ETV Bharat / spiritual

शनि देव की टेढ़ी नजर से जीवन में आती हैं विपत्तियां, पूजा में भूलकर भी ना करें ऐसी गलती - Shani Dev

author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jun 8, 2024, 8:06 AM IST

Shani Jayanti 2024: न्याय के देवता शनिदेव अपनी राशि में मार्गी होकर गोचर कर रहे हैं. शनि के इस गोचर का सभी राशियों पर असर देखने को मिलेगी. जिसके लिए उनकी पूजा के समय कुछ बातों का खास खयाल रखना चाहिए. आगे पढ़ें पूरी खबर.

Shani Dev Puja
शनि देव की पूजा (ETV Bharat)

पटना: हिंदू धर्म में हर दिन का अपना अलग महत्व है. इसी शास्त्रों द्वारा शनि देव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा की जाती है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि शनिवार का दिन शनि महाराज और काल भैरव को समर्पित है. शनि महाराज को निर्णायक ग्रह कहा जाता है शनि देव का नाम आते ही लोगों में भय पैदा हो जाता है.

शनिदेव की पूजा का महत्व: अगर जिन लोगों पर शनि देव की टेढ़ी नजर होती है उनके ऊपर तमाम तरह की विपत्तियां और दुख आता है. इसलिए विपत्ति और दुख से बचने के लिए हर शनिवार के दिन भक्त शनिदेव की पूजा करते हैं. शनि देव की पूजा में सरसों का तेल से दीपक जलाने का विशेष महत्व है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि शनिवार का व्रत करने से जिन भक्तों पर साढ़े साती होता है, शनि देव के आशीर्वाद से दुख पीड़ा दूर हो जाता है.

पूजा करने से दूर होंगी ये समस्याएं: जो भक्त शनिदेव को खुश करना चाहते हैं और श्रावण मास में पड़ने वाले शनिवार से व्रत की शुरुआत कर सकते हैं. इस व्रत की शुरुआत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू किया जा सकता है. शनि देवता का व्रत और पूजा करने से घर में सुख, शांति, विघ्न, बाधा और नौकरी पेशा में लाभ मिलता है. जो भक्त इस व्रत को करते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि हर शनिवार को शनि देव के मंदिर पहुंचकर भगवान को सच्चे श्रद्धा मन से पूजा अर्चना करें. सरसों तेल का दीपक जलाएं, काला चंदन और काला तिल चढ़ाए और लगाए.

भूलकर भी ना करें ये गलती: आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि शनि सबसे शक्तिशाली ग्रह माने जाते हैं. इस बात को भी ध्यान में रखें कि शनि देवता की पूजा में किसी प्रकार की कोई त्रुटि न हो. अगर पूजा में त्रुटि होती है तो राजा से रंग बनने में भी समय नहीं लगेगा. शनि देव की पूजा का समय सूर्यास्त के बाद माना गया है. शनि और सूर्य एक दूसरे के शत्रु है, जब सूर्योदय होता है तो सूरज की किरणें शनि के पीठ पर पड़ती है, इसी वजह से शनि देव की पूजा सूर्योदय के समय में नहीं की जाती है.

पूजा के समय इन बातों का रखें खयाल: जो भक्त हर शनिवार को शनि देव के मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं, दीपक जलाते हैं तो इस बात का अवश्य ध्यान रखें शनि देव की पूजा करते समय उनकी सीधी नजर आपके सामने ना पड़े, इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. शाम के समय में शनि मंदिर पहुंचकर सरसों तेल का दीपक जलाएं मंत्र जाप करें शनि देव की आरती करें, इस तरह से पूजा अर्चना करने से पैसों की कमी नहीं होगी, घर में खुशहाली और नौकरी पेशा में तरक्की होगी.

पढ़ें-Panchgrahi Yog Rashifal : शनि जयंती के दिन बन रहे हैं 3 राजयोग, इन राशियों को मिलेगी नौकरी-बिजनेस में तरक्की और धन लाभ

पटना: हिंदू धर्म में हर दिन का अपना अलग महत्व है. इसी शास्त्रों द्वारा शनि देव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा की जाती है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि शनिवार का दिन शनि महाराज और काल भैरव को समर्पित है. शनि महाराज को निर्णायक ग्रह कहा जाता है शनि देव का नाम आते ही लोगों में भय पैदा हो जाता है.

शनिदेव की पूजा का महत्व: अगर जिन लोगों पर शनि देव की टेढ़ी नजर होती है उनके ऊपर तमाम तरह की विपत्तियां और दुख आता है. इसलिए विपत्ति और दुख से बचने के लिए हर शनिवार के दिन भक्त शनिदेव की पूजा करते हैं. शनि देव की पूजा में सरसों का तेल से दीपक जलाने का विशेष महत्व है. आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि शनिवार का व्रत करने से जिन भक्तों पर साढ़े साती होता है, शनि देव के आशीर्वाद से दुख पीड़ा दूर हो जाता है.

पूजा करने से दूर होंगी ये समस्याएं: जो भक्त शनिदेव को खुश करना चाहते हैं और श्रावण मास में पड़ने वाले शनिवार से व्रत की शुरुआत कर सकते हैं. इस व्रत की शुरुआत किसी भी शुक्ल पक्ष के शनिवार से शुरू किया जा सकता है. शनि देवता का व्रत और पूजा करने से घर में सुख, शांति, विघ्न, बाधा और नौकरी पेशा में लाभ मिलता है. जो भक्त इस व्रत को करते हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि हर शनिवार को शनि देव के मंदिर पहुंचकर भगवान को सच्चे श्रद्धा मन से पूजा अर्चना करें. सरसों तेल का दीपक जलाएं, काला चंदन और काला तिल चढ़ाए और लगाए.

भूलकर भी ना करें ये गलती: आचार्य मनोज मिश्रा ने बताया कि शनि सबसे शक्तिशाली ग्रह माने जाते हैं. इस बात को भी ध्यान में रखें कि शनि देवता की पूजा में किसी प्रकार की कोई त्रुटि न हो. अगर पूजा में त्रुटि होती है तो राजा से रंग बनने में भी समय नहीं लगेगा. शनि देव की पूजा का समय सूर्यास्त के बाद माना गया है. शनि और सूर्य एक दूसरे के शत्रु है, जब सूर्योदय होता है तो सूरज की किरणें शनि के पीठ पर पड़ती है, इसी वजह से शनि देव की पूजा सूर्योदय के समय में नहीं की जाती है.

पूजा के समय इन बातों का रखें खयाल: जो भक्त हर शनिवार को शनि देव के मंदिर पहुंचकर पूजा अर्चना करते हैं, दीपक जलाते हैं तो इस बात का अवश्य ध्यान रखें शनि देव की पूजा करते समय उनकी सीधी नजर आपके सामने ना पड़े, इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. शाम के समय में शनि मंदिर पहुंचकर सरसों तेल का दीपक जलाएं मंत्र जाप करें शनि देव की आरती करें, इस तरह से पूजा अर्चना करने से पैसों की कमी नहीं होगी, घर में खुशहाली और नौकरी पेशा में तरक्की होगी.

पढ़ें-Panchgrahi Yog Rashifal : शनि जयंती के दिन बन रहे हैं 3 राजयोग, इन राशियों को मिलेगी नौकरी-बिजनेस में तरक्की और धन लाभ

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.