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डॉक्टर की गलती से अपाहिज हुए, भाई को एक्सीडेंट में खोया, जानिए सिल्वर विजेता मनीष की कहानी - Paris Paralympics 2024

paralympic Medalist Manish Narwal : पैरालंपिक में मनीष नरवाल ने सिल्वर पदक हासिल किया. उनके पदक जीतने के बाद पिता ने रोड़ एक्सीडेंट में मारे गए भाई को याद किया जिनके शोक में मनीष ने 6 महींने तक पिस्टल नहीं उठाई थी. पढ़ें पूरी खबर....

Manish narwal
मनीष नरवाल (ANI)
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By ETV Bharat Sports Team

Published : Aug 31, 2024, 7:06 AM IST

Updated : Aug 31, 2024, 7:16 AM IST

नई दिल्ली : पेरिस पैरालंपिक में भारत का शानदार अभियान जारी है. शुक्रवार को मनीष नरवाल ने पैरालंपिक में सिल्वर पदक हासिल कर देश को चौथा मेडल दिलाया है. उनके पदक जीतने के बाद पूरा परिवार काफी खुश नजर आया. मनीष ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में सिल्वर पदक हासिल किया है. मनीष ने सिल्वर जीतने के बाद अपना पदक भाई को समर्पित किया.

मनीष के यहां तक पहुंचने की कहानी उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प का परिणाम तो है ही. मनीष ने काफी गम भी झेले हैं. एक वक्त ऐसा आया जब मनीष को अपने गम से निकलने के लिए 6 महीने का वक्त लग गया और उन्होंने 6 महींने बाद पिस्तोल उठाई. दरअसल मनीष ने अपने बड़े भाई मंजीत नरवाल को कार दुर्घटना में खो दिया था.

मनीष के बड़े भाई मंजीत की कार दुर्घटना में मौत हो गई थी. मंजीत की कार एक पानी के टैंकर से टकरा गई थी उसके बाद मनीष पर मानों बहुत गम टूट पड़ा हो और वह कईं दिनों तक शोक में रहे थे. मनीष और मंजीत आपस में बहुत करीबी थे. ऐसे में उनका दुनिया से जाना मनीष के लिए काफी दुखदायी था.

मनीष के पिता दिलबाग सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा, 1 नवंबर 2022 से लेकर आज तक मनीष ने इन 668 दिनों में हर दिन अपने भाई को याद किया है. मनीष का पैरालिंपिक पदक मंजीत के लिए है. मंजीत स्वर्ग से जयकार कर रहा होगा.

मनीष के जन्म के समय डॉक्टरों द्वारा की गई एक गलती के कारण उसके दाहिने कंधे की नसें क्षतिग्रस्त हो गईं और इससे उसके दाहिने हाथ ने हरकत करना बंद कर दिया. उनके पिता ने बताया कि उन्हें, यह समझने में बहुत कम समय लगा कि उसके साथ क्या हुआ. लेकिन वह बहुत खुशमिजाज बच्चा था. वह दूसरे बच्चों के साथ खेलता था और उनके द्वारा खेले जाने वाले खेलों को भी बारीकी से देखता था.

कोच राकेश सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, जब वह 2015 में मेरे पास ट्रेनिंग के लिए आया, तो हमारे पास बाएं हाथ की पकड़ वाली पिस्तौल नहीं थी. इसलिए एक साल से अधिक समय तक वह दाएं हाथ की पकड़ वाली पिस्तौल का उपयोग करके अपने बाएं हाथ से शूटिंग करता था. नरवाल के पूर्व कोच राकेश सिंह ने कहा, 'यह कठिन था, लेकिन फिर उन्होंने इसे समायोजित कर लिया और अच्छे स्कोर बनाए.

बता दें, पेरिस पैरालंपिक में भारत ने अब तक 2 गोल्ड, 1 सिल्वर और कांस्य पदक हासिल किया है. भारत फिलहाल 4 पदकों के साथ तालिका में 17वें स्थान पर है.

यह भी पढ़ें : मनीष नरवाल ने सिल्वर पर साथा निशाना, भारत के लिए लगाया पदकों का चौका

नई दिल्ली : पेरिस पैरालंपिक में भारत का शानदार अभियान जारी है. शुक्रवार को मनीष नरवाल ने पैरालंपिक में सिल्वर पदक हासिल कर देश को चौथा मेडल दिलाया है. उनके पदक जीतने के बाद पूरा परिवार काफी खुश नजर आया. मनीष ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में सिल्वर पदक हासिल किया है. मनीष ने सिल्वर जीतने के बाद अपना पदक भाई को समर्पित किया.

मनीष के यहां तक पहुंचने की कहानी उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति और संकल्प का परिणाम तो है ही. मनीष ने काफी गम भी झेले हैं. एक वक्त ऐसा आया जब मनीष को अपने गम से निकलने के लिए 6 महीने का वक्त लग गया और उन्होंने 6 महींने बाद पिस्तोल उठाई. दरअसल मनीष ने अपने बड़े भाई मंजीत नरवाल को कार दुर्घटना में खो दिया था.

मनीष के बड़े भाई मंजीत की कार दुर्घटना में मौत हो गई थी. मंजीत की कार एक पानी के टैंकर से टकरा गई थी उसके बाद मनीष पर मानों बहुत गम टूट पड़ा हो और वह कईं दिनों तक शोक में रहे थे. मनीष और मंजीत आपस में बहुत करीबी थे. ऐसे में उनका दुनिया से जाना मनीष के लिए काफी दुखदायी था.

मनीष के पिता दिलबाग सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए कहा, 1 नवंबर 2022 से लेकर आज तक मनीष ने इन 668 दिनों में हर दिन अपने भाई को याद किया है. मनीष का पैरालिंपिक पदक मंजीत के लिए है. मंजीत स्वर्ग से जयकार कर रहा होगा.

मनीष के जन्म के समय डॉक्टरों द्वारा की गई एक गलती के कारण उसके दाहिने कंधे की नसें क्षतिग्रस्त हो गईं और इससे उसके दाहिने हाथ ने हरकत करना बंद कर दिया. उनके पिता ने बताया कि उन्हें, यह समझने में बहुत कम समय लगा कि उसके साथ क्या हुआ. लेकिन वह बहुत खुशमिजाज बच्चा था. वह दूसरे बच्चों के साथ खेलता था और उनके द्वारा खेले जाने वाले खेलों को भी बारीकी से देखता था.

कोच राकेश सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि, जब वह 2015 में मेरे पास ट्रेनिंग के लिए आया, तो हमारे पास बाएं हाथ की पकड़ वाली पिस्तौल नहीं थी. इसलिए एक साल से अधिक समय तक वह दाएं हाथ की पकड़ वाली पिस्तौल का उपयोग करके अपने बाएं हाथ से शूटिंग करता था. नरवाल के पूर्व कोच राकेश सिंह ने कहा, 'यह कठिन था, लेकिन फिर उन्होंने इसे समायोजित कर लिया और अच्छे स्कोर बनाए.

बता दें, पेरिस पैरालंपिक में भारत ने अब तक 2 गोल्ड, 1 सिल्वर और कांस्य पदक हासिल किया है. भारत फिलहाल 4 पदकों के साथ तालिका में 17वें स्थान पर है.

यह भी पढ़ें : मनीष नरवाल ने सिल्वर पर साथा निशाना, भारत के लिए लगाया पदकों का चौका
Last Updated : Aug 31, 2024, 7:16 AM IST
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