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कहानी हो तो ऐसी : जिंदा रहने की नहीं थी उम्मीद अब एक ही पैरालंपिक में जीता डबल ब्रॉन्ज - Bronze Medalist Preethi Pal Story

Paris Paralympics : पेरिस पैरालंपिक में भारत की प्रीती पाल ने इतिहास रच दिया है. उन्होंने टी35 200 मीटर स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया. इससे पहले उन्होंने 100 मीटर स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता. ऐसा करने वाली वह भारत की पहली ट्रैक एंड फील्ड एथलीट हो गई हैं. पढ़ें पूरी खबर..

Preeti Pal
प्रीति पाल (ANI PHOTO)
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By ETV Bharat Sports Team

Published : Sep 2, 2024, 10:36 AM IST

नई दिल्ली : पेरिस पैरालंपिक में भारत पैरा खिलाड़ी अपना प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. रविवार रात भारत को को एक और पदक हासिल हुआ. भारत की जाबांज धावक जब प्रीति पाल ने महिलाओं की 200 मीटर टी35 में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. वह पैरालंपिक और ओलंपिक दोनों आयोजनों में ट्रैक एंड फील्ड में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हो गई हैं.

प्रीति ने अपने शानदार खेल के दम पर में 30.01 सेकंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ यह उपलब्धि हासिल की. हालांकि वह ज़िया झोउ 28.15 और गुओ कियानकियान (29.09 सेकंड) की चीनी जोड़ी से पीछे रहीं. जिन्होंने स्वर्ण और रजत पदक पदक हासिल किया.

इससे पहले शुक्रवार को भारतीय धावक ने महिलाओं की 100 मीटर टी35 में कांस्य पदक जीता था. भारत की होनहार 23 वर्षीय प्रीति ने फाइनल में 14.21 सेकंड का समय निकालकर तीसरा स्थान हासिल किया, जो उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ भी था. 100 मीटर स्पर्धा में चीन की इसी जोड़ी ने गोल्ड और सिल्वर मेडल हासिल किया. यह जोड़ी 200 मीटर स्पर्धा में भी प्रीति के लिए चुनौती बनी.

यूपी में एक किसान परिवार में जन्म लेने वाली प्रीति को जन्म के दिन से ही कई शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनके जन्म के बाद छह दिनों तक उनके शरीर के निचले हिस्से पर प्लास्टर चढ़ाया गया था. कमजोर पैर और पैर का शेप खराब होने की वजह से यह तो साफ हो गया था कि वह जन्म से ही कईं बिमारियों से ग्रस्त थी.

आईएनएस की रिपोर्ट के मुकाबिक प्रीति ने अपने पैरों को मज़बूत बनाने के लिए काफी उपचार करवाए, लेकिन पाँच साल की उम्र में उन्हें कैलीपर्स पहनना शुरू करना पड़ा और आठ साल तक उन्होंने कैलीपर्स पहने. बहुत लोगों को तो प्रीती के जिंदा बचने पर भी शक था लेकिन उन्होंने एक योद्धा की तरह हार नहीं मानी और पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक हासिल किया.

सोशल मीडिया पर पैरालंपिक खेलों की क्लिप देखने के बाद 17 साल की उम्र में उन्हें पैरा-स्पोर्ट्स में दिलचस्पी हो गई. एथलेटिक्स का अभ्यास शुरू करने के कुछ साल बाद उनकी ज़िंदगी बदल गई, जब उनकी मुलाकात उनकी गुरु पैरालंपियन फातिमा खातून से हुई और उन्होंने उनको ट्रेंड कर आगे बढ़ने में मदद की.

यह भी पढ़ें : पैरालंपिक में रुबीना फ्रांसिस ने दिलाया भारत को पांचवां पदक, शूटिंग में जीता ब्रॉन्ज मेडल

नई दिल्ली : पेरिस पैरालंपिक में भारत पैरा खिलाड़ी अपना प्रतिभा का लोहा मनवा रहे हैं. रविवार रात भारत को को एक और पदक हासिल हुआ. भारत की जाबांज धावक जब प्रीति पाल ने महिलाओं की 200 मीटर टी35 में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया. वह पैरालंपिक और ओलंपिक दोनों आयोजनों में ट्रैक एंड फील्ड में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट हो गई हैं.

प्रीति ने अपने शानदार खेल के दम पर में 30.01 सेकंड का व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ समय के साथ यह उपलब्धि हासिल की. हालांकि वह ज़िया झोउ 28.15 और गुओ कियानकियान (29.09 सेकंड) की चीनी जोड़ी से पीछे रहीं. जिन्होंने स्वर्ण और रजत पदक पदक हासिल किया.

इससे पहले शुक्रवार को भारतीय धावक ने महिलाओं की 100 मीटर टी35 में कांस्य पदक जीता था. भारत की होनहार 23 वर्षीय प्रीति ने फाइनल में 14.21 सेकंड का समय निकालकर तीसरा स्थान हासिल किया, जो उनका व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ भी था. 100 मीटर स्पर्धा में चीन की इसी जोड़ी ने गोल्ड और सिल्वर मेडल हासिल किया. यह जोड़ी 200 मीटर स्पर्धा में भी प्रीति के लिए चुनौती बनी.

यूपी में एक किसान परिवार में जन्म लेने वाली प्रीति को जन्म के दिन से ही कई शारीरिक चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उनके जन्म के बाद छह दिनों तक उनके शरीर के निचले हिस्से पर प्लास्टर चढ़ाया गया था. कमजोर पैर और पैर का शेप खराब होने की वजह से यह तो साफ हो गया था कि वह जन्म से ही कईं बिमारियों से ग्रस्त थी.

आईएनएस की रिपोर्ट के मुकाबिक प्रीति ने अपने पैरों को मज़बूत बनाने के लिए काफी उपचार करवाए, लेकिन पाँच साल की उम्र में उन्हें कैलीपर्स पहनना शुरू करना पड़ा और आठ साल तक उन्होंने कैलीपर्स पहने. बहुत लोगों को तो प्रीती के जिंदा बचने पर भी शक था लेकिन उन्होंने एक योद्धा की तरह हार नहीं मानी और पैरालंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए कांस्य पदक हासिल किया.

सोशल मीडिया पर पैरालंपिक खेलों की क्लिप देखने के बाद 17 साल की उम्र में उन्हें पैरा-स्पोर्ट्स में दिलचस्पी हो गई. एथलेटिक्स का अभ्यास शुरू करने के कुछ साल बाद उनकी ज़िंदगी बदल गई, जब उनकी मुलाकात उनकी गुरु पैरालंपियन फातिमा खातून से हुई और उन्होंने उनको ट्रेंड कर आगे बढ़ने में मदद की.

यह भी पढ़ें : पैरालंपिक में रुबीना फ्रांसिस ने दिलाया भारत को पांचवां पदक, शूटिंग में जीता ब्रॉन्ज मेडल
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