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शारदीय नवरात्रि 2024: माता रानी के विदाई के दिन और सवारी से जानें देश पर क्या होता है असर - Shardiya Navratri 2024

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

Shardiya Navratri 2024: साल में नवरात्रि चार बार आती है, लेकिन वासंतिक और शारदीय नवरात्रि का महत्व ज्यादा है. इस बार नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो रही है. आइये जानते हैं इससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बातें....

SHARDIYA NAVRATRI 2024
शारदीय नवरात्रि 2024 (ETV Bharat)

हैदराबाद: शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 3 अक्टूबर दिन गुरुवार से शुरू हो रहा है. नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना की जाती है. शास्त्रों में मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहा गया है. इसलिए इसे शक्ति की उपासना का पर्व भी कहा जाता है. बता दें, नवरात्रि में नौ दिनों तक व्रत किये जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के व्रत रखने वालों को मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और सभी संकट दूर हो जाते हैं. माता रानी उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. इस समय तंत्र-मंत्र साधना पूजा का विशेष महत्वपूर्ण समय है.

लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इस वर्ष 3 अक्टूबर गुरुवार को अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर नवरात्रि की प्रथम स्थापना पड़ रही है. प्रातः काल 5:30 बजे सुबह से रात 11 बजे तक अति विशिष्ट शुभ मुहूर्त है. कलश स्थापना का अति विशिष्ट शुभ मुहूर्त है, नवरात्रि के प्रथम दिन अर्थात प्रतिपदा रात 1 बजकर 09 बजे तक है. नवरात्रि में कलश स्थापना करने के पश्चात व्रत एवं पूजा विधि विधान से प्रारम्भ करनी चाहिए. महाष्टमी 10 अक्टूबर बृहस्पतिवार 2024 को, नवमी 11 अक्टूबर शुक्रवार को है. 12 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन एवम विजय दशमी का त्यौहार है.

शारदीय नवरात्रि के सभी तिथियों के कार्यक्रम की लिस्ट
देवी भागवत पुराण में नवरात्रि पर माता रानी की सवारी का विशेष महत्व बताया गया है. हर साल मां अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं. मां का हर वाहन विशेष संदेश देता है.

पुराणों के अनुसार नवरात्रि पर मां भगवती के आने व जाने की सवारी और उसका फल

देवी भागवत के अनुसार माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार साल भर होने वाली घटनाओं का भी आंकलन किया जाता है.

  1. तत्तफलम :

गजे च जलदा देवी, क्षत्र भंगस्तुरंगमे !
नोकायां सर्वसिद्धिस्यां, ढोलायां मरणंधुवम् !!
देवी जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तब पानी अधिक बरसता है. घोड़े पर आती हैं तब पड़ोसी देशों से युद्ध एवं सत्ता परिवर्तन की आशंका बढ़ जाती है. जब देवी नौका पर आती हैंं तब सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और जब डोली पर आती हैं तब महामारी फैलने का भय बना रहता हैं.

शशि सूर्ये गजारूढ़ा, शनि भौमे तुरंगमे!
गुरौ शुक्रे चदोलायां, बुधे नौका प्रकी‌र्त्तितः!!

देवी भागवत के इस श्लोक के अनुसार सोमवार व रविवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं. शनिवार और मंगलवार को नवरात्र शुरू होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर माता डोली में बैठकर आती हैं. बुधवार से नवरात्रि शुरू होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं.

इस नवरात्रि पर मां भगवती डोली पर सवार होकर गुरुवार के दिन आ रही हैं, जिससे महामारी फैलने की संभावना है और रविवार को महिषा पर सवार होकर विदा होंगी. अतः इस बार देश में रोग और शोक बढ़ने का संकेत मिल रहा है.

किस दिन कौन-से वाहन पर सवार होकर मां भगवती जाती हैं, तब क्या फल देतीं हैं
देवी भागवत के अनुसार नवरात्रि का आखिरी दिन तय करता है कि जाते समय माता का वाहन कौन सा होगा? अर्थात नवरात्रि के अंतिम दिन कौन सा दिन पड़ रहा है, उसी के अनुसार देवी का वाहन भी तय होता है.

शशिसूर्य दिने यदि सा विजया,
महिषागमने रुज शोककरा !
शनि भौमदिने यदि सा विजया,
चरणायुध यानि करी विकला !!
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया,
गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा !
सुरराजगुरौ यदि सा विजया,
नरवाहन गा शुभ सौख्यकरा !!
रविवार और सोमवार को देवी भैंसा की सवारी से जाती हैं तब देश में रोग और शोक बढ़ता है. शनिवार और मंगलवार को देवी चरणायुध (मुर्गे पर सवार होकर) जब प्रस्थान करती हैंं, तब दुख और कष्ट की वृद्धि होती है. बुद्धवार और शुक्रवार को देवी हाथी पर सवार होकर जाती हैंं, तब इससे बारिश अधिक होती है. गुरुवार को मां भगवती मनुष्य की सवारी करके जाती हैं. जिससे सुख और शांति की वृद्धि होती है.

इस नवरात्रि पर मां भगवती शनिवार को विदा होंगी. अतः इस बार देश में रोग और शोक बढ़ने का संकेत मिल रहा है.

नवरात्रि के समय कुछ कार्यों को करने से माता रानी प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं. यह सात कार्य इस प्रकार हैं-

  • नवरात्रि पर्वों पर व्रत रखने पूजा उपासना करने और कलश स्थापन से मां दुर्गा पूरे वर्ष अपनी कृपा बरसाती हैं.
  • शारदीय नवरात्रि पर माता रानी को चढ़ाएं कमलगट्टा- अपने हर काम में सफलता पाने और धन-सम्पदा प्राप्त करने के लिए नवरात्रि की अष्टमी के दिन माता महागौरी को कमल गट्टा अवश्य चढ़ाएं. कमल गट्टे के साथ माता का सबसे प्रिय लाल गुड़हल का फूल भी चढ़ाएं.
  • शारदीय नवरात्रि की सभी नौ तिथियों पर माता रानी को प्रतिदिन ताजे पुष्प अर्पित करें- हर दिन नवरात्रि में देवी को ताजे फूल चढ़ाना चाहिए और पूजा घर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. पुराने हो चुके फूलों की कभी भी कूड़े दान में नहीं फेंकना चाहिए बल्कि किसी नदी अथवा पोखर में प्रवाहित कर देना चाहिए.
  • नवरात्रि पर हर रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए- नवरात्रि पर हर रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. दुर्गा सप्तशी का पाठ करने से आपके सभी तरह के बिगड़े हुए काम पूरे होने लगते हैं.
  • नवरात्रि पर गाय को रोटी अवश्य खिलाएं- नवरात्रि पर गाय को रोटी अवश्य खिलाना चाहिए. हर तरह की मनोकामना को पूरा करने के लिए नवरात्रि पर गाय को रोटी अवश्य खिलाएं. नवरात्रि के नौ दिन तक ऐसा करने पर भाग्य का साथ मिलने लगता है.

पढ़ें: शारदीय नवरात्रि 2024: जानें, प्रमुख तिथियां, दुर्गा पूजा से जुड़ी मान्यताएं, अनुष्ठान व महत्व

हैदराबाद: शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व 3 अक्टूबर दिन गुरुवार से शुरू हो रहा है. नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-आराधना की जाती है. शास्त्रों में मां दुर्गा को शक्ति की देवी कहा गया है. इसलिए इसे शक्ति की उपासना का पर्व भी कहा जाता है. बता दें, नवरात्रि में नौ दिनों तक व्रत किये जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि के व्रत रखने वालों को मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और सभी संकट दूर हो जाते हैं. माता रानी उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं. इस समय तंत्र-मंत्र साधना पूजा का विशेष महत्वपूर्ण समय है.

लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इस वर्ष 3 अक्टूबर गुरुवार को अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर नवरात्रि की प्रथम स्थापना पड़ रही है. प्रातः काल 5:30 बजे सुबह से रात 11 बजे तक अति विशिष्ट शुभ मुहूर्त है. कलश स्थापना का अति विशिष्ट शुभ मुहूर्त है, नवरात्रि के प्रथम दिन अर्थात प्रतिपदा रात 1 बजकर 09 बजे तक है. नवरात्रि में कलश स्थापना करने के पश्चात व्रत एवं पूजा विधि विधान से प्रारम्भ करनी चाहिए. महाष्टमी 10 अक्टूबर बृहस्पतिवार 2024 को, नवमी 11 अक्टूबर शुक्रवार को है. 12 अक्टूबर को मूर्ति विसर्जन एवम विजय दशमी का त्यौहार है.

शारदीय नवरात्रि के सभी तिथियों के कार्यक्रम की लिस्ट
देवी भागवत पुराण में नवरात्रि पर माता रानी की सवारी का विशेष महत्व बताया गया है. हर साल मां अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं. मां का हर वाहन विशेष संदेश देता है.

पुराणों के अनुसार नवरात्रि पर मां भगवती के आने व जाने की सवारी और उसका फल

देवी भागवत के अनुसार माता दुर्गा जिस वाहन से पृथ्वी पर आती हैं, उसके अनुसार साल भर होने वाली घटनाओं का भी आंकलन किया जाता है.

  1. तत्तफलम :

गजे च जलदा देवी, क्षत्र भंगस्तुरंगमे !
नोकायां सर्वसिद्धिस्यां, ढोलायां मरणंधुवम् !!
देवी जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तब पानी अधिक बरसता है. घोड़े पर आती हैं तब पड़ोसी देशों से युद्ध एवं सत्ता परिवर्तन की आशंका बढ़ जाती है. जब देवी नौका पर आती हैंं तब सभी की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और जब डोली पर आती हैं तब महामारी फैलने का भय बना रहता हैं.

शशि सूर्ये गजारूढ़ा, शनि भौमे तुरंगमे!
गुरौ शुक्रे चदोलायां, बुधे नौका प्रकी‌र्त्तितः!!

देवी भागवत के इस श्लोक के अनुसार सोमवार व रविवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं. शनिवार और मंगलवार को नवरात्र शुरू होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है. गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र शुरू होने पर माता डोली में बैठकर आती हैं. बुधवार से नवरात्रि शुरू होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं.

इस नवरात्रि पर मां भगवती डोली पर सवार होकर गुरुवार के दिन आ रही हैं, जिससे महामारी फैलने की संभावना है और रविवार को महिषा पर सवार होकर विदा होंगी. अतः इस बार देश में रोग और शोक बढ़ने का संकेत मिल रहा है.

किस दिन कौन-से वाहन पर सवार होकर मां भगवती जाती हैं, तब क्या फल देतीं हैं
देवी भागवत के अनुसार नवरात्रि का आखिरी दिन तय करता है कि जाते समय माता का वाहन कौन सा होगा? अर्थात नवरात्रि के अंतिम दिन कौन सा दिन पड़ रहा है, उसी के अनुसार देवी का वाहन भी तय होता है.

शशिसूर्य दिने यदि सा विजया,
महिषागमने रुज शोककरा !
शनि भौमदिने यदि सा विजया,
चरणायुध यानि करी विकला !!
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया,
गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा !
सुरराजगुरौ यदि सा विजया,
नरवाहन गा शुभ सौख्यकरा !!
रविवार और सोमवार को देवी भैंसा की सवारी से जाती हैं तब देश में रोग और शोक बढ़ता है. शनिवार और मंगलवार को देवी चरणायुध (मुर्गे पर सवार होकर) जब प्रस्थान करती हैंं, तब दुख और कष्ट की वृद्धि होती है. बुद्धवार और शुक्रवार को देवी हाथी पर सवार होकर जाती हैंं, तब इससे बारिश अधिक होती है. गुरुवार को मां भगवती मनुष्य की सवारी करके जाती हैं. जिससे सुख और शांति की वृद्धि होती है.

इस नवरात्रि पर मां भगवती शनिवार को विदा होंगी. अतः इस बार देश में रोग और शोक बढ़ने का संकेत मिल रहा है.

नवरात्रि के समय कुछ कार्यों को करने से माता रानी प्रसन्न होकर सुख-समृद्धि का वरदान देती हैं. यह सात कार्य इस प्रकार हैं-

  • नवरात्रि पर्वों पर व्रत रखने पूजा उपासना करने और कलश स्थापन से मां दुर्गा पूरे वर्ष अपनी कृपा बरसाती हैं.
  • शारदीय नवरात्रि पर माता रानी को चढ़ाएं कमलगट्टा- अपने हर काम में सफलता पाने और धन-सम्पदा प्राप्त करने के लिए नवरात्रि की अष्टमी के दिन माता महागौरी को कमल गट्टा अवश्य चढ़ाएं. कमल गट्टे के साथ माता का सबसे प्रिय लाल गुड़हल का फूल भी चढ़ाएं.
  • शारदीय नवरात्रि की सभी नौ तिथियों पर माता रानी को प्रतिदिन ताजे पुष्प अर्पित करें- हर दिन नवरात्रि में देवी को ताजे फूल चढ़ाना चाहिए और पूजा घर की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए. पुराने हो चुके फूलों की कभी भी कूड़े दान में नहीं फेंकना चाहिए बल्कि किसी नदी अथवा पोखर में प्रवाहित कर देना चाहिए.
  • नवरात्रि पर हर रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए- नवरात्रि पर हर रोज दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए. दुर्गा सप्तशी का पाठ करने से आपके सभी तरह के बिगड़े हुए काम पूरे होने लगते हैं.
  • नवरात्रि पर गाय को रोटी अवश्य खिलाएं- नवरात्रि पर गाय को रोटी अवश्य खिलाना चाहिए. हर तरह की मनोकामना को पूरा करने के लिए नवरात्रि पर गाय को रोटी अवश्य खिलाएं. नवरात्रि के नौ दिन तक ऐसा करने पर भाग्य का साथ मिलने लगता है.

पढ़ें: शारदीय नवरात्रि 2024: जानें, प्रमुख तिथियां, दुर्गा पूजा से जुड़ी मान्यताएं, अनुष्ठान व महत्व

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