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भारत-कनाडा के बीच तनाव से ट्रूडो को हो सकता है नुकसान

India Canada Spat: भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट की शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भारत यात्रा के दौरान जस्टिन ट्रूडो को नजरअंदाज करने के बाद से हुई.

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By Major General Harsha Kakar

Published : 3 hours ago

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जून, 2022 को जर्मनी में जी-7 शिखर सम्मेलन में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ. (ETV Bharat via PIB)

नई दिल्ली: हाल ही में कनाडाई अधिकारियों के एक समूह द्वारा दिए गए बयान, जो एक दूसरे से मेल खाते हैं, सभी का उद्देश्य भारत को कनाडा में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की कथित हत्या से जोड़ना है. कनाडा सरकार के बयान विस्तृत जांच पर आधारित नहीं लगते हैं, बल्कि यह विफलता को छिपाने का प्रयास है. कनाडा सरकार के झूठे औचित्य तब खुलकर सामने आ गए जब उसके अपने नागरिकों ने उन बयानों पर सवाल उठाए, जिनमें से कई विरोधाभासी थे और इसके पीछे का इरादा 'ट्रूडो बचाओ' अभियान का हिस्सा प्रतीत होता था. कनाडा के लोगों ने सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों में भारत की तुलना में अपनी ही सरकार की ज्यादा आलोचना की.

भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट की शुरुआत निज्जर की हत्या से नहीं बल्कि फरवरी 2018 में ट्रूडो परिवार की सात दिवसीय भारत यात्रा से हुई थी. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रूडो से छठे दिन औपचारिकता के तौर पर मुलाकात की. यात्रा का अंत परिवार के साथ फोटो खिंचवाने के अलावा किसी सार्थक परिणाम के साथ नहीं हुआ. इससे ट्रूडो के अहंकार को ठेस पहुंची. साथ ही उन्हें बिना किसी सार्थक परिणाम के गैरजरूरी खर्च के लिए अपने देश में आलोचना का सामना करना पड़ा. यहां तक कि सिख समुदाय को लुभाने के उनके प्रयास भी विफल रहे.

कनाडा में भारतीय उच्चायोग
कनाडा में भारतीय उच्चायोग (AP)

ट्रूडो के लिए इससे भी बदतर अनुभव पिछले सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत की उनकी यात्रा थी. वह संभवतः एकमात्र वैश्विक नेता थे, जिनके साथ पीएम मोदी ने कोई आधिकारिक द्विपक्षीय वार्ता नहीं की. खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करने के लिए भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी. इस बात को जानते हुए कि वह शिखर सम्मेलन में मौजूद एक अन्य व्यक्ति मात्र थे, ट्रूडो ने भारतीय राष्ट्रपति द्वारा आयोजित औपचारिक रात्रिभोज को छोड़ दिया, इसके बजाय वह अपने साथ आए बेटे को एक रेस्तरां में ले गए.

जख्म पर नमक छिड़कने के लिए कनाडाई प्रधानमंत्री के विमान में मैकेनिकल खराबी आ गई, जिसके कारण उन्हें दिल्ली में एक और दिन बिताना पड़ा, जिससे वह दुनिया भर में हंसी के पात्र बन गए. दिल्ली से लौटने पर, जब उनकी असफल यात्रा और जी-20 में शून्य योगदान के बारे में पूछा गया, साथ ही उनके विमान के ठप हो जाने का भी मजाक उड़ाया गया, तो ट्रूडो ने पहली बार निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का उल्लेख किया. उनके इस आरोप ने कनाडा के लोगों का ध्यान उनकी शर्मनाक यात्रा से हटा दिया.

भारत में कनाडा के उप-उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर 14 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय से रवाना होते हुए.
भारत में कनाडा के उप-उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर 14 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय से रवाना होते हुए. (PTI)

ताजा आरोप भी ऐसे समय में लगाए गए हैं, जब उन्हें इसी तरह की शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है. ट्रूडो ने दावा किया कि 11 अक्टूबर को लाओस की राजधानी वियनतियाने में आसियान शिखर सम्मेलन में उनके और प्रधानमंत्री मोदी के बीच 'संक्षिप्त बातचीत' हुई थी. उन्होंने कहा, "मैंने इस बात पर जोर दिया कि हमें कुछ काम करने की जरूरत है. कनाडा के लोगों की सुरक्षा और कानून के शासन को बनाए रखना किसी भी कनाडाई सरकार की प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक है और मैं इसी पर ध्यान केंद्रित करूंगा."

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जस्टिन ट्रूडो की टिप्पणियों की धज्जियां उड़ा दीं, जब उन्होंने कहा, "वियनतियाने में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री ट्रूडो के बीच कोई ठोस चर्चा नहीं हुई. भारत को उम्मीद है कि कनाडा की धरती पर भारत विरोधी खालिस्तानी गतिविधियों को होने नहीं दिया जाएगा और कनाडा की धरती से भारत के खिलाफ हिंसा, उग्रवाद और आतंकवाद की वकालत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी."

14 अक्टूबर, 2024 को ओटावा में भारतीय उच्चायोग के सामने भारत का झंडा फहराता हुआ.
14 अक्टूबर, 2024 को ओटावा में भारतीय उच्चायोग के सामने भारत का झंडा फहराता हुआ. (AP)

हाल ही में की गई घोषणाओं में भी मतभेद है. कनाडा ने दावा किया कि उसने भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है, जबकि भारत का कहना है कि कनाडा के इन आरोपों के बाद कि भारतीय राजनयिक जांच के दायरे में हैं, उसने उन्हें वापस बुला लिया. कनाडा का दावा है कि उसने भारत की संलिप्तता के सबूत पेश किए हैं, जबकि भारत ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि कोई सबूत साझा नहीं किया गया है.

कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने दावा किया कि भारत 'कनाडाई नागरिकों के खिलाफ लक्षित अभियान' में शामिल है. जांच का नेतृत्व कर रहे रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) के प्रमुख ने कहा कि भारत 'बिश्नोई गैंग से जुड़े खालिस्तान कार्यकर्ताओं' को निशाना बना रहा है. दिलचस्प बात यह है कि 2022 में भारत ने कनाडा से बिश्नोई गैंग के सदस्यों को प्रत्यर्पित करने के लिए अनुरोध किया था. कनाडा ने तब इनकार कर दिया था. आज, यह वही गैंग है जिसे कनाडा भारतीय राजनयिकों से जोड़ता है. यह कैसी विडंबना है.

भारत में कनाडा के उप उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए.
भारत में कनाडा के उप उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए. (PTI)

कुल मिलाकर इरादा कनाडा के घरेलू मामलों में भारतीय हस्तक्षेप को उजागर करना प्रतीत होता है.

भारत सरकार ने अपने बयान में इसी पहलू को मुद्दा बनाया है, जिसका उल्लेख विदेश मंत्रालय के बयान में किया गया, 'कनाडा की राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप को नजरअंदाज करने के लिए आलोचनाओं का सामना कर रही उनकी (ट्रूडो) सरकार ने नुकसान को कम करने के प्रयास में जानबूझकर भारत को शामिल किया है.' बयान में कहा गया है कि ट्रूडो ने यह टिप्पणी विदेशी हस्तक्षेप मामले में आयोग के समक्ष अपनी गवाही से ठीक पहले की.

कुछ ही दिन पहले, सीएसआईएस निदेशक वैनेसा लॉयड ने विदेशी हस्तक्षेप जांच के समक्ष गवाही देते हुए उल्लेख किया कि 'पाकिस्तान खालिस्तानी उग्रवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कनाडा में खुफिया ऑपरेशन और अंतरराष्ट्रीय दमन का संचालन करता है.' लॉयड की गवाही में भारत का कोई उल्लेख नहीं था. उनके बयान का तात्पर्य था कि कनाडा सरकार खालिस्तान को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान के साथ मिलकर काम कर रही है. क्या यह कनाडा को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला बनाता है?

15 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में कनाडाई उच्चायोग के बाहर एक निजी सुरक्षाकर्मी चलता हुआ.
15 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में कनाडाई उच्चायोग के बाहर एक निजी सुरक्षाकर्मी चलता हुआ. (AP)

साथ ही, ट्रूडो चीन का जिक्र नहीं करेंगे, जिसने कनाडा के अलग-अलग हिस्सों में चीनी पुलिस स्टेशन स्थापित किए हैं, जिसका उद्देश्य चीनी मूल कनाडाई लोगों को डराना है. पिछली जांचों में कनाडा में चीनी हस्तक्षेप के पुख्ता इनपुट थे, लेकिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी के बीजिंग के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण इसे नजरअंदाज कर दिया जाएगा.

ट्रूडो के इस्तीफे की मांग की
ट्रूडो की सरकार फिलहाल संसद में अल्पमत में है. खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की अगुआई वाली एनडीपी (न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी) ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. हाल ही में क्यूबेक में एक महत्वपूर्ण उपचुनाव में हार के कारण लिबरल पार्टी के 20 से अधिक सांसदों ने ट्रूडो के इस्तीफे की मांग की है. ट्रूडो का विरोध करने वाले सांसदों की संख्या बढ़ती जा रही है. उनके इस्तीफे की मांग ने उस समय जोर पकड़ा जब ट्रूडो लाओस में थे और उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात का दावा किया था.

लाओस से वापसी के तुरंत बाद भारत और कनाडा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो गया और उसके बाद राजनयिकों के निष्कासन कर दिया गया. जाहिर है, इरादा एक बार फिर कनाडाई लोगों के ध्यान को उनके इस्तीफे की मांग से हटाकर भारत पर निशाना साधने पर केंद्रित करना था. कनाडा में अगले साल चुनाव होने हैं. ट्रूडो की विफल आर्थिक और आप्रवासन नीतियों के कारण उनकी पार्टी की जमीन खिसक रही है. यह देखना बाकी है कि वे सरकार में कितने समय तक टिक पाते हैं, इससे पहले कि उनकी अपनी पार्टी के सांसद उन्हें बाहर निकाल दें.

सिखों के वोट हासिल करने की उम्मीद
ट्रूडो को यह भी पता है कि वह सिख कनाडाई लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. आखिरकार, उन्होंने भारत में किसानों के आंदोलन का समर्थन किया, साथ ही फर्जी पासपोर्ट पर आने वाले सिखों को नागरिकता देने में भी उदारता दिखाई, जिन्होंने उत्पीड़न का दावा किया था. भारत पर सिख समुदाय के एक सदस्य को निशाना बनाने का आरोप लगाकर और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ अलगाववादियों की गतिविधियों पर आंखें मूंदकर, ट्रूडो को जगमीत सिंह के समर्थन वापस लेने के बावजूद सिखों के वोट हासिल करने की उम्मीद है.

अमेरिका का समर्थन
कनाडा के आरोपों को संभवतः सिर्फ अमेरिका का ही समर्थन प्राप्त है. ट्रूडो के आरोपों को केवल अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ने ही प्रमुखता दी. समर्थन का प्रमुख कारण भारत का बढ़ता हुआ उदय और रणनीतिक स्वायत्तता है. अन्य देश ट्रूडो की असली कीमत जानते हैं.

ट्रूडो ने भारत के साथ विवाद पर अपने ब्रिटिश समकक्ष कीर स्टारमर से बात की. बयान में कहा गया कि दोनों निकट और नियमित संपर्क में रहने के लिए सहमत हुए. भारत पर कोई टिप्पणी नहीं की गई. न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने ट्वीट किया कि न्यूजीलैंड को कनाडा द्वारा जानकारी दी गई थी. उन्होंने संकेत दिया कि आरोप अभी भी साबित नहीं हुए हैं. जाहिर है, ट्रूडो अपनी विफलताओं पर सवाल उठाए जाने पर हर बार भारत पर हमला करते हुए आगे बढ़ रहे हैं. वह समर्थन पाने के लिए बेताब हैं.

पीएम मोदी ने ट्रूडो पर कभी कोई टिप्पणी नहीं की, इसे अपने विदेश कार्यालय के प्रवक्ताओं पर छोड़ दिया. उन्होंने साबित कर दिया है कि भारत झुकेगा नहीं, चाहे कितना भी दबाव क्यों न हो. मोदी जानते हैं कि ट्रूडो अस्तित्व की लड़ाई में उलझे हुए हैं. वह एक साथी बड़बोले पीएम की प्रतिष्ठा को कम करना अपनी गरिमा के खिलाफ समझते हैं. भारत के लिए जब तक ट्रूडो सत्ता में हैं, कनाडा के साथ संबंध कभी भी सामान्य नहीं हो सकते, जो लंबे समय तक संभव नहीं है.

भारत सरकार जानती है कि एक बार ट्रूडो के सत्ता से बाहर होने के बाद भारतीय परिस्थितियों में संबंधों में बहाल हो जाएगी.

यह भी पढ़ें- घरेलू राजनीति को साधने के चक्कर में ट्रूडो ने लांघी सीमा, भारत-कनाडा संबंधों को किया तार-तार

नई दिल्ली: हाल ही में कनाडाई अधिकारियों के एक समूह द्वारा दिए गए बयान, जो एक दूसरे से मेल खाते हैं, सभी का उद्देश्य भारत को कनाडा में खालिस्तान समर्थक हरदीप सिंह निज्जर की कथित हत्या से जोड़ना है. कनाडा सरकार के बयान विस्तृत जांच पर आधारित नहीं लगते हैं, बल्कि यह विफलता को छिपाने का प्रयास है. कनाडा सरकार के झूठे औचित्य तब खुलकर सामने आ गए जब उसके अपने नागरिकों ने उन बयानों पर सवाल उठाए, जिनमें से कई विरोधाभासी थे और इसके पीछे का इरादा 'ट्रूडो बचाओ' अभियान का हिस्सा प्रतीत होता था. कनाडा के लोगों ने सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों में भारत की तुलना में अपनी ही सरकार की ज्यादा आलोचना की.

भारत-कनाडा संबंधों में गिरावट की शुरुआत निज्जर की हत्या से नहीं बल्कि फरवरी 2018 में ट्रूडो परिवार की सात दिवसीय भारत यात्रा से हुई थी. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्रूडो से छठे दिन औपचारिकता के तौर पर मुलाकात की. यात्रा का अंत परिवार के साथ फोटो खिंचवाने के अलावा किसी सार्थक परिणाम के साथ नहीं हुआ. इससे ट्रूडो के अहंकार को ठेस पहुंची. साथ ही उन्हें बिना किसी सार्थक परिणाम के गैरजरूरी खर्च के लिए अपने देश में आलोचना का सामना करना पड़ा. यहां तक कि सिख समुदाय को लुभाने के उनके प्रयास भी विफल रहे.

कनाडा में भारतीय उच्चायोग
कनाडा में भारतीय उच्चायोग (AP)

ट्रूडो के लिए इससे भी बदतर अनुभव पिछले सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत की उनकी यात्रा थी. वह संभवतः एकमात्र वैश्विक नेता थे, जिनके साथ पीएम मोदी ने कोई आधिकारिक द्विपक्षीय वार्ता नहीं की. खालिस्तान आंदोलन का समर्थन करने के लिए भी उन्हें मुंह की खानी पड़ी. इस बात को जानते हुए कि वह शिखर सम्मेलन में मौजूद एक अन्य व्यक्ति मात्र थे, ट्रूडो ने भारतीय राष्ट्रपति द्वारा आयोजित औपचारिक रात्रिभोज को छोड़ दिया, इसके बजाय वह अपने साथ आए बेटे को एक रेस्तरां में ले गए.

जख्म पर नमक छिड़कने के लिए कनाडाई प्रधानमंत्री के विमान में मैकेनिकल खराबी आ गई, जिसके कारण उन्हें दिल्ली में एक और दिन बिताना पड़ा, जिससे वह दुनिया भर में हंसी के पात्र बन गए. दिल्ली से लौटने पर, जब उनकी असफल यात्रा और जी-20 में शून्य योगदान के बारे में पूछा गया, साथ ही उनके विमान के ठप हो जाने का भी मजाक उड़ाया गया, तो ट्रूडो ने पहली बार निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का उल्लेख किया. उनके इस आरोप ने कनाडा के लोगों का ध्यान उनकी शर्मनाक यात्रा से हटा दिया.

भारत में कनाडा के उप-उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर 14 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय से रवाना होते हुए.
भारत में कनाडा के उप-उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर 14 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय से रवाना होते हुए. (PTI)

ताजा आरोप भी ऐसे समय में लगाए गए हैं, जब उन्हें इसी तरह की शर्मिंदगी का सामना करना पड़ रहा है. ट्रूडो ने दावा किया कि 11 अक्टूबर को लाओस की राजधानी वियनतियाने में आसियान शिखर सम्मेलन में उनके और प्रधानमंत्री मोदी के बीच 'संक्षिप्त बातचीत' हुई थी. उन्होंने कहा, "मैंने इस बात पर जोर दिया कि हमें कुछ काम करने की जरूरत है. कनाडा के लोगों की सुरक्षा और कानून के शासन को बनाए रखना किसी भी कनाडाई सरकार की प्रमुख जिम्मेदारियों में से एक है और मैं इसी पर ध्यान केंद्रित करूंगा."

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जस्टिन ट्रूडो की टिप्पणियों की धज्जियां उड़ा दीं, जब उन्होंने कहा, "वियनतियाने में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री ट्रूडो के बीच कोई ठोस चर्चा नहीं हुई. भारत को उम्मीद है कि कनाडा की धरती पर भारत विरोधी खालिस्तानी गतिविधियों को होने नहीं दिया जाएगा और कनाडा की धरती से भारत के खिलाफ हिंसा, उग्रवाद और आतंकवाद की वकालत करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी."

14 अक्टूबर, 2024 को ओटावा में भारतीय उच्चायोग के सामने भारत का झंडा फहराता हुआ.
14 अक्टूबर, 2024 को ओटावा में भारतीय उच्चायोग के सामने भारत का झंडा फहराता हुआ. (AP)

हाल ही में की गई घोषणाओं में भी मतभेद है. कनाडा ने दावा किया कि उसने भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है, जबकि भारत का कहना है कि कनाडा के इन आरोपों के बाद कि भारतीय राजनयिक जांच के दायरे में हैं, उसने उन्हें वापस बुला लिया. कनाडा का दावा है कि उसने भारत की संलिप्तता के सबूत पेश किए हैं, जबकि भारत ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि कोई सबूत साझा नहीं किया गया है.

कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली ने दावा किया कि भारत 'कनाडाई नागरिकों के खिलाफ लक्षित अभियान' में शामिल है. जांच का नेतृत्व कर रहे रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) के प्रमुख ने कहा कि भारत 'बिश्नोई गैंग से जुड़े खालिस्तान कार्यकर्ताओं' को निशाना बना रहा है. दिलचस्प बात यह है कि 2022 में भारत ने कनाडा से बिश्नोई गैंग के सदस्यों को प्रत्यर्पित करने के लिए अनुरोध किया था. कनाडा ने तब इनकार कर दिया था. आज, यह वही गैंग है जिसे कनाडा भारतीय राजनयिकों से जोड़ता है. यह कैसी विडंबना है.

भारत में कनाडा के उप उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए.
भारत में कनाडा के उप उच्चायुक्त स्टीवर्ट व्हीलर विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए. (PTI)

कुल मिलाकर इरादा कनाडा के घरेलू मामलों में भारतीय हस्तक्षेप को उजागर करना प्रतीत होता है.

भारत सरकार ने अपने बयान में इसी पहलू को मुद्दा बनाया है, जिसका उल्लेख विदेश मंत्रालय के बयान में किया गया, 'कनाडा की राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप को नजरअंदाज करने के लिए आलोचनाओं का सामना कर रही उनकी (ट्रूडो) सरकार ने नुकसान को कम करने के प्रयास में जानबूझकर भारत को शामिल किया है.' बयान में कहा गया है कि ट्रूडो ने यह टिप्पणी विदेशी हस्तक्षेप मामले में आयोग के समक्ष अपनी गवाही से ठीक पहले की.

कुछ ही दिन पहले, सीएसआईएस निदेशक वैनेसा लॉयड ने विदेशी हस्तक्षेप जांच के समक्ष गवाही देते हुए उल्लेख किया कि 'पाकिस्तान खालिस्तानी उग्रवाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कनाडा में खुफिया ऑपरेशन और अंतरराष्ट्रीय दमन का संचालन करता है.' लॉयड की गवाही में भारत का कोई उल्लेख नहीं था. उनके बयान का तात्पर्य था कि कनाडा सरकार खालिस्तान को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान के साथ मिलकर काम कर रही है. क्या यह कनाडा को आतंकवाद को प्रायोजित करने वाला बनाता है?

15 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में कनाडाई उच्चायोग के बाहर एक निजी सुरक्षाकर्मी चलता हुआ.
15 अक्टूबर, 2024 को नई दिल्ली में कनाडाई उच्चायोग के बाहर एक निजी सुरक्षाकर्मी चलता हुआ. (AP)

साथ ही, ट्रूडो चीन का जिक्र नहीं करेंगे, जिसने कनाडा के अलग-अलग हिस्सों में चीनी पुलिस स्टेशन स्थापित किए हैं, जिसका उद्देश्य चीनी मूल कनाडाई लोगों को डराना है. पिछली जांचों में कनाडा में चीनी हस्तक्षेप के पुख्ता इनपुट थे, लेकिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी के बीजिंग के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण इसे नजरअंदाज कर दिया जाएगा.

ट्रूडो के इस्तीफे की मांग की
ट्रूडो की सरकार फिलहाल संसद में अल्पमत में है. खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की अगुआई वाली एनडीपी (न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी) ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया है. हाल ही में क्यूबेक में एक महत्वपूर्ण उपचुनाव में हार के कारण लिबरल पार्टी के 20 से अधिक सांसदों ने ट्रूडो के इस्तीफे की मांग की है. ट्रूडो का विरोध करने वाले सांसदों की संख्या बढ़ती जा रही है. उनके इस्तीफे की मांग ने उस समय जोर पकड़ा जब ट्रूडो लाओस में थे और उन्होंने पीएम मोदी से मुलाकात का दावा किया था.

लाओस से वापसी के तुरंत बाद भारत और कनाडा के बीच आरोप-प्रत्यारोप का खेल शुरू हो गया और उसके बाद राजनयिकों के निष्कासन कर दिया गया. जाहिर है, इरादा एक बार फिर कनाडाई लोगों के ध्यान को उनके इस्तीफे की मांग से हटाकर भारत पर निशाना साधने पर केंद्रित करना था. कनाडा में अगले साल चुनाव होने हैं. ट्रूडो की विफल आर्थिक और आप्रवासन नीतियों के कारण उनकी पार्टी की जमीन खिसक रही है. यह देखना बाकी है कि वे सरकार में कितने समय तक टिक पाते हैं, इससे पहले कि उनकी अपनी पार्टी के सांसद उन्हें बाहर निकाल दें.

सिखों के वोट हासिल करने की उम्मीद
ट्रूडो को यह भी पता है कि वह सिख कनाडाई लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. आखिरकार, उन्होंने भारत में किसानों के आंदोलन का समर्थन किया, साथ ही फर्जी पासपोर्ट पर आने वाले सिखों को नागरिकता देने में भी उदारता दिखाई, जिन्होंने उत्पीड़न का दावा किया था. भारत पर सिख समुदाय के एक सदस्य को निशाना बनाने का आरोप लगाकर और भारतीय राजनयिकों के खिलाफ अलगाववादियों की गतिविधियों पर आंखें मूंदकर, ट्रूडो को जगमीत सिंह के समर्थन वापस लेने के बावजूद सिखों के वोट हासिल करने की उम्मीद है.

अमेरिका का समर्थन
कनाडा के आरोपों को संभवतः सिर्फ अमेरिका का ही समर्थन प्राप्त है. ट्रूडो के आरोपों को केवल अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ने ही प्रमुखता दी. समर्थन का प्रमुख कारण भारत का बढ़ता हुआ उदय और रणनीतिक स्वायत्तता है. अन्य देश ट्रूडो की असली कीमत जानते हैं.

ट्रूडो ने भारत के साथ विवाद पर अपने ब्रिटिश समकक्ष कीर स्टारमर से बात की. बयान में कहा गया कि दोनों निकट और नियमित संपर्क में रहने के लिए सहमत हुए. भारत पर कोई टिप्पणी नहीं की गई. न्यूजीलैंड के विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने ट्वीट किया कि न्यूजीलैंड को कनाडा द्वारा जानकारी दी गई थी. उन्होंने संकेत दिया कि आरोप अभी भी साबित नहीं हुए हैं. जाहिर है, ट्रूडो अपनी विफलताओं पर सवाल उठाए जाने पर हर बार भारत पर हमला करते हुए आगे बढ़ रहे हैं. वह समर्थन पाने के लिए बेताब हैं.

पीएम मोदी ने ट्रूडो पर कभी कोई टिप्पणी नहीं की, इसे अपने विदेश कार्यालय के प्रवक्ताओं पर छोड़ दिया. उन्होंने साबित कर दिया है कि भारत झुकेगा नहीं, चाहे कितना भी दबाव क्यों न हो. मोदी जानते हैं कि ट्रूडो अस्तित्व की लड़ाई में उलझे हुए हैं. वह एक साथी बड़बोले पीएम की प्रतिष्ठा को कम करना अपनी गरिमा के खिलाफ समझते हैं. भारत के लिए जब तक ट्रूडो सत्ता में हैं, कनाडा के साथ संबंध कभी भी सामान्य नहीं हो सकते, जो लंबे समय तक संभव नहीं है.

भारत सरकार जानती है कि एक बार ट्रूडो के सत्ता से बाहर होने के बाद भारतीय परिस्थितियों में संबंधों में बहाल हो जाएगी.

यह भी पढ़ें- घरेलू राजनीति को साधने के चक्कर में ट्रूडो ने लांघी सीमा, भारत-कनाडा संबंधों को किया तार-तार

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