नई दिल्ली: आज की महिलाए हर क्षेत्र में आगे हैं फिर ऐसे में कबड्डी में भला पीछें क्यों रहें. कबड्डी केवल पुरुषों और शक्तिशाली लोगों के लिए नहीं बल्कि महिला के लिए भी हैं. लेकिन पुरूषों की तुलना में महिलाएं कबड्डी खेलती हुई कम ही नजर आतीं हैं. कबड्डी में महिलाएं को गंभीरता से नहीं लिया जाता है. ऐसे में महिला दिवस के इस मौके पर मीनाक्षी राव ने मेंस प्रो कबड्डी लीग में दबंग दिल्ली की मालिक राधा कपूर से खास बातचीत की है. वो इस लीग में अकेली महिला है, जो टीम की मालिक हैं.
राधा कपूर ने कहा कि, 'ऐसा नहीं है कि महिलाओं को कबड्डी में गंभीरता से नहीं लिया जाता है ये बस सिर्फ स्वीकार्यता की बात है. हमारे पास हर प्रकार की पृष्ठभूमि से आने वाले प्रतिभावान खिलाड़ी हैं. हम एक फ्रेंचाइजी के रूप में लिंग को पीछे छोड़कर हुनर की बात करते हैं'.
राधा कपूर ने न्यूयॉर्क से अपनी ग्रेजुएशन की है. इसके बाद उन्होंने डिजाइन क्षेत्र में अपना करियर बनाया. इस क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करने के बाद उन्होंने खेल के क्षेत तक यात्रा तय की. राधा विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के बीच सशक्तिकरण और प्रतिभाओं के विकास के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है. उनकी कहानी साल 2013 में मुंबई से शुरू हुई. उन्होंने क्रेएटिव क्षेत्र में अपना करियर बनाने वाले इच्छुक व्यक्तियों को सशक्त बनाने के लिए शिक्षा क्षेत्र में एक मंच प्रदान किया है.
राधा ने बताया कि वो एक ऐसा स्थान था, जहां पर मैं युवा डिजाइनरों के लिए शिक्षा प्रदान कर रही थी. यह मेरे लिए काफी हद तक एक सामान्य विषय रहा है क्योंकि मेरा मिशन हमेशा से ही युवा प्रतिभाओं को सशक्त बनाने और उनको आगे बढ़ाने के बारे में रहा है. प्रो कबड्डी लीग में स्वदेशी खेलों को बढ़ावा देने और युवा प्रतिभाओं को मुकाम तक पहुंचाना ही मेरा मकसद है.
उन्होने कहा कि, 'मैंने हमेशा व्यक्तियों को सशक्त बनाने और समुदायों के आगे बढ़ाने के लिए खेल की शक्ति में विश्वास किया है. खासकर उन लोगों के लिए जो कम विशेषाधिकार प्राप्त वाली पृष्ठभूमि से आते हैं. कबड्डी भारतीय खेल होने के नाते भारत की विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एक बेहतरीन मंच है. कबड्डी को और अधिक लोकप्रियता बनाने के लिए हम इसे बड़े वैश्विक स्तर पर कैसे ले जा सकते हैं. इस बारे में सोचना चाहिए, देश में बहुत प्रतिभा है. अब कुछ स्कूल इस खेल को वापस गंभीरता से ले रहे हैं'.
बता दें कि राधा कपूर का ध्यान क्रिकेट, बैडमिंटन और अन्य खेलों की तुलना में कबड्डी पर ज्यादा है. उन्होंने कबड्डी को उन प्रतिभाशाली व्यक्तियों को स्थिर करियर और पहचान प्रदान करने के अवसर के रूप में देखा है, जिन पर अक्सर मुख्यधारा के खेलों में ध्यान नहीं दिया जाता है.
राधा ने आगे कहा कि, 'मैं कुछ नया करना चाहती थी, कुछ ऐसा जो बदलाव ला सके. कबड्डी ने न केवल एक खेल को बढ़ावा देने का काम किया है बल्कि जमीनी स्तर की प्रतिभाओं के जीवन को ऊपर उठाने का अवसर भी प्रदान किया. कबड्डी को इस मुकाम पर पहुंचाने के लिए बहुत अधिक समर्थन की जरूरत है. लेकिन एक टीम मालिक के तौर पर अब हमने सिस्टम तैयार कर दिया है. हमें अब कबड्डी जैसे गुमनाम खेल में प्रतिभाओं को निखारने और उनका करियर बनाने में मदद करनी है. इसके लिए हम काफी ज्यादा उत्सुकता से काम कर रहे हैं'.
जब राधा से पूछा गया कि प्रो कबड्डी लीग में कितनी महिलाएं मिल सकती हैं. तो उन्होंने कहा एडमिनिस्टेशन के अलावा कोई भी महिला नहीं है. मेरे अलावा कोई भी टीम मालिक महिला नहीं है. इसके अलावा मैनेजमेंट और फिजियोथेरेपिस्ट में भी कोई महिला नहीं हैं. इससे राधा कपूर को कोई परेशानी भी नहीं है. उनका लक्ष्य है कि वो कबड्डी में युवा प्रतिभाओं को तैयार करें और कबड्डी लीग के लिए एक अकादमी स्थापित करें. इसके साथ ही महिलाओं के लिए खेल का विस्तार भी करें.
उन्होंने कहा हम अब महिलाओं, विशेषकर लड़कियों को कबड्डी के खेल में रुचि दिलाने पर ध्यान दे रहे हैं. हम इसे एक साइड चीज के रूप में शुरू कर सकते हैं ताकि खेल साल में सिर्फ एक बार तीन महीने के लिए न हो बल्कि इसे जमीनी स्तर पर शुरुआती महिला टूर्नामेंटों के माध्यम से पूरे साल जारी रखा जाए और फिर उन्हें आगे बढ़ाया जाए. हमें एक टीम की जरूरत है जो जमीनी स्तर पर जाए और युवा रेडरों और डिफेंडर्स की खोज करे ताकि हम उनका करियर बनाने में मदद कर सकें.
आपको बता दें कि पुरुष-प्रधान समाज में रहते हुए राधा कपूर ने चुनौतियों का सामना करने के बावजूद बाधाओं को तोड़ा है. इसके साथ ही उन्होंने खुद तो नाम कमाया है लेकिन अब वो युवा प्रतिभाओं के लिए काम कर रहीं हैं.