नई दिल्ली : ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम का स्वर्णिम इतिहास रहा है. एक समय ऐसा था जब भारतीय हॉकी का जलवा पूरे विश्व पर था, लेकिन टोक्यो ओलंपिक से पहले के कुछ साल ऐसे थे, जब यह टीम अपने प्रदर्शन में लगातार उतार-चढ़ाव से गुजर रही थी. टोक्यो ओलंपिक का कांस्य पदक भारतीय हॉकी टीम के लिए एक बड़ी उपलब्धि था. अब, पेरिस ओलंपिक में भारतीय हॉकी की पुरानी धाक फिर नजर आ रही है.
भारतीय हॉकी टीम ने रोमांचक क्वार्टर फाइनल मैच में ग्रेट ब्रिटेन को हराकर सेमीफाइनल में जगह बनाई. इस मुकाबले में सोनीपत के रहने वाले अभिषेक नैन और सुमित ने भी भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई. हॉकी टीम की इस जीत के बाद खिलाड़ियों के परिवार समेत पूरे देश की उम्मीद और बढ़ गई है. इस बार उम्मीद की जा रही है कि मेडल का कलर बदलेगा. हॉकी में स्वर्ण पदक को लेकर भी अपेक्षाएं बढ़ चुकी हैं.
क्वार्टर फाइनल में भारत की जीत का श्रेय गोलकीपर श्रीजेश को जाता है, जिन्होंने पेनल्टी शूट आउट में 2 गोल रोक कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. वहीं, भारत की डिफेंस के दो धुरंधर खिलाड़ी अभिषेक नैन और सुमित ने भी योगदान दिया. दोनो के परिजनों और खेल प्रेमियों में जश्न का माहौल है.
अभिषेक नैन के पिता और सुमित के भाई जयसिंह ने इस जीत पर पूरी भारतीय हॉकी टीम को श्रेय दिया. हालांकि सुमित और अभिषेक से परिवार वालों की कोई बातचीत अभी नहीं हो पाई है, क्योंकि दोनो ही खिलाड़ी आगामी मैच पर अपना फोकस कर रहे हैं.
1972 म्यूनिख ओलंपिक के बाद, यह पहला मौका है जब भारत लगातार दो ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचा है. सोशल मीडिया पर भारतीय टीम के शानदार प्रदर्शन से प्रशंसक बेहद खुश हैं. हालांकि, अमित रोहिदास को रेड कार्ड दिए जाने और बाद में एक मैच का बैन लगाने से फैंस में थोड़ी निराशा है. भारत की जीत के बाद पीआर श्रीजेश और उनके साथियों को सोशल मीडिया पर खूब प्यार मिला.
पीआर श्रीजेश निर्धारित 60 मिनट तक, और शूट आउट के दौरान अपने अविश्वसनीय बचाव के लिए भारत की क्वार्टर फाइनल जीत के हीरो रहे. यह उनका आखिरी ओलंपिक है, उम्मीद यही है कि टीम उन्हें एक यादगार विदाई देगी.