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बजट 2024 : नीतिगत निरंतरता की दिखी झलक - Budget 2024

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 23, 2024, 8:03 PM IST

Budget Highlights: मोदी 3.0 का पहला बजट मंगलवार को पेश किया गया. इस बजट में नीतिगत निरंतरता की झलक देखी जा सकती है. मोदी सरकार ने अपने पिछले दो कार्यकालों में जिन क्षेत्रों पर फोकस किया है, और जिन नीतियों पर वे चलते रहे हैं, इस बजट में भी उसी को उन्होंने आगे बढ़ाया है. क्या कहना है विशेषज्ञों का, एक विश्लेषण.

निर्मला सीतारमण
निर्मला सीतारमण (IANS)

हैदराबाद : नवनिर्वाचित भारतीय सरकार के पहले बजट ने अर्थव्यवस्था के अधिकांश क्षेत्रों में नीतिगत निरंतरता का संकेत दिया है, जबकि देश की सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी को संबोधित करने की कोशिश की है. जहां बिहार और आंध्र प्रदेश राज्यों के लिए रोजगार और स्किल को प्राथमिकता दी गई है. वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पेश किए बजट 2024-25 में जलवायु और स्थिरता को भी उचित स्थान मिला है. इस वर्ष के बजट व्यय की कुल योजना 48.21 लाख करोड़ रुपये थी, जिसमें कुल रिसिप्ट (उधार को छोड़कर) 32.07 लाख करोड़ रुपये अनुमानित थीं.

निर्मला सीतारमण के बजट भाषण के अनुसार पीएम सूर्या कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा, भारत ने ऐसी योजनाओं की घोषणा की है जो अनुकूलन को मजबूत करने और चरम जलवायु घटनाओं से होने वाले नुकसान और क्षति का प्रबंधन करने के प्रयासों में मदद कर सकती हैं.

वहीं, बजट में इस बात का अभाव था कि कार्बन मूल्य निर्धारण, परमाणु ऊर्जा के उपयोग और यहां तक कि पीएम आवास योजना शहरी 2.0 की योजना से गर्मी-प्रतिरोधी शहरों के निर्माण में कैसे मदद मिलेगी. इसने जलवायु परिवर्तन के प्रत्येक पहलू के लिए क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है. चलिए अब नजर डालते हैं कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने अपने राष्ट्रीय बजट में क्या प्राथमिकताएं तय की हैं.

महत्वपूर्ण खनिज मिशन
बजट में विभिन्न रणनीतिक क्षेत्रों के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों के घरेलू उत्पादन, पुनर्चक्रण और विदेशी अधिग्रहण को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण खनिज मिशन की शुरुआत की गई है. यह मिशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट, वर्कफोर्स ट्रेनिंग, एक्सटेंडिड प्रोड्यूसर रेस्पॉन्सिबिलिटी और फाइनेंस मैकेनिज्म स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा.

पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना
इस पहल का उद्देश्य 1 करोड़ घरों में छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाना है, जिससे हर महीने 300 यूनिट तक मुफ़्त बिजली मिल सके. इस कार्यक्रम के लिए 6,250 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे नॉन-रेन्यूबल एनर्जी सोर्स पर निर्भरता कम होने और रेन्यूबल एनर्जी अपनाने को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा सरकार ने पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट्स, न्यूक्लियर एनर्जी डेवलपमेंट, एडवांस अल्ट्रा सुपर क्रिटिक्ल थर्मल प्लांट, पारंपरिक इंडस्ट्रीज और कार्बन एमिशन पर भी ध्यान केंद्रित किया है.

किसानों के लिए सरकार ने 109 उपज देने वाली, जलवायु-अनुकूल फसल किस्में जारी करने की घोषणा की है. इसके अतिरिक्त, 1 करोड़ किसानों को प्रमाणीकरण और ब्रांडिंग के लिए समर्थन के साथ प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. बजट में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर एग्रीकल्चर, क्लाइमेट फाइनेंस फॉर टैक्सोनॉमी का भी ख्याल रखा गया है.

बजट में बाढ़ से प्रभावित राज्यों जैसे बिहार, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में फ्लड मैनेजमेंट और रीकंस्ट्रक्शन के प्रावधान शामिल किए गए हैं. इन उपायों का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करना और प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण में सहायता करना है.

एनर्जी ट्रांजिशन पॉलिसी
सरकार एनर्जी ट्रांजिशन को लेकर एक नीति लाएगी जो रोजगार, विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करेगा. सरकार देश में लघु रिएक्टरों की स्थापना के लिए निजी फर्मों के साथ साझेदारी करेगी. वहीं, एनटीपीसी और बीएचईएल के बीच संयुक्त उद्यम, AUSC तकनीक का उपयोग करके 800 मेगावाट का पूर्ण पैमाने का वाणिज्यिक तापीय संयंत्र स्थापित करेगा.

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन
इसके अलावा राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए बजटीय आवंटन 2023-24 में 100 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया गया. एनर्जी ट्रांजिशन को सपोर्ट देने के लिए सरकार ने देश में सौर सेल और पैनलों के विनिर्माण में उपयोग के लिए छूट प्राप्त पूंजीगत वस्तुओं की सूची का विस्तार करने का प्रस्ताव दिया है.

इलेक्ट्रिक वाहन और मोटर वाहन क्षेत्र
इलेक्ट्रिक वाहन और मोटर वाहन क्षेत्र में भी डोमेस्टिक प्रोडक्शन, महत्वपूर्ण खनिजों की रीसाइकलिंग और महत्वपूर्ण खनिज एसेट के विदेशी अधिग्रहण के लिए महत्वपूर्ण खनिज मिशन की स्थापना की जाएगी. साथ ही लिथियम, तांबा, कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों जैसे पच्चीस महत्वपूर्ण खनिजों को सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दी जाएगी, उनमें से दो पर बीसीडी में कमी की जाएगी.

भारत में (हाइब्रिड) इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण (FAME) योजना 2024-25 के लिए बजट 2671 करोड़ रुपये रखा गया है. इतना ही नहीं एडवांस कैमेस्ट्री सेल (ACC) बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव (PLI)) योजना के लिए 250 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन रखा गया है.

बजट पर विशेषज्ञों की राय
क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला का कहना है कि बजट 2024-25 जलवायु-अनुकूल कृषि के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटन करने और सौर एनर्जी के लिए पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना जैसी पहलों की शुरूआत के साथ सतत विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों पर ध्यान केंद्रित करना, पंप स्टोरेज परियोजनाओं के लिए नीति और एनर्जी ट्रांजिशन पाथवे पर पॉलिसी विकसित करने का निर्णय भी सराहनीय है.

हालांकि, यह देखना बाकी है कि भारत के ऊर्जा मिश्रण में न्यूक्लियर एनर्जी की भूमिका कैसे आकार लेती है. बजट में कार्बन प्राइसिंग मैकेनिज्म और कमजोर समुदायों की लाइफ को बेहतर बनाने के प्रयासों के लिए क्लाइमेट फाइनेंस जुटाने की रणनीतियों पर समयसीमा का अभाव है.

काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर की सीईओ डॉ अरुणाभा घोष का कहना है कि 2024 के बजट में एक स्थायी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कई आशाजनक प्रावधान हैं. यह न केवल भारत की स्वच्छ ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं (रूफटॉप सोलर और पंप हाइड्रो स्टोरेज पर ध्यान केंद्रित करते हुए) को एड्रेस करता है, बल्कि वाटर ट्रीटमेंट, एयर क्वालिटी और नदी की बाढ़ से उबरने के लिए एक्शन की रूपरेखा भी तैयार करता है. समानांतर रूप से, यह भारत के ग्रीन टेक्नोलॉजी के व्यापक निहितार्थों, MSME, जिन्हें भारत के उद्योग की रीढ़ कहा जाता इनमें कैसे बदलाव लाएगा.

ये एलिमेंट ग्रीन इकोनॉमी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैं. ये सभी प्रावधान- स्वच्छ ऊर्जा बाजारों से लेकर ग्रीन इंडस्ट्री और लाइफ क्वालिटी तक जलवायु घटनाओं से होने वाले नुकसान की रोकथाम, घरों और छोटे उद्योगों के लिए नए व्यवसाय मॉडल को बढ़ावा देने और संसाधनों की एक परिपत्र अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद हो सकते हैं. इस संबंध में क्लाइमेट फंड को परिभाषित करना पूंजी जुटाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है. ये उपाय एक टिकाऊ और समृद्ध भारत के लिए मजबूत नींव रख सकते हैं, जिसमें ऊर्जा परिवर्तन को आधार बनाया जा सकता है और इस पर व्यापक आर्थिक परिवर्तन के लिए सार्वजनिक नीति का लाभ उठाया जा सकता है.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में एसोसिएट प्रोफेसर सुरंजलि टंडन ने कहा कि निवेशक और उद्योग फाइनेंस फ्लो और आर्थिक गतिविधि के पुनर्संरचना के लिए मार्गदर्शन के रूप में वर्गीकरण और ट्रांजिशन की मांग कर रहे हैं. बजट घोषणाएं स्पष्ट रूप से कार्बन मार्केट, टैक्सनोमी और ट्रांजिशन पथ की स्थापना का उल्लेख करती हैं.

CEEW के सीनियर प्रोग्राम लीड ऋषभ जैन का कहना है कि क्रिटिकल मिनिरल्स एनर्जी ट्रांजिशन और इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और दूरसंचार जैसे अन्य रणनीतिक क्षेत्रों के लिए आधारशिला हैं. भारत के लिए क्रिटिकल मिनिरल्स मिशन की घोषणा प्राइवेज और सरकारी कंपनियों को महत्वपूर्ण मिनिरल्स की सप्लाई चेन में क्षमताएं विकसित करने और मध्यम से लंबी अवधि में कॉम्पीटेशन करने के लिए प्रोत्साहित करेगी. CEEW की 2023 की रिपोर्ट ने वैश्विक महत्वपूर्ण मिनिरल्स की सप्लाई चेन में अवसरों पर प्रकाश डाला.

खनन का स्वदेशीकरण और विदेशी अधिग्रहण के साथ प्रोसेसिंह और रीसाइकलिंग के लिए घरेलू क्षमताओं का निर्माण डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग इको सिस्टम के लिए सप्लाई चेन को सुरक्षित करेगा. विशेष रूप से सौर, पवन, ईवी और बैटरी जैसे स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों के लिए. चूंकि वैश्विक स्तर पर कई देश अपने आयात में विविधता लाने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए भारत एक आकर्षक डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है.

इस बजट घोषणा के माध्यम से भारत ने महत्वपूर्ण खनिजों की विश्वसनीय, विविध, टिकाऊ और रेस्पांसिबल सप्लाई चेन बनाने के लिए पिछले साल जी20 के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं पर एक्शन शुरू कर दिया है. इस मिशन के लिए समर्पित प्रयास, आयात के लिए सीमा शुल्क में कमी, प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव योजनाओं जैसी मौजूदा सरकारी पहलों का समर्थन करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो भारत के जलवायु लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं.

CEEW के सीनियर प्रोग्राम हेड नितिन बस्सी ने कहा कि सीईईडब्ल्यू विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में 64 प्रतिशत से अधिक तहसीलों में पिछले तीन दशकों की तुलना में पिछले दशक में बारिश की आवृत्ति में वृद्धि देखी गई है. इसलिए, सिक्किम, असम, बिहार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे संवेदनशील राज्यों में बाढ़ मिटिगेशन पर केंद्रीय बजट 2024 का जोर एक स्वागत योग्य कदम है. इसके अलावा, बाढ़ के जोखिम को मैनेज करने के लिए शहर-स्पेसिफिक कार्य योजनाओं को विकसित करने पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

एसोसिएट प्रोफेसर और आईएसबी में भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी में रिसर्च डायरेक्टर डॉ अंजल प्रकाश ने बजट को लेकर कहा, “मैं इस बजट का स्वागत करता हूं क्योंकि इसमें जलवायु परिवर्तन के कुछ कोम्पोनेंट के लिए महत्वपूर्ण आवंटन किए गए हैं. उदाहरण के लिए, जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए धन में सुधार करने में मदद करने के लिए जलवायु वित्त के लिए वर्गीकरण विकसित करना."

उन्होंने कहा कि यह देश की जलवायु प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने और ज़मीनी स्तर पर आवश्यक परिवर्तनों को प्राप्त करने में सहायता करेगा. बजट में जलवायु प्रतिरोधी बीज किस्मों के वितरण, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और प्राकृतिक खेती जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे खेत स्तर की उत्पादकता में सुधार होगा. झींगा उत्पादन को प्रोत्साहित करने और सब्जी उत्पादन समूहों पर ध्यान केंद्रित करने वाले आत्मनिर्भरता मिशन से भी ताज़ी उपज और प्रोटीन की खपत में उभरते बदलावों के साथ उत्पादन को संरेखित करने में मदद मिलेगी.

इंडिया, एम्बर के इलेक्ट्रिसिटी एनालिस्ट नेशविन रोड्रिग्स का कहना है कि इस साल के बजट में ऊर्जा क्षेत्र के लिए बहुत कुछ है. यह अंतरिम बजट के अनुरूप है, और हॉलिस्टिक एनर्जी में बड़े निवेश के साथ स्वच्छ ऊर्जा कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा. यह एनर्जी सिक्योरिटी, आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और पर्यावरणीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए अधिक समग्र ऊर्जा संक्रमण मार्ग की ओर बढ़ने को रेखांकित करता है. उन्होंने कहा कि भारत को अब थर्मल पावर पर निर्भरता कम करने के तरीके खोजने की जरूरत है और आने वाले वर्षों में बैटरी की लागत में और तेजी से गिरावट आने की उम्मीद है, इसलिए इस निर्भरता को चरणबद्ध तरीके से कम करने की योजना बनाई जा सकती है.

ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल, इंडिया के चेयरमैन गिरीश तांती का कहना है कि हालिया बजट क्लीन टेक्नोलॉजी के विकास को प्राथमिकता देकर और हॉलिस्टिक एनर्जी इंवेस्टमेंट के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देकर जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत के वैश्विक नेतृत्व को दर्शाता है. भारत सरकार न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा रही है, बल्कि अपने दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ ऊर्जा संक्रमण को भी गति दे रही है. मेरा मानना ​​है कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति दुनिया भर के देशों के लिए एक बेंचमार्क स्थापित करेगी.

ग्लोबल वाइंड एनर्जी के पॉलिसी डायरेक्टर- इंडिया मार्तंड शार्दुल ने कहा कि बजट में नौकरियों के सृजन और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, विशेष रूप से एमएसएमई के विकास पर जोर दिया गया है. यह चालू वित्त वर्ष के लिए वाइंड इंडस्ट्री की प्राथमिकताओं के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है. हाल ही में एक अधिसूचना में नई और रेन्युबल एनर्जी मंत्रालय ने मेक इन इंडिया पहल के तहत वाइंड मैन्युफैक्चयुरिंग पर अधिक जोर दिया. इसके अलावा इससे प्रमुख वाइंड कंपनियों द्वारा घोषित हाल की प्रतिबद्धताओं/प्रगति के परिणामस्वरूप, नए अवसर पैदा होंगे. ये डेवपलमेंट भारत की ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा ट्रांजिशन के विजन में सहायता करेंगे.

इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकोनोमिक्स एंड फाइनेंशियल एनलिजिज, डायरेक्टर साउथ एशिया विभूति गर्ग ने कहा कि ऊर्जा ट्रांजिशन के लिए, नीति निरंतरता स्वागत योग्य है. अंतरिम बजट के दौरान पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना और पंप हाइड्रो स्टोरेज पर घोषित सरकारी योजनाएं केंद्र में हैं. इसके अलावा, सरकार सही एनर्जी ट्रांजिशन पर एक नीति दस्तावेज विकसित करेगी जो रोजगार, विकास और पर्यावरणीय स्थिरता की अनिवार्यताओं को संतुलित करती है. जलवायु शमन और अनुकूलन के लिए वर्गीकरण के विकास के माध्यम से पूंजी की उपलब्धता को बढ़ाना एक स्वागत योग्य कदम है, जबकि कई देशों ने एक वर्गीकरण स्थापित किया है जो ग्रीनवाशिंग और उन गतिविधियों की पहचान करने में मदद करता है. भारत एक वर्गीकरण विकसित करके डेवलपर्स को ईएसजी वित्तपोषण आकर्षित करने में मदद करेगा.

उन्होंने कहा कि सरकार विदेशी निवेश को भी सरल बना रही है और विदेशी निवेश के लिए मुद्रा के रूप में भारतीय रुपये का उपयोग करने के अवसरों को बढ़ावा दे रही है. बजट में उद्योगों और अन्य बड़ी कंपनियों को मौजूदा 'प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार' मोड से 'भारतीय कार्बन बाजार' में बदलने पर जोर दिया गया है. विशेष रूप से एमएसएमई के लिए, ऊर्जा ऑडिट प्रदान किए जाएंगे और स्वच्छ ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता उपायों को लागू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.

पूर्वा जैन, ऊर्जा विशेषज्ञ, गैस एंड इंटरनेशनल एडवोकेसी और एनर्जी स्पेशलिस्ट पूर्वा जैन का कहना है कि MSME के क्लीन एनर्जी में परिवर्तन के लिए क्लस्टर-बेस्ड फाइनेंशियल सपोर्ट प्रदान करने का प्रस्ताव एक स्वागत योग्य कदम है. हाल ही में गुजरात में सिरेमिक क्लस्टर, असम में टी क्लस्टर और उत्तर प्रदेश में ग्लास क्लस्टर जैसे MSME में प्राकृतिक गैस के उपयोग में वृद्धि हुई है. इससे क्लीन एनर्जी में परिवर्तन और एनर्जी एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए प्रस्तावित वित्तीय सहायता का लाभ उठाया जा सकता है.

ICCT के भारत में मैनेजिंग डायरेक्टर अमित भट्ट का मानना है कि बजट में इलेक्ट्रिकल व्हीकल (EV) या FAME 3 के लिए कोई विशेष घोषणा नहीं की गई, लेकिन इसकी उम्मीद थी. कुछ दिन पहले उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा था कि इस बारे में घोषणा निकट भविष्य में की जाएगी, लेकिन आगामी केंद्रीय बजट में नहीं, क्योंकि FAME 3 पर तैयारी का काम अभी भी चल रहा है.

वहीं, CBO, Zypp इलेक्ट्रिक के को-फाउंडर रशि अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय बजट में महिलाओं की वर्कफोर्स पार्टनर्शिप और युवाओं की स्किल बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इससे महिलाओं के सामने आने वाली प्रमुख बाधाओं को दूर करने, लैंगिक समानता और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में दिशा मिलेगी.

यह भी पढ़ें- अग्निपथ योजना पर फिर से विचार स्वागत योग्य कदम

हैदराबाद : नवनिर्वाचित भारतीय सरकार के पहले बजट ने अर्थव्यवस्था के अधिकांश क्षेत्रों में नीतिगत निरंतरता का संकेत दिया है, जबकि देश की सबसे बड़ी चुनौती बेरोजगारी को संबोधित करने की कोशिश की है. जहां बिहार और आंध्र प्रदेश राज्यों के लिए रोजगार और स्किल को प्राथमिकता दी गई है. वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पेश किए बजट 2024-25 में जलवायु और स्थिरता को भी उचित स्थान मिला है. इस वर्ष के बजट व्यय की कुल योजना 48.21 लाख करोड़ रुपये थी, जिसमें कुल रिसिप्ट (उधार को छोड़कर) 32.07 लाख करोड़ रुपये अनुमानित थीं.

निर्मला सीतारमण के बजट भाषण के अनुसार पीएम सूर्या कार्यक्रम पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा, भारत ने ऐसी योजनाओं की घोषणा की है जो अनुकूलन को मजबूत करने और चरम जलवायु घटनाओं से होने वाले नुकसान और क्षति का प्रबंधन करने के प्रयासों में मदद कर सकती हैं.

वहीं, बजट में इस बात का अभाव था कि कार्बन मूल्य निर्धारण, परमाणु ऊर्जा के उपयोग और यहां तक कि पीएम आवास योजना शहरी 2.0 की योजना से गर्मी-प्रतिरोधी शहरों के निर्माण में कैसे मदद मिलेगी. इसने जलवायु परिवर्तन के प्रत्येक पहलू के लिए क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है. चलिए अब नजर डालते हैं कि दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था ने अपने राष्ट्रीय बजट में क्या प्राथमिकताएं तय की हैं.

महत्वपूर्ण खनिज मिशन
बजट में विभिन्न रणनीतिक क्षेत्रों के लिए आवश्यक महत्वपूर्ण खनिजों के घरेलू उत्पादन, पुनर्चक्रण और विदेशी अधिग्रहण को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण खनिज मिशन की शुरुआत की गई है. यह मिशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट, वर्कफोर्स ट्रेनिंग, एक्सटेंडिड प्रोड्यूसर रेस्पॉन्सिबिलिटी और फाइनेंस मैकेनिज्म स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा.

पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना
इस पहल का उद्देश्य 1 करोड़ घरों में छत पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाना है, जिससे हर महीने 300 यूनिट तक मुफ़्त बिजली मिल सके. इस कार्यक्रम के लिए 6,250 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिससे नॉन-रेन्यूबल एनर्जी सोर्स पर निर्भरता कम होने और रेन्यूबल एनर्जी अपनाने को बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा सरकार ने पंप स्टोरेज प्रोजेक्ट्स, न्यूक्लियर एनर्जी डेवलपमेंट, एडवांस अल्ट्रा सुपर क्रिटिक्ल थर्मल प्लांट, पारंपरिक इंडस्ट्रीज और कार्बन एमिशन पर भी ध्यान केंद्रित किया है.

किसानों के लिए सरकार ने 109 उपज देने वाली, जलवायु-अनुकूल फसल किस्में जारी करने की घोषणा की है. इसके अतिरिक्त, 1 करोड़ किसानों को प्रमाणीकरण और ब्रांडिंग के लिए समर्थन के साथ प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. बजट में डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर एग्रीकल्चर, क्लाइमेट फाइनेंस फॉर टैक्सोनॉमी का भी ख्याल रखा गया है.

बजट में बाढ़ से प्रभावित राज्यों जैसे बिहार, असम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम में फ्लड मैनेजमेंट और रीकंस्ट्रक्शन के प्रावधान शामिल किए गए हैं. इन उपायों का उद्देश्य प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को कम करना और प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्निर्माण में सहायता करना है.

एनर्जी ट्रांजिशन पॉलिसी
सरकार एनर्जी ट्रांजिशन को लेकर एक नीति लाएगी जो रोजगार, विकास और पर्यावरणीय स्थिरता को संतुलित करेगा. सरकार देश में लघु रिएक्टरों की स्थापना के लिए निजी फर्मों के साथ साझेदारी करेगी. वहीं, एनटीपीसी और बीएचईएल के बीच संयुक्त उद्यम, AUSC तकनीक का उपयोग करके 800 मेगावाट का पूर्ण पैमाने का वाणिज्यिक तापीय संयंत्र स्थापित करेगा.

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन
इसके अलावा राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए बजटीय आवंटन 2023-24 में 100 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से बढ़ाकर 600 करोड़ रुपये कर दिया गया. एनर्जी ट्रांजिशन को सपोर्ट देने के लिए सरकार ने देश में सौर सेल और पैनलों के विनिर्माण में उपयोग के लिए छूट प्राप्त पूंजीगत वस्तुओं की सूची का विस्तार करने का प्रस्ताव दिया है.

इलेक्ट्रिक वाहन और मोटर वाहन क्षेत्र
इलेक्ट्रिक वाहन और मोटर वाहन क्षेत्र में भी डोमेस्टिक प्रोडक्शन, महत्वपूर्ण खनिजों की रीसाइकलिंग और महत्वपूर्ण खनिज एसेट के विदेशी अधिग्रहण के लिए महत्वपूर्ण खनिज मिशन की स्थापना की जाएगी. साथ ही लिथियम, तांबा, कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी तत्वों जैसे पच्चीस महत्वपूर्ण खनिजों को सीमा शुल्क से पूरी तरह छूट दी जाएगी, उनमें से दो पर बीसीडी में कमी की जाएगी.

भारत में (हाइब्रिड) इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और विनिर्माण (FAME) योजना 2024-25 के लिए बजट 2671 करोड़ रुपये रखा गया है. इतना ही नहीं एडवांस कैमेस्ट्री सेल (ACC) बैटरी स्टोरेज पर राष्ट्रीय कार्यक्रम के लिए प्रोडक्शन लिंक इंसेंटिव (PLI)) योजना के लिए 250 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन रखा गया है.

बजट पर विशेषज्ञों की राय
क्लाइमेट ट्रेंड्स की निदेशक आरती खोसला का कहना है कि बजट 2024-25 जलवायु-अनुकूल कृषि के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये आवंटन करने और सौर एनर्जी के लिए पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना जैसी पहलों की शुरूआत के साथ सतत विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इसका उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों पर ध्यान केंद्रित करना, पंप स्टोरेज परियोजनाओं के लिए नीति और एनर्जी ट्रांजिशन पाथवे पर पॉलिसी विकसित करने का निर्णय भी सराहनीय है.

हालांकि, यह देखना बाकी है कि भारत के ऊर्जा मिश्रण में न्यूक्लियर एनर्जी की भूमिका कैसे आकार लेती है. बजट में कार्बन प्राइसिंग मैकेनिज्म और कमजोर समुदायों की लाइफ को बेहतर बनाने के प्रयासों के लिए क्लाइमेट फाइनेंस जुटाने की रणनीतियों पर समयसीमा का अभाव है.

काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर की सीईओ डॉ अरुणाभा घोष का कहना है कि 2024 के बजट में एक स्थायी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कई आशाजनक प्रावधान हैं. यह न केवल भारत की स्वच्छ ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं (रूफटॉप सोलर और पंप हाइड्रो स्टोरेज पर ध्यान केंद्रित करते हुए) को एड्रेस करता है, बल्कि वाटर ट्रीटमेंट, एयर क्वालिटी और नदी की बाढ़ से उबरने के लिए एक्शन की रूपरेखा भी तैयार करता है. समानांतर रूप से, यह भारत के ग्रीन टेक्नोलॉजी के व्यापक निहितार्थों, MSME, जिन्हें भारत के उद्योग की रीढ़ कहा जाता इनमें कैसे बदलाव लाएगा.

ये एलिमेंट ग्रीन इकोनॉमी के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हैं. ये सभी प्रावधान- स्वच्छ ऊर्जा बाजारों से लेकर ग्रीन इंडस्ट्री और लाइफ क्वालिटी तक जलवायु घटनाओं से होने वाले नुकसान की रोकथाम, घरों और छोटे उद्योगों के लिए नए व्यवसाय मॉडल को बढ़ावा देने और संसाधनों की एक परिपत्र अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद हो सकते हैं. इस संबंध में क्लाइमेट फंड को परिभाषित करना पूंजी जुटाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है. ये उपाय एक टिकाऊ और समृद्ध भारत के लिए मजबूत नींव रख सकते हैं, जिसमें ऊर्जा परिवर्तन को आधार बनाया जा सकता है और इस पर व्यापक आर्थिक परिवर्तन के लिए सार्वजनिक नीति का लाभ उठाया जा सकता है.

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में एसोसिएट प्रोफेसर सुरंजलि टंडन ने कहा कि निवेशक और उद्योग फाइनेंस फ्लो और आर्थिक गतिविधि के पुनर्संरचना के लिए मार्गदर्शन के रूप में वर्गीकरण और ट्रांजिशन की मांग कर रहे हैं. बजट घोषणाएं स्पष्ट रूप से कार्बन मार्केट, टैक्सनोमी और ट्रांजिशन पथ की स्थापना का उल्लेख करती हैं.

CEEW के सीनियर प्रोग्राम लीड ऋषभ जैन का कहना है कि क्रिटिकल मिनिरल्स एनर्जी ट्रांजिशन और इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और दूरसंचार जैसे अन्य रणनीतिक क्षेत्रों के लिए आधारशिला हैं. भारत के लिए क्रिटिकल मिनिरल्स मिशन की घोषणा प्राइवेज और सरकारी कंपनियों को महत्वपूर्ण मिनिरल्स की सप्लाई चेन में क्षमताएं विकसित करने और मध्यम से लंबी अवधि में कॉम्पीटेशन करने के लिए प्रोत्साहित करेगी. CEEW की 2023 की रिपोर्ट ने वैश्विक महत्वपूर्ण मिनिरल्स की सप्लाई चेन में अवसरों पर प्रकाश डाला.

खनन का स्वदेशीकरण और विदेशी अधिग्रहण के साथ प्रोसेसिंह और रीसाइकलिंग के लिए घरेलू क्षमताओं का निर्माण डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग इको सिस्टम के लिए सप्लाई चेन को सुरक्षित करेगा. विशेष रूप से सौर, पवन, ईवी और बैटरी जैसे स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्रों के लिए. चूंकि वैश्विक स्तर पर कई देश अपने आयात में विविधता लाने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए भारत एक आकर्षक डेस्टिनेशन के रूप में उभर रहा है.

इस बजट घोषणा के माध्यम से भारत ने महत्वपूर्ण खनिजों की विश्वसनीय, विविध, टिकाऊ और रेस्पांसिबल सप्लाई चेन बनाने के लिए पिछले साल जी20 के लिए अपनी प्रतिबद्धताओं पर एक्शन शुरू कर दिया है. इस मिशन के लिए समर्पित प्रयास, आयात के लिए सीमा शुल्क में कमी, प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव योजनाओं जैसी मौजूदा सरकारी पहलों का समर्थन करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जो भारत के जलवायु लक्ष्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं.

CEEW के सीनियर प्रोग्राम हेड नितिन बस्सी ने कहा कि सीईईडब्ल्यू विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में 64 प्रतिशत से अधिक तहसीलों में पिछले तीन दशकों की तुलना में पिछले दशक में बारिश की आवृत्ति में वृद्धि देखी गई है. इसलिए, सिक्किम, असम, बिहार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे संवेदनशील राज्यों में बाढ़ मिटिगेशन पर केंद्रीय बजट 2024 का जोर एक स्वागत योग्य कदम है. इसके अलावा, बाढ़ के जोखिम को मैनेज करने के लिए शहर-स्पेसिफिक कार्य योजनाओं को विकसित करने पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है.

एसोसिएट प्रोफेसर और आईएसबी में भारती इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी में रिसर्च डायरेक्टर डॉ अंजल प्रकाश ने बजट को लेकर कहा, “मैं इस बजट का स्वागत करता हूं क्योंकि इसमें जलवायु परिवर्तन के कुछ कोम्पोनेंट के लिए महत्वपूर्ण आवंटन किए गए हैं. उदाहरण के लिए, जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए धन में सुधार करने में मदद करने के लिए जलवायु वित्त के लिए वर्गीकरण विकसित करना."

उन्होंने कहा कि यह देश की जलवायु प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने और ज़मीनी स्तर पर आवश्यक परिवर्तनों को प्राप्त करने में सहायता करेगा. बजट में जलवायु प्रतिरोधी बीज किस्मों के वितरण, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और प्राकृतिक खेती जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है, जिससे खेत स्तर की उत्पादकता में सुधार होगा. झींगा उत्पादन को प्रोत्साहित करने और सब्जी उत्पादन समूहों पर ध्यान केंद्रित करने वाले आत्मनिर्भरता मिशन से भी ताज़ी उपज और प्रोटीन की खपत में उभरते बदलावों के साथ उत्पादन को संरेखित करने में मदद मिलेगी.

इंडिया, एम्बर के इलेक्ट्रिसिटी एनालिस्ट नेशविन रोड्रिग्स का कहना है कि इस साल के बजट में ऊर्जा क्षेत्र के लिए बहुत कुछ है. यह अंतरिम बजट के अनुरूप है, और हॉलिस्टिक एनर्जी में बड़े निवेश के साथ स्वच्छ ऊर्जा कंपनियों को बढ़ावा मिलेगा. यह एनर्जी सिक्योरिटी, आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और पर्यावरणीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए अधिक समग्र ऊर्जा संक्रमण मार्ग की ओर बढ़ने को रेखांकित करता है. उन्होंने कहा कि भारत को अब थर्मल पावर पर निर्भरता कम करने के तरीके खोजने की जरूरत है और आने वाले वर्षों में बैटरी की लागत में और तेजी से गिरावट आने की उम्मीद है, इसलिए इस निर्भरता को चरणबद्ध तरीके से कम करने की योजना बनाई जा सकती है.

ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल, इंडिया के चेयरमैन गिरीश तांती का कहना है कि हालिया बजट क्लीन टेक्नोलॉजी के विकास को प्राथमिकता देकर और हॉलिस्टिक एनर्जी इंवेस्टमेंट के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देकर जलवायु परिवर्तन से निपटने में भारत के वैश्विक नेतृत्व को दर्शाता है. भारत सरकार न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ा रही है, बल्कि अपने दूरदर्शी दृष्टिकोण के साथ ऊर्जा संक्रमण को भी गति दे रही है. मेरा मानना ​​है कि अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की प्रगति दुनिया भर के देशों के लिए एक बेंचमार्क स्थापित करेगी.

ग्लोबल वाइंड एनर्जी के पॉलिसी डायरेक्टर- इंडिया मार्तंड शार्दुल ने कहा कि बजट में नौकरियों के सृजन और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर, विशेष रूप से एमएसएमई के विकास पर जोर दिया गया है. यह चालू वित्त वर्ष के लिए वाइंड इंडस्ट्री की प्राथमिकताओं के साथ अच्छी तरह से मेल खाता है. हाल ही में एक अधिसूचना में नई और रेन्युबल एनर्जी मंत्रालय ने मेक इन इंडिया पहल के तहत वाइंड मैन्युफैक्चयुरिंग पर अधिक जोर दिया. इसके अलावा इससे प्रमुख वाइंड कंपनियों द्वारा घोषित हाल की प्रतिबद्धताओं/प्रगति के परिणामस्वरूप, नए अवसर पैदा होंगे. ये डेवपलमेंट भारत की ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा ट्रांजिशन के विजन में सहायता करेंगे.

इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकोनोमिक्स एंड फाइनेंशियल एनलिजिज, डायरेक्टर साउथ एशिया विभूति गर्ग ने कहा कि ऊर्जा ट्रांजिशन के लिए, नीति निरंतरता स्वागत योग्य है. अंतरिम बजट के दौरान पीएम सूर्य घर मुफ़्त बिजली योजना और पंप हाइड्रो स्टोरेज पर घोषित सरकारी योजनाएं केंद्र में हैं. इसके अलावा, सरकार सही एनर्जी ट्रांजिशन पर एक नीति दस्तावेज विकसित करेगी जो रोजगार, विकास और पर्यावरणीय स्थिरता की अनिवार्यताओं को संतुलित करती है. जलवायु शमन और अनुकूलन के लिए वर्गीकरण के विकास के माध्यम से पूंजी की उपलब्धता को बढ़ाना एक स्वागत योग्य कदम है, जबकि कई देशों ने एक वर्गीकरण स्थापित किया है जो ग्रीनवाशिंग और उन गतिविधियों की पहचान करने में मदद करता है. भारत एक वर्गीकरण विकसित करके डेवलपर्स को ईएसजी वित्तपोषण आकर्षित करने में मदद करेगा.

उन्होंने कहा कि सरकार विदेशी निवेश को भी सरल बना रही है और विदेशी निवेश के लिए मुद्रा के रूप में भारतीय रुपये का उपयोग करने के अवसरों को बढ़ावा दे रही है. बजट में उद्योगों और अन्य बड़ी कंपनियों को मौजूदा 'प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार' मोड से 'भारतीय कार्बन बाजार' में बदलने पर जोर दिया गया है. विशेष रूप से एमएसएमई के लिए, ऊर्जा ऑडिट प्रदान किए जाएंगे और स्वच्छ ऊर्जा और ऊर्जा दक्षता उपायों को लागू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी.

पूर्वा जैन, ऊर्जा विशेषज्ञ, गैस एंड इंटरनेशनल एडवोकेसी और एनर्जी स्पेशलिस्ट पूर्वा जैन का कहना है कि MSME के क्लीन एनर्जी में परिवर्तन के लिए क्लस्टर-बेस्ड फाइनेंशियल सपोर्ट प्रदान करने का प्रस्ताव एक स्वागत योग्य कदम है. हाल ही में गुजरात में सिरेमिक क्लस्टर, असम में टी क्लस्टर और उत्तर प्रदेश में ग्लास क्लस्टर जैसे MSME में प्राकृतिक गैस के उपयोग में वृद्धि हुई है. इससे क्लीन एनर्जी में परिवर्तन और एनर्जी एफिशिएंसी बढ़ाने के लिए प्रस्तावित वित्तीय सहायता का लाभ उठाया जा सकता है.

ICCT के भारत में मैनेजिंग डायरेक्टर अमित भट्ट का मानना है कि बजट में इलेक्ट्रिकल व्हीकल (EV) या FAME 3 के लिए कोई विशेष घोषणा नहीं की गई, लेकिन इसकी उम्मीद थी. कुछ दिन पहले उद्योग मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा था कि इस बारे में घोषणा निकट भविष्य में की जाएगी, लेकिन आगामी केंद्रीय बजट में नहीं, क्योंकि FAME 3 पर तैयारी का काम अभी भी चल रहा है.

वहीं, CBO, Zypp इलेक्ट्रिक के को-फाउंडर रशि अग्रवाल ने कहा कि केंद्रीय बजट में महिलाओं की वर्कफोर्स पार्टनर्शिप और युवाओं की स्किल बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है. इससे महिलाओं के सामने आने वाली प्रमुख बाधाओं को दूर करने, लैंगिक समानता और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में दिशा मिलेगी.

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