नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कंप्यूटर विज्ञान में एक उभरता हुआ क्षेत्र है, जो ऐसे इंटेलिजेंट कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर बन सकता है जो मानव बुद्धि की काफी हद तक नकल करते हैं. AI के साथ हम बड़ी मात्रा में डेटा को तेजी से प्रोसेस और एनेलाइज कर सकते हैं. इतना ही नहीं AI अनुभव से सीख सकता है और ऐसे कार्य कर सकता है, जिनमें आमतौर पर मानव बुद्धि की आवश्यकता होती है. इसने अभूतपूर्व संभावनाओं और चुनौतियों के द्वार खोले हैं, जबकि यह प्रोडक्टिविटी बढ़ाने, हेल्थ सर्विस में सुधार करने और शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने जा रहा है. इसने प्राइवेसी, ह्यूमन राइट्स और जॉब लॉस से जुड़े नैतिक प्रश्न भी उठाए हैं.
यहां दिखाई गई पेंटिंग DALL.E से बनाई गई थी, जो कि मशीन के माध्यम से टेक्स्ट डिटेल के आधार पर चलने वाला एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिस्टम है. मेरा बेटा (राहुल) जो सेटअप से परिचित है, तब तक इसके साथ इंटरैक्ट करता रहा जब तक कि सिस्टम अंतिम आउटपुट के साथ नहीं आया. यह सीन, जिसमें समुद्र तट शामिल था, मुझे जाना-पहचाना लगा. यह दक्षिणी केरल के कोल्लम में तांगसेरी समुद्र तट जैसा लग रहा था.मैंने तटीय कटाव प्रक्रियाओं को समझने के लिए अपने वैज्ञानिक करियर के शुरुआती हिस्से में केरल के तटीय क्षेत्र पर काम किया था और मैं इसके स्थलों से काफी परिचित था. वेबसाइट का कहना है कि DALL.E नेचुरल लैंग्वेज में डिटेल से रियलस्टिक इमेज और आर्ट बना सकता है. यहां दिखाए गए आउटपुट ने मुझे आश्चर्यचकित कर दिया और मुझे हमारे जीवन में AI के अभूतपूर्व प्रभाव के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया.
AI में इमोशनल इंटेलिजेंस की कमी
क्या हम ऐसी दुनिया में प्रवेश कर रहे हैं जहां मशीन भविष्य के रचनात्मक प्रतिभाओं जैसे टॉल्स्टॉय और दोस्तोयेव्स्की की जगह ले लेगी? या पाब्लो पिकासो जैसे चित्रकार और मूर्तिकार की? विशेषज्ञ सोचते हैं. मनुष्य और AI के बीच मुख्य अंतर वह है जिसे जनरल इंटेलिजेंस के रूप में जाना जाता है, जबकि AI में केवल नेरो इंटेलिजेंस होती है. सामान्य बुद्धि से संपन्न, मनुष्य AI की तुलना में नई चीजों को तेजी से समझ और सीख सकते हैं.
दूसरा, मनुष्य के पास जो है, और AI में जो कमी है वह है भावनात्मक बुद्धि - सहानुभूति और पारस्परिक व्यवहार करने की क्षमता. हालांकि, दोनों प्रकार की बुद्धिमत्ता में वे गुण हैं जो रचनात्मक और मौलिक होने के लिए आवश्यक हैं.
पहले उल्लेखित AI द्वारा उत्पन्न समुद्र तट के चित्रण को 'रचनात्मक कार्य' नहीं कहा जा सकता क्योंकि यह हमारे हुक्म के आधार पर बनाया गया था. हालांकि, ह्यूमन-फेड डेटा से AI की नकल करने की क्षमताएं मूवी स्क्रिप्ट और अभिनय जैसे रचनात्मक क्षेत्रों में चुनौतियां खड़ी कर सकती हैं. टिपिंग पॉइंट तब आया, जब सॉफ़्टवेयर फर्म Open AI ने ChatGPT जारी किया. एक चैटबॉट जो विभिन्न विषयों पर कम्पलीट निबंध बना सकता है. पिछले साल हॉलीवुड स्टूडियो और स्ट्रीमिंग सेवाओं के खिलाफ बैक ग्राउंड और लेखकों ने हड़ताल कर दी थी, क्योंकि वे उन्हें मुआवजा दिए बिना एआई-एनेबल कंटेंट निर्माण प्लेटफार्मों का उपयोग कर रहे थे. ये प्लेटफॉर्म जनरेटिव AI पर निर्भर करते हैं, जो मौजूदा कंटेंट के आधार पर नए टेक्स्ट और अभिनेता की समानता की डिजिटल प्रतिकृतियां तैयार कर सकते हैं. हालांकि AI मूल टीवी शो या फिल्में नहीं बना सकता, लेकिन AI का इस्तेमाल स्क्रिप्ट राइटिंग को सरल बनाने और अभिनेता प्रतिकृतियों के आधार पर स्क्रिप्ट बनाने के लिए किया जा सकता है.
प्रोडक्टिविटी बढ़ा सकती है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
हॉलीवुड के कर्मचारियों की हड़ताल भविष्य के लिए एक संदेश है. इसने पहली बार दिखाया कि कैसे कर्मचारियों की सामूहिक सौदेबाजी ने एक नई तकनीक के उदय के खिलाफ जीत हासिल की, जिसने उनकी आजीविका को प्रभावित किया. अगर AI पारंपरिक नौकरियों के लिए खतरा बन जाता है, तो भविष्य में दुनिया भर के अन्य क्षेत्रों में भी इस तरह के विरोध प्रदर्शन होने की संभावना है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के उप प्रभाग प्रमुख जियोवानी मेलिना अपने ब्लॉग में लिखते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस प्रोडक्टिविटी बढ़ा सकती है, आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती है और कुछ क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाकर आय बढ़ा सकती है.
हालांकि, इससे लाखों नौकरियां खत्म हो सकती हैं और असमानता बढ़ सकती है. शोध से पता चलता है कि इससे नौकरियों की उपलब्धता पर बहुत ज़्यादा असर पड़ेगा. देशों के बीच और उनके भीतर असमानता बढ़ेगी, लेकिन इससे नई तरह की नौकरियां और नए उद्योग भी पैदा हो सकते हैं. अब समय आ गया है कि सामाजिक सुरक्षा जाल विकसित करने, मजदूरों के प्रशिक्षण में निवेश करने और एआई से संभावित जोखिमों से निपटने के लिए नियमों को मजबूत करने के तरीके खोजे जाएं.
मनुष्य अपनी शक्ति मशीनों को सौंप
इयान ब्रेमर के साथ अपने इंटरव्यू में युवाल हरारी ने उस गति पर अपनी चिंता व्यक्त की जिस पर मनुष्य अपनी शक्ति मशीनों को सौंप रहे हैं. वह सोशल मीडिया का उदाहरण देते हैं, जो यूजर्स के संपर्क को अधिकतम करने और आक्रोश फैलाकर लोगों का ध्यान खींचने के लिए बहुत ही आदिम एआई बॉट का उपयोग करता है. यह जनता के विश्वास और बातचीत को नष्ट कर रहा है, अंततः लोकतांत्रिक संस्थाओं को नष्ट कर रहा है. वह चेतावनी देते हैं कि हमें किसी भी नई एआई तकनीक पर सुरक्षा जांच करने की आवश्यकता है इससे पहले कि इसे सार्वजनिक क्षेत्र में जारी किया जाए और इसके उपयोग को नियंत्रित करने के लिए रेगुलेटरी बॉडीज पर जोर दिया जाए.
मुझे '2001: ए स्पेस ओडिसी' की कहानी याद आ रही है – 1968 की एक महाकाव्य विज्ञान कथा फिल्म जो आर्थर सी क्लार्क द्वारा लिखी गई पटकथा पर आधारित है. यह फिल्म बृहस्पति पर मानव पायलटों के साथ एक अमेरिकी अंतरिक्ष मिशन पर केंद्रित है, जबकि अंतरिक्ष यान संचालन को HAL 9000 नामक एक कंप्यूटर से नियंत्रित किया जाता है, जिसमें मानव जैसी बुद्धि होती है. कहानी आगे बढ़ती है कि कैसे HAL 9000 मनुष्यों से अंतरिक्ष यान का नियंत्रण अपने हाथ में लेने की साजिश रचता है. यह शायद पहली बार है जब विज्ञान कथा में मनुष्यों बनाम बुद्धिमान मशीनों के टकराव को दिखाया गया है.
HAL की अवधारणा कथित तौर पर कंप्यूटिंग के क्षेत्र में लीडिंग इरविंग जॉन गुड द्वारा सुझाई गई है. फिल्म निर्देशक स्टेनली कुब्रिक के सलाहकारों में से एक हैं. 21वीं सदी में AI तकनीक में प्रगति के साथ, HAL नामक चरित्र जो दुष्टतापूर्वक मनुष्यों और अंतरिक्ष यान को नियंत्रित करता है, हमारे समय के लिए एक संदेश है. लोग इस बात पर विभाजित हैं कि AI के आगमन के परिणाम लाभकारी होंगे या विनाशकारी. न्यूरल नेटवर्क, डीप लर्निंग और AI के अग्रणी जेफ्री हिंटन, जिन्होंने गूगल छोड़ दिया है. उनका मानना है कि एआई के अस्तित्व संबंधी खतरों का सामना करने का समय आ गया है क्योंकि बढ़ती शक्तिशाली मशीनों की मनुष्यों को ऐसे तरीकों से मात देने की क्षमता है जो मानवता के सर्वोत्तम हित में नहीं हैं.
यह भी पढ़ें- दूरसंचार मूल्य वृद्धि और युक्तिकरण एक आर्थिक आवश्यकता