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Basant panchami : जानिए बसंत पंचमी से जुड़ी प्रचलित पौराणिक व धार्मिक मान्यताएं

Basant panchami : ऋतुराज बसंत का आगमन हो चुका है. बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती का पूजन व मांगलिक कार्यों को संपन्न या इसकी शुरुआत की जाती है. आईए जानते हैं बसंत पंचमी से जुड़ी हुई पौराणिक मान्यताएं व शुभ मुहूर्त. Basant panchami 2024 . saraswati puja 2024 , vasant panchami 2024 , 14 february day special , saraswati puja 2024 , maa saraswati , saraswati photo , saraswati mata

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माता सरस्वती
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 14, 2024, 10:53 AM IST

हैदराबाद : ऋतुराज बसंत का आगमन हो चुका है, हिंदू मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. Basant panchami का मुख्य आकर्षण माता सरस्वती का पूजन आवाहन होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण की शुरुआत की थी और ज्ञान की देवी माता सरस्वती का प्राकट्य हुआ था. हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है.

मां सरस्वती का दिन होने के कारण यह दिन विद्या आरंभ के लिए बहुत ही उपयुक्त माना जाता है. बच्चों के विद्या आरंभ के साथ ही इस दिन प्राचीन काल में माता-पिता अपने बच्चों को गुरुकुल शिक्षा के लिए भेजते थे. बच्चों का मुंडन, अन्नप्राशन संस्कार, भूमिृ-पूजन, गृह-प्रवेश और अन्य जरूरी महत्वपूर्ण शुभ मांगलिक कार्यों को संपन्न किया जाता है या इसकी शुरुआत की जाती है. आईए जानते हैं Basant panchami से जुड़ी हुई कुछ अन्य पौराणिक मान्यताएं.

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माता सरस्वती

रति महोत्सव का आयोजन
यदि हम पौराणिक मान्यताओं की बात करें तो बसंत पंचमी का उल्लेख रामायण आदि में भी मिलता है. इसी दिन भगवान श्री राम शबरी की कुटिया पहुंचे थे. शबरी की कुटिया वर्तमान में गुजरात के डांग जिले में है. इसलिए गुजरात के कुछ क्षेत्रों में Basant panchami का त्योहार विशेष महत्व रखता है. प्रचलित मान्यता है कि इस दिन विवाह से पहले भगवान शिव का तिलकोत्सव हुआ था. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने के लिए Basant panchami के दिन रति महोत्सव का आयोजन कर कामदेव व देवी रति की पूजा की जाती है. कालिदास और बसंत पंचमी और कालिदास से जुड़ी मान्यता है कि कालिदास पहले इतने प्रतिभाशाली नहीं थे. लेकिन जब कालिदास की पत्नी ने उनका त्याग कर दिया तब वह आत्महत्या के लिए नदी किनारे पहुंचे, तब माता सरस्वती ने उन्हें दर्शन दिया और नदी में स्नान करने के लिए कहा. जब वह स्नान कर बाहर आए तब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और उसके बाद वह एक महान कवि और लेखक बन पाए.

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बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती का पूजन

पीले रंग का इस्तेमाल करें
Basant panchami के दिन मां सरस्वती को पीले भोग जैसे पीली मिठाई, पीले चावल आदि अर्पित करें, इसके साथ ही उन्हें पीले वस्त्र भी अर्पित करें जिससे वह अति प्रसन्न होती हैं और बुद्धि-ज्ञान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. इस दिन पारंपरिक रूप से माता को केसर-हलवे का भोग लगाया जाता है, जो उन्हें अत्यंत प्रिय है. इसके साथ ही उन्हें पीले लड्डू और बूंदी भी अति प्रिय है. इन सभी भोग को अर्पित करने व प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं.

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष बसंत पंचमी 14 फरवरी को बुधवार को मनाई जाएगी. पंचमी तिथि 13 फरवरी को ही शुरू हो जाएगी परंतु उदया तिथि होने के कारण बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाएगा इस दिन पंचमी तिथि दोपहर 12:00 बजे तक ही रहेगी इसलिए दोपहर 12:00 से पहले सभी शुभ मांगलिक कार्यों को संपन्न करना चाहिए. Basant panchami 2024 . saraswati puja 2024 , vasant panchami 2024 , 14 february day special , saraswati puja 2024 , maa saraswati , saraswati photo , saraswati mata

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हैदराबाद : ऋतुराज बसंत का आगमन हो चुका है, हिंदू मान्यताओं के अनुसार बसंत पंचमी के दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है. Basant panchami का मुख्य आकर्षण माता सरस्वती का पूजन आवाहन होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान ब्रह्मा जी ने सृष्टि निर्माण की शुरुआत की थी और ज्ञान की देवी माता सरस्वती का प्राकट्य हुआ था. हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है.

मां सरस्वती का दिन होने के कारण यह दिन विद्या आरंभ के लिए बहुत ही उपयुक्त माना जाता है. बच्चों के विद्या आरंभ के साथ ही इस दिन प्राचीन काल में माता-पिता अपने बच्चों को गुरुकुल शिक्षा के लिए भेजते थे. बच्चों का मुंडन, अन्नप्राशन संस्कार, भूमिृ-पूजन, गृह-प्रवेश और अन्य जरूरी महत्वपूर्ण शुभ मांगलिक कार्यों को संपन्न किया जाता है या इसकी शुरुआत की जाती है. आईए जानते हैं Basant panchami से जुड़ी हुई कुछ अन्य पौराणिक मान्यताएं.

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माता सरस्वती

रति महोत्सव का आयोजन
यदि हम पौराणिक मान्यताओं की बात करें तो बसंत पंचमी का उल्लेख रामायण आदि में भी मिलता है. इसी दिन भगवान श्री राम शबरी की कुटिया पहुंचे थे. शबरी की कुटिया वर्तमान में गुजरात के डांग जिले में है. इसलिए गुजरात के कुछ क्षेत्रों में Basant panchami का त्योहार विशेष महत्व रखता है. प्रचलित मान्यता है कि इस दिन विवाह से पहले भगवान शिव का तिलकोत्सव हुआ था. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार गृहस्थ जीवन को सुखी बनाने के लिए Basant panchami के दिन रति महोत्सव का आयोजन कर कामदेव व देवी रति की पूजा की जाती है. कालिदास और बसंत पंचमी और कालिदास से जुड़ी मान्यता है कि कालिदास पहले इतने प्रतिभाशाली नहीं थे. लेकिन जब कालिदास की पत्नी ने उनका त्याग कर दिया तब वह आत्महत्या के लिए नदी किनारे पहुंचे, तब माता सरस्वती ने उन्हें दर्शन दिया और नदी में स्नान करने के लिए कहा. जब वह स्नान कर बाहर आए तब उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और उसके बाद वह एक महान कवि और लेखक बन पाए.

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बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती का पूजन

पीले रंग का इस्तेमाल करें
Basant panchami के दिन मां सरस्वती को पीले भोग जैसे पीली मिठाई, पीले चावल आदि अर्पित करें, इसके साथ ही उन्हें पीले वस्त्र भी अर्पित करें जिससे वह अति प्रसन्न होती हैं और बुद्धि-ज्ञान का आशीर्वाद प्रदान करती हैं. इस दिन पारंपरिक रूप से माता को केसर-हलवे का भोग लगाया जाता है, जो उन्हें अत्यंत प्रिय है. इसके साथ ही उन्हें पीले लड्डू और बूंदी भी अति प्रिय है. इन सभी भोग को अर्पित करने व प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से माता अत्यंत प्रसन्न होती हैं.

बसंत पंचमी का शुभ मुहूर्त
इस वर्ष बसंत पंचमी 14 फरवरी को बुधवार को मनाई जाएगी. पंचमी तिथि 13 फरवरी को ही शुरू हो जाएगी परंतु उदया तिथि होने के कारण बसंत पंचमी का त्योहार 14 फरवरी को मनाया जाएगा इस दिन पंचमी तिथि दोपहर 12:00 बजे तक ही रहेगी इसलिए दोपहर 12:00 से पहले सभी शुभ मांगलिक कार्यों को संपन्न करना चाहिए. Basant panchami 2024 . saraswati puja 2024 , vasant panchami 2024 , 14 february day special , saraswati puja 2024 , maa saraswati , saraswati photo , saraswati mata

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