नई दिल्ली: पेरिस ओलंपिक 2024 खेलों उलटी गिनती अब शुरू हो चुकी है. इन खेलों में भारत समेत दुनिया भर के एथलीट हिस्सा लेने वाले हैं. उससे पहले आज हम आपको 30 अक्टूबर 1936 को यूक्रेन के डोनेट्स्क में जन्मी पोलिना अस्ताखोवा के बारे में बताने वाले हैं, जो सोवियत और यूक्रेनी जिमनास्ट थीं. अस्ताखोवा ने 1956, 1960 और 1964 के ओलंपिक खेलों में टीम स्वर्ण पदक जीते और अपने धमाकेदार खेल से सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया.
कैसे हुई जिमनास्टिक की शुरुआत
पोलिना अस्ताखोवा को 13 साल की उम्र में कलात्मक जिमनास्टिक से प्यार हो गया था. उन्होंने डोनेट्स्क में जिमनास्टिक चैंपियनशिप इसके बाद प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह पहली बार 1956 में सोवियत स्टार लारिसा लैटिनिना के नेतृत्व वाली जिमनास्टिक टीम के हिस्से के रूप में ओलंपिक में गई थी. अस्ताखोवा ने ओलंपिक में कुल 10 मेडल जीते हैं. यह उपलब्धि उन्होंने लैरीसा लैटिनिना के साथ साझा की थी. जिससे वे तीन स्वर्ण पदक जीतने वाली टीमों की सदस्य बनने वाली एकमात्र जिमनास्ट बन गईं.
अस्ताखोवा ने अनइवन पैरेलल बार्स (Uneven Parallel bars) केटेगरी में भी स्वर्ण पदक जीता और 1960 और 1964 दोनों में व्यक्तिगत ऑल-अराउंड में तीसरा स्थान हासिल किया. उन्होंने 1960 और 1964 दोनों में फ़्लोर एक्सरसाइज़ में रजत पदक जीते और उनके अंतिम ओलंपिक टैली में 10 पदक शामिल थे, जिसमें 5 स्वर्ण, 3 रजत और 2 कांस्य पदक शामिल थे. पोलिना ने विश्व चैंपियनशिप में कम सफल रहीं, लेकिन सोवियत संघ की टीम की सदस्य थीं, जिसने 1958 और 1962 दोनों में टीम खिताब जीता.
इन सालों में भी किया कमाल
1958 की विश्व चैंपियनशिप में अस्ताखोवा ने असममित बार में तीसरा स्थान हासिल किया. अगले वर्ष उन्होंने असममित बार और फ़्लोर एक्सरसाइज़ दोनों के लिए यूरोपीय चैंपियनशिप जीती. अस्ताखोवा और उनकी टीम के साथियों ने 1960 और 1964 में टीम संयुक्त अभ्यास के लिए फिर से ओलंपिक स्वर्ण जीता.1960 के दशक में ओलंपिक में महिलाओं की व्यक्तिगत जिमनास्टिक स्पर्धाएँ अपेक्षाकृत नई थीं और सोवियत जिमनास्ट ने शुरू से ही अधिकांश व्यक्तिगत पदक जीते थे.
1960 में जब दर्शकों ने एक अन्य प्रतियोगी के कम स्कोर का विरोध करने के लिए दस मिनट तक हूटिंग की तो अस्ताखोवा ने असमान समानांतर सलाखों अनइवन पैरेलल बार्स पर स्वर्ण पदक प्रदर्शन करके भीड़ को शांत किया. उन्होंने फ़्लोर एक्सरसाइज़ के लिए रजत पदक भी जीता, जो लैटिनिना के पीछे था, और अपनी दो साथियों के पीछे व्यक्तिगत ऑल-अराउंड के लिए कांस्य पदक जीता. अगली सर्दियों में अस्ताखोवा ने संयुक्त राज्य अमेरिका के दौरे में भाग लिया.
जनवरी 1961 में पेंसिल्वेनिया में दर्शकों ने उनकी शालीनता की प्रशंसा की क्योंकि उन्होंने और अन्य सोवियत सितारों ने शीर्ष अमेरिकी जिमनास्टों को हराया. 1961 की यूरोपीय चैंपियनशिप में संयुक्त अभ्यास के लिए अस्ताखोवा लैटिनिना के बाद दूसरे स्थान पर रहीं. अगले साल की विश्व चैंपियनशिप में उन्होंने फ़्लोर एक्सरसाइज़ में चौथा स्थान हासिल किया और अनइवन पैरेलल पर चौथे स्थान पर रहीं. 1964 में टोक्यो जापान में हुए ओलंपिक में, अस्ताखोवा ने फिर से असमान बार फ़्लोर एक्सरसाइज़ और व्यक्तिगत ऑल-अराउंड में क्रमशः स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीते थे.
सोवियत टीम के लिए बनी कोच
वह दूसरे देश की सिर्फ़ एक जिमनास्ट से हारी, जो चेकोस्लोवाकिया की वेरा कैस्लावस्का थी. जिसने 1964 में लैटिनिना को भी हराकर ओलंपिक महिला जिमनास्टिक की नई स्टार बन गई. अस्ताखोवा ने प्रतियोगिता से संन्यास ले लिया और कोच बन गईं. 1972 में वह सोवियत टीम की कोच के रूप में ओलंपिक में वापस आईं, जिसमें ओल्गा कोरबुट भी शामिल थीं. अस्ताखोवा को 2002 में अंतरराष्ट्रीय जिमनास्टिक हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल किया गया था. 5 अगस्त 2005 को यूक्रेन के कीव में उनकी मृत्यु हो गई.
टोक्यो ओलंपिक 1964
- सिल्वर मेडल - आर्टिस्टिक जिमनास्टिक फ्लोर एक्सरसाइज
- बॉन्ज मेडल - आर्टिस्टिक जिमनास्टिक व्यक्तिगत ऑल-अराउंड
- गोल्ड मेडल - आर्टिस्टिक जिमनास्टिक टीम ऑल-अराउंड
- गोल्ड मेडल - आर्टिस्टिक जिमनास्टिक असमान बार
रोम ओलंपिक 1960
- सिल्वर मेडल - आर्टिस्टिक जिमनास्टिक फ्लोर एक्सरसाइज
- बॉन्ज मेडल - आर्टिस्टिक जिमनास्टिक व्यक्तिगत ऑल-अराउंड
- गोल्ड मेडल - आर्टिस्टिक जिमनास्टिक टीम ऑल-अराउंड
- गोल्ड मेडल - आर्टिस्टिक जिमनास्टिक असमान बार
मेलबर्न ओलंपिक 1956
- गोल्ड मेडल - आर्टिस्टिक जिमनास्टिक टीम ऑल-अराउंड
- बॉन्ज मेडल - आर्टिस्टिक जिमनास्टिक टीम पोर्टेबल उपकरण