ETV Bharat / opinion

भारत-चीन सीमा समझौता: क्या बीजिंग ने संबंधों को सुदृढ़ करना का आह्वान किया है? - INDIA CHINA BORDER AGREEMENT

India China Border Agreement : एक प्रमुख चीनी अखबार ने नई दिल्ली और बीजिंग के बीच द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने का आह्वान किया है.

India-China border agreement: Is nurturing and consolidation of ties the call from China?
भारत-चीन सीमा समझौता (ETV Bharat)
author img

By Aroonim Bhuyan

Published : Oct 29, 2024, 11:09 PM IST

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए भारत और चीन के बीच समझौते के कुछ दिनों बाद एक प्रमुख चीनी अखबार ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में 'चार साल के उतार-चढ़ाव' के बाद दोनों पड़ोसी देश 'मूल्यवान समाधानों को संजोकर रखेंगे'.

'चीन-भारत संबंधों में नए विकास के लिए निरंतर देखरेख और मजबूती की जरूरत' शीर्षक वाले संपादकीय में ग्लोबल टाइम्स (जिसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माना जाता है) ने कहा कि यह समझौता 'द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता और विकास की आवश्यकता के बारे में चीन और भारत के बीच साझा समझ को दर्शाता है. साथ ही शांतिपूर्ण परामर्श के जरिये मतभेदों को हल करने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

लंबे समय से चल रहा चीन-भारत सीमा विवाद दोनों देशों के बीच स्थित कई बड़े और छोटे क्षेत्रों की संप्रभुता के इर्द-गिर्द घूमता है. भारत-चीन सीमा, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के रूप में जाना जाता है, हिमालय में 3,488 किलोमीटर से अधिक तक फैली हुई है.

5 मई, 2020 को पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था. इसके बाद से भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों को छोड़कर, अन्य संबंधों में भारी गिरावट आई थी.

हालांकि, इस महीने रूस में हुए ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन से पहले भारत ने पूर्वी लद्दाख में सीमा वाले क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने के लिए चीन के साथ एक समझौते पर सहमति की घोषणा की थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस के कजान की यात्रा से पहले मीडिया ब्रीफिंग के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "मैं आपको बता सकता हूं कि पिछले कई हफ्तों से, भारतीय और चीनी राजनयिक और सैन्य वार्ताकार विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे के साथ निकट संपर्क में हैं. इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप, भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर सहमति बन गई है, जिससे सैनिक पीछे हट रहे हैं और 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न हुए मुद्दों का समाधान हो रहा है. हम इस पर अगले कदम उठाएंगे."

मिस्री ने कहा कि दोनों पक्ष भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्यतंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के साथ-साथ विभिन्न स्तरों पर सैन्य कमांडरों की बैठकों के माध्यम से कूटनीतिक स्तर पर चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "अब, पिछले कई हफ्तों में हुई चर्चाओं के परिणामस्वरूप, भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर सहमति बन गई है और इससे सैनिकों को हटाया जा रहा है और अंततः 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न हुए मुद्दों का समाधान हो रहा है."

इसके बाद, पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठक की, जो पांच वर्षों में उनकी पहली ऐसी बैठक थी. बैठक के दौरान, मोदी ने कहा कि परस्पर विश्वास, परस्पर सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता हमारे संबंधों का आधार बने रहना चाहिए.

वहीं, जिनपिंग ने चीन और भारत दोनों से एक-दूसरे की विकास आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में सहायता करने का आग्रह किया. चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों पक्षों को संचार और सहयोग को मजबूत करना चाहिए, और मतभेदों और असहमतियों को ठीक से मैनेज करना चाहिए.

हालांकि इस बैठक और दोनों नेताओं की टिप्पणियों ने मीडिया में इस बात को लेकर अटकलें लगाई हैं कि क्या हाथी और ड्रैगन के बीच सीमा विवाद आखिरकार सुलझ गया है, लेकिन इस बात को लेकर भी संदेह है कि क्या बीजिंग अपनी बात पर अमल करेगा.

इसी संदर्भ में ग्लोबल टाइम्स का संपादकीय समीक्षकों के लिए रुचि का विषय बन गया है. इसमें कहा गया है कि इस समझौते ने 'इस अशांत दुनिया में व्यावहारिक बातचीत और परामर्श के माध्यम से सीमा मुद्दों को हल करने में दो पड़ोसी प्रमुख देशों के बीच तर्कसंगतता, संयम और धैर्य की सकारात्मक छवि स्थापित की है.

संपादकीय में आगे कहा गया है, "यह प्रगति न केवल चीन-भारत द्विपक्षीय संबंधों में लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने में मदद करती है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के सामान्य करने की नींव रखती है. साथ ही चीन-भारत संबंधों में स्थिर विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ईमानदार उम्मीदों को भी प्रभावी ढंग से पूरा करती है."

साथ ही, संपादकीय में उल्लेख किया गया कि जनमत में सतर्क आवाजें हैं, जो सुझाव देती हैं कि ये घटनाक्रम केवल 'पहला कदम' है. संपादकीय में कहा गया है, "यह हमें याद दिलाता है कि गतिरोध टूट गया है और सामान्य स्थिति में वापसी की उम्मीद है, लेकिन अंतराल को पाटने और विश्वास के पुनर्निर्माण में समय और धैर्य लगेगा."

यह भी पढ़ें- LAC Dispute: देपसांग और डेमचोक से पीछे हटे भारत-चीन के सैनिक, डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी !

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए भारत और चीन के बीच समझौते के कुछ दिनों बाद एक प्रमुख चीनी अखबार ने कहा कि द्विपक्षीय संबंधों में 'चार साल के उतार-चढ़ाव' के बाद दोनों पड़ोसी देश 'मूल्यवान समाधानों को संजोकर रखेंगे'.

'चीन-भारत संबंधों में नए विकास के लिए निरंतर देखरेख और मजबूती की जरूरत' शीर्षक वाले संपादकीय में ग्लोबल टाइम्स (जिसे चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का मुखपत्र माना जाता है) ने कहा कि यह समझौता 'द्विपक्षीय संबंधों में स्थिरता और विकास की आवश्यकता के बारे में चीन और भारत के बीच साझा समझ को दर्शाता है. साथ ही शांतिपूर्ण परामर्श के जरिये मतभेदों को हल करने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

लंबे समय से चल रहा चीन-भारत सीमा विवाद दोनों देशों के बीच स्थित कई बड़े और छोटे क्षेत्रों की संप्रभुता के इर्द-गिर्द घूमता है. भारत-चीन सीमा, जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के रूप में जाना जाता है, हिमालय में 3,488 किलोमीटर से अधिक तक फैली हुई है.

5 मई, 2020 को पैंगोंग त्सो झील क्षेत्र में दोनों पक्षों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था. इसके बाद से भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंधों को छोड़कर, अन्य संबंधों में भारी गिरावट आई थी.

हालांकि, इस महीने रूस में हुए ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, चीन, भारत, दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन से पहले भारत ने पूर्वी लद्दाख में सीमा वाले क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने के लिए चीन के साथ एक समझौते पर सहमति की घोषणा की थी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रूस के कजान की यात्रा से पहले मीडिया ब्रीफिंग के दौरान विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, "मैं आपको बता सकता हूं कि पिछले कई हफ्तों से, भारतीय और चीनी राजनयिक और सैन्य वार्ताकार विभिन्न मंचों पर एक-दूसरे के साथ निकट संपर्क में हैं. इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप, भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर सहमति बन गई है, जिससे सैनिक पीछे हट रहे हैं और 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न हुए मुद्दों का समाधान हो रहा है. हम इस पर अगले कदम उठाएंगे."

मिस्री ने कहा कि दोनों पक्ष भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्यतंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के साथ-साथ विभिन्न स्तरों पर सैन्य कमांडरों की बैठकों के माध्यम से कूटनीतिक स्तर पर चर्चा कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "अब, पिछले कई हफ्तों में हुई चर्चाओं के परिणामस्वरूप, भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त व्यवस्था पर सहमति बन गई है और इससे सैनिकों को हटाया जा रहा है और अंततः 2020 में इन क्षेत्रों में उत्पन्न हुए मुद्दों का समाधान हो रहा है."

इसके बाद, पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठक की, जो पांच वर्षों में उनकी पहली ऐसी बैठक थी. बैठक के दौरान, मोदी ने कहा कि परस्पर विश्वास, परस्पर सम्मान और परस्पर संवेदनशीलता हमारे संबंधों का आधार बने रहना चाहिए.

वहीं, जिनपिंग ने चीन और भारत दोनों से एक-दूसरे की विकास आकांक्षाओं को आगे बढ़ाने में सहायता करने का आग्रह किया. चीनी राष्ट्रपति ने कहा कि दोनों पक्षों को संचार और सहयोग को मजबूत करना चाहिए, और मतभेदों और असहमतियों को ठीक से मैनेज करना चाहिए.

हालांकि इस बैठक और दोनों नेताओं की टिप्पणियों ने मीडिया में इस बात को लेकर अटकलें लगाई हैं कि क्या हाथी और ड्रैगन के बीच सीमा विवाद आखिरकार सुलझ गया है, लेकिन इस बात को लेकर भी संदेह है कि क्या बीजिंग अपनी बात पर अमल करेगा.

इसी संदर्भ में ग्लोबल टाइम्स का संपादकीय समीक्षकों के लिए रुचि का विषय बन गया है. इसमें कहा गया है कि इस समझौते ने 'इस अशांत दुनिया में व्यावहारिक बातचीत और परामर्श के माध्यम से सीमा मुद्दों को हल करने में दो पड़ोसी प्रमुख देशों के बीच तर्कसंगतता, संयम और धैर्य की सकारात्मक छवि स्थापित की है.

संपादकीय में आगे कहा गया है, "यह प्रगति न केवल चीन-भारत द्विपक्षीय संबंधों में लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने में मदद करती है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के सामान्य करने की नींव रखती है. साथ ही चीन-भारत संबंधों में स्थिर विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय की ईमानदार उम्मीदों को भी प्रभावी ढंग से पूरा करती है."

साथ ही, संपादकीय में उल्लेख किया गया कि जनमत में सतर्क आवाजें हैं, जो सुझाव देती हैं कि ये घटनाक्रम केवल 'पहला कदम' है. संपादकीय में कहा गया है, "यह हमें याद दिलाता है कि गतिरोध टूट गया है और सामान्य स्थिति में वापसी की उम्मीद है, लेकिन अंतराल को पाटने और विश्वास के पुनर्निर्माण में समय और धैर्य लगेगा."

यह भी पढ़ें- LAC Dispute: देपसांग और डेमचोक से पीछे हटे भारत-चीन के सैनिक, डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी !

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.