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क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में गुरुग्राम स्थित IFC-IOR पर फोकस क्यों? - Quad Foreign Minister Meeting

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 30, 2024, 4:22 PM IST

Quad Foreign Minister Meeting: टोक्यो में क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद यह घोषणा की गई कि समुद्री क्षेत्र जागरूकता के लिए इंडो-पैसिफिक पार्टनरशिप के दक्षिण एशिया कार्यक्रम को भारत के गुरुग्राम में इंफोर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडियन ओसियन रीजन (IFC-IOR) के माध्यम से संचालित किया जाएगा.

क्वाड विदेश मंत्री की बैठक
क्वाड विदेश मंत्री की बैठक (@DrSJaishankar)

नई दिल्ली: टोक्यो में सोमवार को क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में जिन बिंदुओं पर चर्चा की गई, उनमें भारत के गुरुग्राम में इंफोर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडियन ओसियन रीजन (IFC-IOR) के माध्यम से साउथ एशिया प्रोग्राम का शीघ्र संचालन शामिल है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर, जापानी विदेश मंत्री योको कामिकावा, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग और अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन की उपस्थिति में बैठक के बाद जारी बयान के अनुसार, चारों देशों ने भारतीय और प्रशांत महासागरों में लॉ ऑफ सी के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) के अनुरूप फ्री और ओपन समुद्री व्यवस्था को बनाए रखने और विकसित करने में योगदान देने और इस उद्देश्य के लिए क्षेत्रीय भागीदारों के साथ अपने सहयोग और समन्वय को बढ़ाने के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया.

बयान में कहा गया है, "हम सैटेलाइट डेटा, ट्रेनिंग और क्षमता निर्माण के माध्यम से प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रशांत द्वीप समूह फोरम मत्स्य एजेंसी के साथ काम करना जारी रखेंगे हैं. ऐसे प्रयासों के अनुरूप,हम भौगोलिक रूप से मैरिटाइम डोमेन अवेरनेंस (IPMDA) के लिए इंडो-पैसिफिक पार्टनरशिप का विस्तार हिंद महासागर क्षेत्र में करना चाहते हैं. हम भारत के गुरुग्राम में फोर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडियन ओसियन रीजन के माध्यम से दक्षिण एशिया कार्यक्रम के शीघ्र संचालन के लिए काम कर रहे हैं."

इसमें कहा गया है, "हम समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए क्षमता निर्माण सहयोग के माध्यम से भी इस क्षेत्र में योगदान करते हैं. हम भारत-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बनाए रखने के अपने प्रयासों के समर्थन में समुद्री मुद्दों के अंतरराष्ट्रीय कानून पर अपनी विशेषज्ञता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए क्वाड समुद्री सुरक्षा कार्य समूह के तहत एक क्वाड समुद्री कानूनी वार्ता शुरू करने का इरादा रखते हैं."

समुद्री डोमेन जागरूकता के लिए इंडो-पैसिफिक साझेदारी क्या है?
बता दें कि 2022 में टोक्यो में क्वाड लीडर्स समिट में लॉन्च की गई IPMDA इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री डोमेन जागरूकता बढ़ाने और इसके महत्वपूर्ण जलमार्गों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एक प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण पहल है. IPMDA दक्षिण पूर्व एशिया, हिंद महासागर क्षेत्र और प्रशांत क्षेत्र में भागीदारों को उनके समुद्री क्षेत्रों में होने वाली गतिविधियों के बारे में लगभग वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करने के लिए वाणिज्यिक सैटेलाइट रेडियो फ्रेक्विंसी डेटा कलेक्ट करने जैसी लेटेस्ट तकनीक का उपयोग करता है.

आईपीएमडीए का उद्देश्य "डार्क शिपिंग" की निगरानी करना और साझेदार देशों के जलक्षेत्र का अधिक व्यापक और सटीक वास्तविक समय समुद्री अवलोकन तैयार करना है. यह इंडो-पैसिफिक में प्रशांत द्वीप समूह, दक्षिण पूर्व एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र को एकीकृत करने पर केंद्रित है.

इंफोर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडियन एसियन रीजन क्यों अहम है?
गुरुग्राम, भारत स्थित IFC-IOR भारतीय नौसेना द्वारा संचालित एक क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा केंद्र है. दिसंबर 2018 में लॉन्च किया गया यह केंद्र हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा और संरक्षा को बढ़ाने की दिशा में काम करता है.

IFC-IOR को शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद महासागर क्षेत्र की दिशा में सहयोगात्मक समुद्री सुरक्षा और संरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक नोडल केंद्र माना गया था. इसका उद्देश्य भागीदार देशों और एजेंसियों के साथ सूचना साझा करने, सहयोग और विशेषज्ञता विकास के माध्यम से समुद्री डोमेन जागरूकता और समन्वय गतिविधियों को बढ़ाकर हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और संरक्षा को आगे बढ़ाना है.

IPMDA का दक्षिण एशिया प्रोग्राम क्या है?
आईपीएमडीएस का दक्षिण एशिया प्रोग्राम एक व्यापक पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दक्षिण एशियाई देशों के बीच समुद्री सुरक्षा और डोमेन जागरूकता को बढ़ाना है. यह कार्यक्रम दक्षिण एशियाई देशों के भीतर अपने समुद्री डोमेन को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की क्षमताओं के विकास का समर्थन करता है. इसमें निगरानी और प्रवर्तन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और उपकरण प्रदान करना शामिल है.

यह पहल दक्षिण एशियाई देशों और अन्य इंडो-पैसिफिक देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करती है. इसमें सूचना साझा करना, संयुक्त अभ्यास करना और समुद्री खतरों के प्रति प्रतिक्रियाओं का समन्वय करना शामिल है.

यह भी पढ़ें- 'ड्रैगन' की चाल! दक्षिण एशियाई देशों के बीच अपना प्रभाव बढ़ा रहा चीन, आखिर भारत क्यों नहीं ले रहा टेंशन?

नई दिल्ली: टोक्यो में सोमवार को क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में जिन बिंदुओं पर चर्चा की गई, उनमें भारत के गुरुग्राम में इंफोर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडियन ओसियन रीजन (IFC-IOR) के माध्यम से साउथ एशिया प्रोग्राम का शीघ्र संचालन शामिल है.

विदेश मंत्री एस जयशंकर, जापानी विदेश मंत्री योको कामिकावा, ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री पेनी वोंग और अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन की उपस्थिति में बैठक के बाद जारी बयान के अनुसार, चारों देशों ने भारतीय और प्रशांत महासागरों में लॉ ऑफ सी के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCLOS) के अनुरूप फ्री और ओपन समुद्री व्यवस्था को बनाए रखने और विकसित करने में योगदान देने और इस उद्देश्य के लिए क्षेत्रीय भागीदारों के साथ अपने सहयोग और समन्वय को बढ़ाने के लिए अपना दृढ़ संकल्प व्यक्त किया.

बयान में कहा गया है, "हम सैटेलाइट डेटा, ट्रेनिंग और क्षमता निर्माण के माध्यम से प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय समुद्री डोमेन जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रशांत द्वीप समूह फोरम मत्स्य एजेंसी के साथ काम करना जारी रखेंगे हैं. ऐसे प्रयासों के अनुरूप,हम भौगोलिक रूप से मैरिटाइम डोमेन अवेरनेंस (IPMDA) के लिए इंडो-पैसिफिक पार्टनरशिप का विस्तार हिंद महासागर क्षेत्र में करना चाहते हैं. हम भारत के गुरुग्राम में फोर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडियन ओसियन रीजन के माध्यम से दक्षिण एशिया कार्यक्रम के शीघ्र संचालन के लिए काम कर रहे हैं."

इसमें कहा गया है, "हम समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिए क्षमता निर्माण सहयोग के माध्यम से भी इस क्षेत्र में योगदान करते हैं. हम भारत-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बनाए रखने के अपने प्रयासों के समर्थन में समुद्री मुद्दों के अंतरराष्ट्रीय कानून पर अपनी विशेषज्ञता पर ध्यान केंद्रित करने के लिए क्वाड समुद्री सुरक्षा कार्य समूह के तहत एक क्वाड समुद्री कानूनी वार्ता शुरू करने का इरादा रखते हैं."

समुद्री डोमेन जागरूकता के लिए इंडो-पैसिफिक साझेदारी क्या है?
बता दें कि 2022 में टोक्यो में क्वाड लीडर्स समिट में लॉन्च की गई IPMDA इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री डोमेन जागरूकता बढ़ाने और इसके महत्वपूर्ण जलमार्गों में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए एक प्रौद्योगिकी और प्रशिक्षण पहल है. IPMDA दक्षिण पूर्व एशिया, हिंद महासागर क्षेत्र और प्रशांत क्षेत्र में भागीदारों को उनके समुद्री क्षेत्रों में होने वाली गतिविधियों के बारे में लगभग वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करने के लिए वाणिज्यिक सैटेलाइट रेडियो फ्रेक्विंसी डेटा कलेक्ट करने जैसी लेटेस्ट तकनीक का उपयोग करता है.

आईपीएमडीए का उद्देश्य "डार्क शिपिंग" की निगरानी करना और साझेदार देशों के जलक्षेत्र का अधिक व्यापक और सटीक वास्तविक समय समुद्री अवलोकन तैयार करना है. यह इंडो-पैसिफिक में प्रशांत द्वीप समूह, दक्षिण पूर्व एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र को एकीकृत करने पर केंद्रित है.

इंफोर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडियन एसियन रीजन क्यों अहम है?
गुरुग्राम, भारत स्थित IFC-IOR भारतीय नौसेना द्वारा संचालित एक क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा केंद्र है. दिसंबर 2018 में लॉन्च किया गया यह केंद्र हिंद महासागर में समुद्री सुरक्षा और संरक्षा को बढ़ाने की दिशा में काम करता है.

IFC-IOR को शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध हिंद महासागर क्षेत्र की दिशा में सहयोगात्मक समुद्री सुरक्षा और संरक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक नोडल केंद्र माना गया था. इसका उद्देश्य भागीदार देशों और एजेंसियों के साथ सूचना साझा करने, सहयोग और विशेषज्ञता विकास के माध्यम से समुद्री डोमेन जागरूकता और समन्वय गतिविधियों को बढ़ाकर हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा और संरक्षा को आगे बढ़ाना है.

IPMDA का दक्षिण एशिया प्रोग्राम क्या है?
आईपीएमडीएस का दक्षिण एशिया प्रोग्राम एक व्यापक पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दक्षिण एशियाई देशों के बीच समुद्री सुरक्षा और डोमेन जागरूकता को बढ़ाना है. यह कार्यक्रम दक्षिण एशियाई देशों के भीतर अपने समुद्री डोमेन को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने की क्षमताओं के विकास का समर्थन करता है. इसमें निगरानी और प्रवर्तन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और उपकरण प्रदान करना शामिल है.

यह पहल दक्षिण एशियाई देशों और अन्य इंडो-पैसिफिक देशों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करती है. इसमें सूचना साझा करना, संयुक्त अभ्यास करना और समुद्री खतरों के प्रति प्रतिक्रियाओं का समन्वय करना शामिल है.

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