कोलंबो: मार्क्सवादी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके को रविवार को श्रीलंका का अगला राष्ट्रपति घोषित किया गया. पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट के 55 वर्षीय नेता दिसानायके ने शनिवार को हुए चुनाव में 42.31 प्रतिशत वोट के साथ राष्ट्रपति पद जीत था. वहीं, विपक्षी नेता साजिथ प्रेमदासा 32.76 प्रतिशत वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. न्यूज एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार निवर्तमान राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, जिन्होंने 2022 के आर्थिक पतन के चरम पर पदभार संभाला था 17.27 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
बता दें कि श्रीलंकाई राष्ट्रपति चुनाव 2024 में पद के लिए कुल 38 उम्मीदवार मैदान में थे. हालांकि, मुख्य मुकाबला दिसानायके, विक्रमसिंघे और प्रेमदासा के बीच था. विक्रमसिंघे को जुलाई 2022 में संसदीय वोट के जरिए राष्ट्रपति चुना गया था, ताकि गोटबाया राजपक्षे के पांच साल के कार्यकाल के बचे हुए कार्यकाल को कवर किया जा सके.
अनुरा कुमारा दिसानायके कौन हैं?
नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) और जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) का नेतृत्व करने वाले दिसानायके ने खुद को बदलाव की आवाज के रूप में स्थापित किया. उनकी पार्टी जेवीपी से निकली है, जो एक मार्क्सवादी-ओरिएंटेड ग्रुप है, जिसने ऐतिहासिक रूप से सामाजिक न्याय और भ्रष्टाचार विरोधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है.
24 नवंबर 1968 को सेंट्रल प्रोविंस के एक छोटे से गांव गैलेवेला में जन्मे दिसानायके चार साल की उम्र में केकिरावा चले गए थे. वह अपने स्कूल से विश्वविद्यालय जाने वाले पहले छात्र थे. वह 1990 के दशक में द्वीप देश में साम्यवाद के विचार को आगे बढ़ाने वाले एक छात्र नेता के रूप में प्रमुखता से उभरे.
जेवीपी की युवा शाखा के राष्ट्रीय आयोजक बने
1997 में उन्हें जेवीपी की युवा शाखा, सोशलिस्ट यूथ ऑर्गनाइजेशन का राष्ट्रीय आयोजक नियुक्त किया गया. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 1998 तक वे जेवीपी की निर्णय लेने वाली संस्था पोलित ब्यूरो में शामिल हो गए थे.
2004 में दिसानायके उस समय चर्चा में आए, जब उन्होंने कुरुनेगला जिले से संसदीय चुनाव लड़ा और सांसद चुने गए. गठबंधन सरकार में उन्हें राष्ट्रपति चंद्रिका भंडारनायके कुमारतुंगा सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. हालांकि, एक साल बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
इसके बाद जनवरी 2014 में दिसानायके ने सोमवंशा अमरसिंघे की जगह JVP नेतृत्व संभाल और 2015 के आम चुनावों में उन्होंने कोलंबो जिले से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. बाद में उन्होंने संसद में मुख्य विपक्षी सचेतक के रूप में कार्य किया.
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