हैदराबाद: हिंदू सनातन धर्म में कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को अहोई अष्टमी मनाई जाती है. इस बार यह आज 24 अक्टूबर गुरुवार को पड़ रही है. इस अवसर पर गुरु पुष्य योग का संयोग भी बन रहा है. यह योग जातकों को सुख-समृद्धि और वैभव प्रदान करने वाला है.
लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इस योग में खरीदारी या कोई नया कार्य करने पर उसके शुभ परिणाम मिलते हैं. उन्होंने कहा कि आज के दिन कुछ विशेष कार्य करके दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदला जा सकता है. आइये विस्तार से जानते हैं.
बहुत खास है गुरु पुष्य योग
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक पुष्य योग सभी 27 नक्षत्रों में बेहद खास है. इस नक्षत्र के अधिष्ठाता देवगुरु बृहस्पति और स्वामी शनिदेव हैं. ऐसा माना जाता है कि आज का दिन खरीदारी, सोना खरीदने, जमीन खरीदने और नया बिजनेस करने के लिए विशेष है.
दिनभर रहेगा शुभ योग
डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि आज गुरुवार 24 अक्टूबर को सूर्योदय से 25 अक्टूबर सूर्योदय तक गुरु पुष्यामृत योग है. इस अवसर पर कुछ खास प्रयोग करने से भाग्य को चमका सकते हैं. उन्होंने कहा कि 108 मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जाप करता है, उस जातक के 27 नक्षत्रों के देवता प्रसन्न होते हैं. खास बात है कि आज गुरुवार भी है इसलिए बृहस्पति देव की खासतौर पर पूजा-अर्चना करनी चाहिए. बृहस्पति देव को प्रसन्न करने के लिए जातकों को यह मंत्र बोलना चाहिए.
ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :
ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम :
कैसे बदले दुर्भाग्य को सौभाग्य में
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने कहा कि आज के दिन जिन जातकों का भाग्य साथ नहीं दे रहा है उनके लिए खास मौका है. वे अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदल सकते हैं. इसके लिए गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से बरगद के पत्ते पर स्वस्तिक बनाकर घर में रखें.
आज 24 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार को गुरुपुष्यामृत योग
'शिव पुराण' में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है. पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल हो जाते हैं. वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं. 'सर्वसिद्धिकर: पुष्य:' इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है. पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है. उन्होंने कहा कि इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं.
पढ़ें: अहोई अष्टमी पर बन रहा गुरु पुष्य योग, इन कार्यों को करने से मिलेंगे लाभ