बेतिया: आमिर खान की फिल्म दंगल का डायलॉग 'म्हारी छोरियां, छोरों से कम है के' काफी वायरल हुआ था. इस फिल्मी डायलॉग ने कई स्तर पर प्रेरणा दीं, यही कारण है कि आज देश में स्पोर्ट्स के क्षेत्र में बेटियों की भागेदारी काफी ज्यादा बढ़ गई है. हम बात कर रहे हैं बेतिया के नरकटियागंज अनुमंडल क्षेत्र गौनाहा प्रखंड का थरुहट की. जहां पटना में आयोजित बिहार राज्य एथलेटिक्स प्रतियोगिता में इन लड़कियों ने एक-दो नहीं बल्कि 10 गोल्ड मेडल लेकर आई और बिहार का नाम रोशन किया.
एथलेटिक्स में बेतिया की बेटियां आगे: बेतिया में कभी लड़कियां घर की दहलीज पर नहीं कर पाती थी. आज वह लड़कियां नए-नए कीर्तिमान हासिल कर रही हैं. पश्चिमी चंपारण जिले के खिलाड़ियों को इन लड़कियों से कुछ सीखने की जरूरत है. जो खिलाड़ी संसाधनों के अभाव में, संसाधन का रोना रोते हैं. उन खिलाड़ियों के लिए यह लड़कियां एक मिसाल हैं. इन लड़कियों के हौसले बुलंद है. संसाधन के अभाव के बावजूद, खेल संसाधनों के अभाव के आगे खिलाड़ियों का जनून व्यवस्था पर भारी पड़ गया. सरकार को इन लड़कियों पर ध्यान देने की जरूरत है.
"सरकार को इन बच्चियों पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि यह बच्चियां और आगे बढ़ सके. एक खेल ग्राउंड की जरूरत है ताकि यह बच्चियां अच्छे से प्रैक्टिस कर सके. क्योंकि नदी किनारे इन्हें डर लगता है और गौनाहा का यह क्षेत्र सिठी गांव चारों तरफ से जंगल से घिरा हुआ है. ऐसे में जंगली जानवरों का भी डर बना रहता है. इनके हौसले बुलंद हैं. यह पढ़ना चाहती हैं. खेलना चाहती हैं और आगे बढ़ना चाहती हैं."-डॉ. वीरेंद्र नारायण, टीम के संरक्षक व समाजसेवी
बेटियों ने मेहनत के बल मुकाम हासिल किया: आज थरुहट की इन बेटियों ने कमाल करके दिखाया है. लड़कियों ने खेल के क्षेत्र में भी गांव समेत पूरे चंपारण का नाम रोशन किया है. हाल ही में पटना में आयोजित बिहार स्कूली एथलेटिक्स प्रतियोगिता में गौनाहा प्रखंड के थरुहट क्षेत्र के सीठी गांव की लगभग एक दर्जन बेटियों ने बिना किसी संसाधन के 10 गोल्ड मेडल, दो ब्रांज मेडल जीतकर अपना जलवा पूरे सूबे को दिखा दिया है. बच्चियों की इस कामयाबी पर हर कोई उन्हें बधाई दे रहा है.
"थरुहट की इन बेटियों ने कमाल करके दिखाया है. यह सभी खिलाड़ी ग्रामीण क्षेत्र से आती हैं. जिसके पास अभ्यास करने को ना तो मैदान है और ना ही संसाधन. ये सभी खिलाड़ी नदी किनारे मैदान बनाकर प्रतिदिन अभ्यास करती हैं. यह बच्चियों सरकार से एक खेल ग्राउंड की मांग कर रही है ताकि उसमें यह अभ्यास कर सके. खेल संसाधनों की मांग कर रही है ताकि यह और आगे बढ़ सके. सरकार को इन खिलाड़ियों पर ध्यान देने की जरूरत है." -सुमित पांडेय, कोच
"बच्चियों ने अपनी मेहनत के बल पर यह मुकाम हासिल किया है. इन खिलाड़ियों के लिए संसाधन कहीं रोडा नहीं बन. लेकिन संसाधनों के अभाव में उनकी प्रतिभा मात खा रही है. अगर इन्हें खेल के संसाधन मुहैया हो उनके प्रैक्टिस के लिए एक खेल का मैदान मिल जाए तो यह लड़कियां और आगे बढ़ेंगी." -राजेश गढ़वाल, गौनाहा ब्लॉक, उप प्रमुख
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