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बांस की स्टिक से हॉकी खेल की प्रैक्टिस, मां ने की मजदूरी; पढ़िए गाजीपुर के बेटे राजकुमार का ओलंपिक तक पहुंचने का संघर्ष - Hockey Player Rajkumar Pal

पेरिस ओलंपिक में हिस्सा लेने पहुंची भारतीय टीम हॉकी टीम में राजकुमार पाल गाजीपुर के एक छोटे से गांव से कभी प्रैक्टिस शुरू की थी. बचपन में पिता का साया उठने के बाद भी मां ने मेहनत मजदूरी कर इस मुकाम तक पहुंचाया. पढ़ें ईटीवी भारत की एक्सलूसिव रिपोर्ट में राजकुमार की संघर्ष गाथा.

हॉकी खिलाड़ी राजकुमार.
हॉकी खिलाड़ी राजकुमार. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 27, 2024, 5:46 PM IST

खेतों में मजदूरी करने वाली मां का बेटा कैसे बना ओलंपिक खिलाड़ी, पूरी रिपोर्ट… (Video Credit; ETV Bharat)

गाजीपुरः जिले खानपुर थाना क्षेत्र का करमपुर गांव के रहने वाले राजकुमार पाल का चयन इंडियन हॉकी टीम के लिए हुआ है. यह टीम 2024 के ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है. जिसका पहला मुकाबला आज 9 बजे इंग्लैंड के साथ है. 16 सदस्यों की भारतीय टीम में शामिल राजकुमार पाल की छोटे से गांव से निकल कर ओलंपिक तक सफर तय करने में बहुत संघर्ष किया है. ड्राइवर पिता की मौत के बाद मां ने मेहनत मजदूरी कर बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाया है. ईटीवी भारत की टीम जब राजकुमार पाल की मां से बातचीत करने पहुंची तो वह बहुत खुश हुईं और बेटे पर गर्व भी महसूस करती हुई दिखीं. हालांकि अपने परिवार और बेटे की कहानी बताते-बताते भावुक हो उठती थीं.

राजकुमार पाल की मां और परिवार के सदस्य.
राजकुमार पाल की मां और परिवार के सदस्य. (Photo Credit; ETV Bharat)

2011 में उठ गया था पिता का साया
राजकुमार पाल की मां मनराजी पाल ने बताया कि पेशे से ड्राइवर उनके पति का देहांत 2011 में हो गया था. इसके बाद तीन लड़कों के साथ पूरे परिवार का बोझ उनके ऊपर पड़ गया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने बताया कि बड़े भाइंयों के साथ राजकुमार पाल ने अपने कैरियर की शुरुआत करमपुर गांव स्थित मेघबरन स्टेडियम से शुरू की थी.

बड़े भाई स्टेडियम साथ नहीं ले जाते थे
मां मनराजी देवी ने बताया कि जब राजकुमार छोटा था तो भाइयों के साथ स्टेडियम जाने के लिए रोता था. लेकिन छोटा होने की वजह से भाई उसे छोड़कर चले जाते थे तो वह बांस के डंडे से खेलता था. मां ने बताया कि 2008 में जब राजकुमार 8 से 9 वर्ष का था तो इसकी लगन को देखते हुए स्टेडियम के कर्ताधर्ता स्वर्गीय तेजू सिंह ने एक साल के लिए पंजाब एकेडमी में भेजा था. उसके बाद लौटने के बाद राकुमार पाल ने हाकी में खूब मेहनत की और ओलंपिक खेलने गए हैं. हम चाहते हैं कि जीत कर फूल माला और बैंड बाजा के साथ घर आएं.

राजकुमार 4 साल से भारतीय टीम का हिस्सा
वहीं, मेघबरन स्टेडियम के वर्तमान में प्रबंधक अनिकेत सिंह ने बताया कि राजकुमार पाल यहां से खेलकर पहले जूनियर इंडिया और फिर राष्ट्रीय हॉकी टीम में बतौर मिड फील्ड के एक्सपर्ट हैं. पेरिस ओलंपिक में भारतीय टीम में वह भी खेलने गए हैं. उन्होंने बताया कि उनसे काफी उम्मीदें हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 4 सालों से राजकुमार नेशनल टीम के हिस्सा है. उनकी लगातार बेहतर परफॉर्मेंस को देखते हुए पेरिस ओलिंपिक की हॉकी टीम में शामिल किया गया है. उनके साथ इसी स्टेडियम के ललित उपाध्याय भी भारतीय हाकी टीम में स्ट्राइकर हैं. सोलह सदस्यीय हॉकी टीम में इसी स्टेडियम के दो खिलाड़ियों के खेलने से क्षेत्र के साथ जनपद और सूबे का मन सम्मान बढ़ा है.

बचनपन से ही हॉकी के प्रति जुनून था
हॉकी कोच इंद्रदेव ने बताया कि राजकुमार पाल जुनूनी था, शुरू से ही मेहनती और खेल के प्रति समर्पित था. यही वजह है कि अभाव के बावजूद आज राजकुमार पाल और ललित उपाध्याय दोनों भारतीय टीम का हिस्सा होकर पेरिस ओलंपिक में देश का मान बढ़ा रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-सहारनपुर की प्राची ने गांव की पगडंडियों से की दौड़ने की शुरुआत, अब ओलंपिक गेम्स में गोल्ड की आस

खेतों में मजदूरी करने वाली मां का बेटा कैसे बना ओलंपिक खिलाड़ी, पूरी रिपोर्ट… (Video Credit; ETV Bharat)

गाजीपुरः जिले खानपुर थाना क्षेत्र का करमपुर गांव के रहने वाले राजकुमार पाल का चयन इंडियन हॉकी टीम के लिए हुआ है. यह टीम 2024 के ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है. जिसका पहला मुकाबला आज 9 बजे इंग्लैंड के साथ है. 16 सदस्यों की भारतीय टीम में शामिल राजकुमार पाल की छोटे से गांव से निकल कर ओलंपिक तक सफर तय करने में बहुत संघर्ष किया है. ड्राइवर पिता की मौत के बाद मां ने मेहनत मजदूरी कर बेटे को इस मुकाम तक पहुंचाया है. ईटीवी भारत की टीम जब राजकुमार पाल की मां से बातचीत करने पहुंची तो वह बहुत खुश हुईं और बेटे पर गर्व भी महसूस करती हुई दिखीं. हालांकि अपने परिवार और बेटे की कहानी बताते-बताते भावुक हो उठती थीं.

राजकुमार पाल की मां और परिवार के सदस्य.
राजकुमार पाल की मां और परिवार के सदस्य. (Photo Credit; ETV Bharat)

2011 में उठ गया था पिता का साया
राजकुमार पाल की मां मनराजी पाल ने बताया कि पेशे से ड्राइवर उनके पति का देहांत 2011 में हो गया था. इसके बाद तीन लड़कों के साथ पूरे परिवार का बोझ उनके ऊपर पड़ गया, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने बताया कि बड़े भाइंयों के साथ राजकुमार पाल ने अपने कैरियर की शुरुआत करमपुर गांव स्थित मेघबरन स्टेडियम से शुरू की थी.

बड़े भाई स्टेडियम साथ नहीं ले जाते थे
मां मनराजी देवी ने बताया कि जब राजकुमार छोटा था तो भाइयों के साथ स्टेडियम जाने के लिए रोता था. लेकिन छोटा होने की वजह से भाई उसे छोड़कर चले जाते थे तो वह बांस के डंडे से खेलता था. मां ने बताया कि 2008 में जब राजकुमार 8 से 9 वर्ष का था तो इसकी लगन को देखते हुए स्टेडियम के कर्ताधर्ता स्वर्गीय तेजू सिंह ने एक साल के लिए पंजाब एकेडमी में भेजा था. उसके बाद लौटने के बाद राकुमार पाल ने हाकी में खूब मेहनत की और ओलंपिक खेलने गए हैं. हम चाहते हैं कि जीत कर फूल माला और बैंड बाजा के साथ घर आएं.

राजकुमार 4 साल से भारतीय टीम का हिस्सा
वहीं, मेघबरन स्टेडियम के वर्तमान में प्रबंधक अनिकेत सिंह ने बताया कि राजकुमार पाल यहां से खेलकर पहले जूनियर इंडिया और फिर राष्ट्रीय हॉकी टीम में बतौर मिड फील्ड के एक्सपर्ट हैं. पेरिस ओलंपिक में भारतीय टीम में वह भी खेलने गए हैं. उन्होंने बताया कि उनसे काफी उम्मीदें हैं. उन्होंने बताया कि पिछले 4 सालों से राजकुमार नेशनल टीम के हिस्सा है. उनकी लगातार बेहतर परफॉर्मेंस को देखते हुए पेरिस ओलिंपिक की हॉकी टीम में शामिल किया गया है. उनके साथ इसी स्टेडियम के ललित उपाध्याय भी भारतीय हाकी टीम में स्ट्राइकर हैं. सोलह सदस्यीय हॉकी टीम में इसी स्टेडियम के दो खिलाड़ियों के खेलने से क्षेत्र के साथ जनपद और सूबे का मन सम्मान बढ़ा है.

बचनपन से ही हॉकी के प्रति जुनून था
हॉकी कोच इंद्रदेव ने बताया कि राजकुमार पाल जुनूनी था, शुरू से ही मेहनती और खेल के प्रति समर्पित था. यही वजह है कि अभाव के बावजूद आज राजकुमार पाल और ललित उपाध्याय दोनों भारतीय टीम का हिस्सा होकर पेरिस ओलंपिक में देश का मान बढ़ा रहे हैं.

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