाल नहीं कर पाते हैं, प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका औसत 27.1 है. लेकिन मुंबई के शम्स मुलानी रणजी ट्रॉफी में लगातार बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में माहिर हैं. उनका बल्ले से औसत 32.43 है और उन्होंने 38 मैचों में 23.23 की औसत से 180 विकेट लिए हैं. 2020 से रेड-बॉल क्रिकेट में, अश्विन मुलानी से ज़्यादा विकेट लेने वाले एकमात्र भारतीय गेंदबाज़ हैं.
शाहबाज अहमद भी हो सकते हैं क्या एक विकल्प
शाहबाज अहमद एक और विकल्प है जिस पर भारत विचार कर सकता है. 2022 के बाद से उनकी बल्लेबाजी में और भी सुधार हुआ है, 30 प्रथम श्रेणी मुकाबलों में उनका औसत 42.97 रहा है. ये कुछ गंभीर दावेदार हैं, लेकिन घरेलू सर्किट में कई और विकल्प उपलब्ध हैं.
क्या है असली समस्या
चलिए असली समस्या पर बात करते हैं. भारत का अगला ऑफ स्पिनर कौन है? सक्सेना, रसूल और गौतम 2020 से प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सबसे सफल ऑफ स्पिनर रहे हैं, जबकि जयंत यादव और वखारे ने भी अच्छे प्रदर्शन किए हैं, लेकिन उनमें से कोई भी भविष्य के लिए नहीं है क्योंकि उम्र उनके खिलाफ जा रही है.
नारंग और मध्य प्रदेश के सारांश की सेवाओं पर चयनकर्ताओं की कड़ी नज़र रहेगी. सारांश ने 2014 में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पदार्पण किया था, लेकिन पिछले दो वर्षों में ही वह लगातार सदस्य बन पाए हैं. 30 वर्षीय खिलाड़ी ने इस अवधि में 25.4 की औसत से 96 विकेट लिए हैं, जबकि नारंग ने 27.2 की औसत से 99 विकेट लिए हैं. चुनने के लिए बहुत कुछ नहीं है, लेकिन समस्या वही है. अगर अश्विन अपने करियर को दो साल और आगे बढ़ाते हैं तो चिंता बनी रहेगी.
वाशिंगटन सुंदर ही दिखते हैं एक नाम
हालांकि, अगर भारत कोई रणनीतिक बदलाव करता है, तो भारत शीर्ष सात में वाशिंगटन या कोटियन जैसे किसी खिलाड़ी को शामिल कर सकता है और फिर कलाई के स्पिनर को खिला सकता है, जिससे बल्लेबाजी लाइनअप में विविधता और गहराई आएगी, खासकर घरेलू परिस्थितियों में. कोटियन ने मुंबई के लिए केवल 26 प्रथम श्रेणी खेलों में भाग लिया है, जिसमें बल्ले से 42.66 और गेंद से 26.38 का औसत है. लेकिन फिर भी उन्हें भारत ए सेट-अप में शामिल होने के लिए अभी भी पर्याप्त खेलना बाकी है. इसलिए अब तक स्पष्ट चयन वाशिंगटन होगा, जिसने छह पारियों में 66.25 का औसत बनाया है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में उछाल वाली सतह पर उनकी बेहतरीन पारी सहित तीन अर्द्धशतक शामिल हैं.
कुलदीप यादव भी होंगे क्या अश्विन-जडेजा का विकल्प
अगर चयनकर्ता कलाई के स्पिनर की तलाश में हैं, तो कुलदीप अभी भी भारत की पहली पसंद होंगे, क्योंकि इस समय उनके पास कोई कलाई का स्पिनर नहीं है, जो अश्विन और जडेजा के बाद अपनी जगह पक्की कर सके. चाइनामैन ने 2018 और 2019 में काफी रेड-बॉल क्रिकेट खेला और इस साल इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज में भारत के लिए पांच मैच भी खेले. वह 19 विकेट और 97 रन बनाकर सीरीज में भारत के दूसरे सर्वश्रेष्ठ स्पिनर के रूप में उभरे.
अश्विन और जडेजा के टेस्ट क्रिकेट से विदाई लेने में अभी समय है, लेकिन प्रबंधन को उनकी जगह लेने वाले खिलाड़ियों की तलाश करनी चाहिए, खास तौर पर अश्विन के लिए. भारत का घरेलू मैदान पर दबदबे वाला रिकॉर्ड है, लेकिन अगर वे अश्विन का सही विकल्प नहीं ढूंढ पाए तो इसे बरकरार रखना मुश्किल होगा.