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भारत की विदेश नीति में GCC का स्थान अहम क्यों है? - Indian Foreign Policy

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By Aroonim Bhuyan

Published : Sep 9, 2024, 2:10 PM IST

India-GCC Council: विदेश मंत्री एस जयशंकर पहली बार भारत-खाड़ी सहयोग परिषद के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए सऊदी अरब के रियाद में हैं. 21वीं सदी में खाड़ी क्षेत्र भारत की विदेश नीति में एक प्रमुख प्राथमिकता के रूप में उभरा है.

भारत की विदेश नीति में GCC का स्थान अहम क्यों है?
भारत की विदेश नीति में GCC का स्थान अहम क्यों है? (ANI)

नई दिल्ली: अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान सोमवार को भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे. वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले से ही सऊदी अरब के रियाद में हैं, जहां वे पहली बार इंडिया-गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल परिषद (GCC) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे.

सऊदी अरब की अपनी यात्रा के दौरान जयशंकर जीसीसी सदस्य देशों - बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के विदेश मंत्रियों के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, भारत और जीसीसी के बीच राजनीतिक, व्यापार और निवेश, ऊर्जा सहयोग, सांस्कृतिक और लोगों के बीच आपसी संबंधों सहित कई क्षेत्रों में गहरे और बहुआयामी संबंध हैं.

बयान में कहा गया है, "जीसीसी क्षेत्र भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार के रूप में उभरा है और यहां लगभग 8.9 मिलियन की संख्या में भारतीय प्रवासी समुदाय रहता है. विदेश मंत्रियों की बैठक भारत और जीसीसी के बीच विभिन्न क्षेत्रों में संस्थागत सहयोग की समीक्षा करने और उसे गहरा करने का अवसर होगी."

भारत और जीसीसी देशों के बीच संबंध पिछले कुछ साल में काफी मजबूत हुए हैं, जो नई दिल्ली की सबसे महत्वपूर्ण विदेश नीति प्राथमिकताओं में से एक बन गया है. इन संबंधों की विशेषता गहरी ऐतिहासिक जड़ें, मजबूत आर्थिक कॉन्टेक्ट और रणनीतिक सहयोग है.

जीसीसी भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा है और इसमें एक महत्वपूर्ण निवेश भागीदार के रूप में भी अपार संभावनाएं हैं, जो जीसीसी देशों द्वारा भारत में निवेश की घोषणाओं से स्पष्ट है. खासकर यूएई और सऊदी अरब. जीसीसी के पर्याप्त तेल और गैस भंडार भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यधिक महत्व रखते हैं.

राजनीतिक चर्चा
पहली बार इंडिया-जीसीसी राजनीतिक चर्चा 26 सितंबर, 2003 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान आयोजित की गई थी. दोनों पक्षों ने इस संवाद के महत्व को पहचाना, जिसने इंडिया-जीसीसी संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की. भारत और जीसीसी ने 10 सितंबर, 2022 को जयशंकर की रियाद यात्रा के दौरान परामर्श के तंत्र पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए.

एमओयू विदेश मंत्री और जीसीसी देशों के विदेश मंत्रियों या वरिष्ठ अधिकारियों के बीच वार्षिक संवाद के लिए एक रूपरेखा तैयार करता है. समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद, पहली भारत-जीसीसी वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक 20 मार्च, 2023 को रियाद में आयोजित की गई थी. जयशंकर की सऊदी अरब की वर्तमान यात्रा इस समझौता ज्ञापन के अनुरूप है.

रणनीतिक संबंध
रणनीतिक दृष्टिकोण से, भारत और जीसीसी क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा की इच्छा साझा करते हैं. भारत और जीसीसी की साझा राजनीतिक और सुरक्षा चिंताएं खाड़ी क्षेत्र और दक्षिण एशिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के प्रयासों में तब्दील होती हैं.

भारत ने संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण और खुफिया जानकारी शेयर करने सहित जीसीसी देशों के साथ अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाया है. कम्युनिकेशन के महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने और समुद्री डकैती और आतंकवाद के खतरों का मुकाबला करने के लिए खाड़ी क्षेत्र में भारत की नौसैनिक उपस्थिति को मजबूत किया गया है.

आर्थिक और कमर्शियल संबंध
जीसीसी के साथ भारत के आर्थिक संबंध लगातार बढ़ रहे हैं, खास तौर पर तेल आयात में वृद्धि के कारण. जीसीसी के साथ भारत का व्यापार सालाना 100 बिलियन डॉलर से अधिक है. जीसीसी से प्रमुख आयातों में कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और पेट्रोकेमिकल उत्पाद शामिल हैं, जबकि भारत कपड़ा, मशीनरी, खाद्य उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात करता है.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत-जीसीसी द्विपक्षीय व्यापार 161.59 बिलियन डॉलर रहा. वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का निर्यात 56.3 बिलियन डॉलर था, जबकि भारत का आयात 105.3 बिलियन डॉलर था.

जीसीसी देशों में यूएई भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका इस अवधि के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 83.6 बिलियन डॉलर रहा. सऊदी अरब 42.9 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ दूसरे स्थान पर है. 2023-24 के दौरान कतर के साथ द्विपक्षीय व्यापार 14 बिलियन डॉलर, कुवैत के साथ 10.4 बिलियन डॉलर, ओमान के साथ 8.9 बिलियन डॉलर और बहरीन के साथ 1.7 बिलियन डॉलर रहा.

जीसीसी देशों में भारतीय प्रवासी दोनों क्षेत्रों के बीच आर्थिक जुड़ाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये प्रवासी हर साल भारत को अरबों डॉलर की धनराशि भेजते हैं, जो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है. जीसीसी देशों में भारतीय प्रवासियों को क्षेत्र के विकास में उनके योगदान के लिए मान्यता दी गई है और उनकी कड़ी मेहनत, कानून का पालन करने और शांतिपूर्ण स्वभाव के लिए भी उनकी सराहना की जाती है.

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी की ब्रूनेई-सिंगापुर यात्रा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संतुलन बनाने की कोशिश, जानें AEP का महत्व

नई दिल्ली: अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान सोमवार को भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे. वहीं, विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले से ही सऊदी अरब के रियाद में हैं, जहां वे पहली बार इंडिया-गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल परिषद (GCC) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेंगे.

सऊदी अरब की अपनी यात्रा के दौरान जयशंकर जीसीसी सदस्य देशों - बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के विदेश मंत्रियों के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें करेंगे. विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, भारत और जीसीसी के बीच राजनीतिक, व्यापार और निवेश, ऊर्जा सहयोग, सांस्कृतिक और लोगों के बीच आपसी संबंधों सहित कई क्षेत्रों में गहरे और बहुआयामी संबंध हैं.

बयान में कहा गया है, "जीसीसी क्षेत्र भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक साझेदार के रूप में उभरा है और यहां लगभग 8.9 मिलियन की संख्या में भारतीय प्रवासी समुदाय रहता है. विदेश मंत्रियों की बैठक भारत और जीसीसी के बीच विभिन्न क्षेत्रों में संस्थागत सहयोग की समीक्षा करने और उसे गहरा करने का अवसर होगी."

भारत और जीसीसी देशों के बीच संबंध पिछले कुछ साल में काफी मजबूत हुए हैं, जो नई दिल्ली की सबसे महत्वपूर्ण विदेश नीति प्राथमिकताओं में से एक बन गया है. इन संबंधों की विशेषता गहरी ऐतिहासिक जड़ें, मजबूत आर्थिक कॉन्टेक्ट और रणनीतिक सहयोग है.

जीसीसी भारत के लिए एक प्रमुख व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा है और इसमें एक महत्वपूर्ण निवेश भागीदार के रूप में भी अपार संभावनाएं हैं, जो जीसीसी देशों द्वारा भारत में निवेश की घोषणाओं से स्पष्ट है. खासकर यूएई और सऊदी अरब. जीसीसी के पर्याप्त तेल और गैस भंडार भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए अत्यधिक महत्व रखते हैं.

राजनीतिक चर्चा
पहली बार इंडिया-जीसीसी राजनीतिक चर्चा 26 सितंबर, 2003 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान आयोजित की गई थी. दोनों पक्षों ने इस संवाद के महत्व को पहचाना, जिसने इंडिया-जीसीसी संबंधों में एक नए युग की शुरुआत की. भारत और जीसीसी ने 10 सितंबर, 2022 को जयशंकर की रियाद यात्रा के दौरान परामर्श के तंत्र पर एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए.

एमओयू विदेश मंत्री और जीसीसी देशों के विदेश मंत्रियों या वरिष्ठ अधिकारियों के बीच वार्षिक संवाद के लिए एक रूपरेखा तैयार करता है. समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद, पहली भारत-जीसीसी वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक 20 मार्च, 2023 को रियाद में आयोजित की गई थी. जयशंकर की सऊदी अरब की वर्तमान यात्रा इस समझौता ज्ञापन के अनुरूप है.

रणनीतिक संबंध
रणनीतिक दृष्टिकोण से, भारत और जीसीसी क्षेत्र में राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षा की इच्छा साझा करते हैं. भारत और जीसीसी की साझा राजनीतिक और सुरक्षा चिंताएं खाड़ी क्षेत्र और दक्षिण एशिया में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के प्रयासों में तब्दील होती हैं.

भारत ने संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण और खुफिया जानकारी शेयर करने सहित जीसीसी देशों के साथ अपने रक्षा सहयोग को बढ़ाया है. कम्युनिकेशन के महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को सुरक्षित करने और समुद्री डकैती और आतंकवाद के खतरों का मुकाबला करने के लिए खाड़ी क्षेत्र में भारत की नौसैनिक उपस्थिति को मजबूत किया गया है.

आर्थिक और कमर्शियल संबंध
जीसीसी के साथ भारत के आर्थिक संबंध लगातार बढ़ रहे हैं, खास तौर पर तेल आयात में वृद्धि के कारण. जीसीसी के साथ भारत का व्यापार सालाना 100 बिलियन डॉलर से अधिक है. जीसीसी से प्रमुख आयातों में कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और पेट्रोकेमिकल उत्पाद शामिल हैं, जबकि भारत कपड़ा, मशीनरी, खाद्य उत्पाद और इलेक्ट्रॉनिक्स का निर्यात करता है.

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत-जीसीसी द्विपक्षीय व्यापार 161.59 बिलियन डॉलर रहा. वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत का निर्यात 56.3 बिलियन डॉलर था, जबकि भारत का आयात 105.3 बिलियन डॉलर था.

जीसीसी देशों में यूएई भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जिसका इस अवधि के दौरान द्विपक्षीय व्यापार 83.6 बिलियन डॉलर रहा. सऊदी अरब 42.9 बिलियन डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार के साथ दूसरे स्थान पर है. 2023-24 के दौरान कतर के साथ द्विपक्षीय व्यापार 14 बिलियन डॉलर, कुवैत के साथ 10.4 बिलियन डॉलर, ओमान के साथ 8.9 बिलियन डॉलर और बहरीन के साथ 1.7 बिलियन डॉलर रहा.

जीसीसी देशों में भारतीय प्रवासी दोनों क्षेत्रों के बीच आर्थिक जुड़ाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ये प्रवासी हर साल भारत को अरबों डॉलर की धनराशि भेजते हैं, जो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार और आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता है. जीसीसी देशों में भारतीय प्रवासियों को क्षेत्र के विकास में उनके योगदान के लिए मान्यता दी गई है और उनकी कड़ी मेहनत, कानून का पालन करने और शांतिपूर्ण स्वभाव के लिए भी उनकी सराहना की जाती है.

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