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क्या है 'लव ट्रैप' अभियान, जिसके नाम पर हिंदुओं का बनाया जा रहा निशाना

बांग्लादेश में जारी हिंदू विरोधी कदमों की ताजा लहर में समुदाय के सदस्यों को सरकारी नौकरियों से हटाया जा रहा है.

बांग्लादेश में उथल-पुथल
बांग्लादेश में उथल-पुथल (सांकेतिक तस्वीर)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 27, 2024, 8:45 PM IST

ढाका: बांग्लादेश में हिंदुओं पर डायरेक्ट हमले कम होते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि, उन्हें अभी भी धमकियों और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. उनके खिलाफ राजनीतिक माहौल से सशक्त कट्टरपंथी संगठन शारीरिक हिंसा से लेकर सामाजिक बहिष्कार और बदनामी अभियानों तक, विभिन्न तरीकों से निशाना बना रहे हैं.

बता दें कि 5 अगस्त को शेख हसीना के प्रशासन के पतन के बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने दक्षिण एशियाई देश में सत्ता संभाली है. हालांकि, उनके सत्ता संभालने के बाद कट्टरपंथी समूहों ने काफी ताकत हासिल की है, जिससे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव बढ़ गया है.

भेदभाव और धमकी
हिंदू विरोधी कदमों की ताजा लहर में समुदाय के सदस्यों को सरकारी नौकरियों से हटाया जा रहा है. इसके लिए उन्हें या तो बर्खास्तगी किया जा रहा या फिर उनसे जबरन इस्तीफा मांगा जा रहा है. इतना ही नहीं प्रमुख यूनिवर्सिटीज के हिंदू शिक्षकों और प्रोफेसरों को कथित तौर पर इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला जा रहा है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार चटगांव यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर रोंटू दास को कथित तौर पर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया. कथित तौर पर उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिलीं. उनका इस्तीफा पत्र, जिसमें उन्होंने अपने साथ हुए भेदभाव के बारे में बताया है, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.

हिंदू कैडेटों को किया जा रहा बर्खास्त
दबाव की यह लहर शैक्षणिक संस्थानों से आगे बढ़कर हिंदू कैडेटों को पुलिस बल में शामिल करने तक पहुंच गई है. हाल ही में शारदा पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग पूरा करने वाले 252 पुलिस उपनिरीक्षकों को अनुशासनहीनता और अनियमितताओं के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया, जिनमें 91 हिंदू कर्मी थे. इनकी नियुक्ति शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान हुई थी.

इसके अलावा, शारदा पुलिस अकादमी में 60 से अधिक एएसपी रैंक के अधिकारियों के लिए 20 अक्टूबर को होने वाली पास-आउट परेड को रद्द कर दिया गया, जिससे इन अधिकारियों की सरकारी भूमिकाओं में नियुक्ति में और देरी हुई.

हिंदू ट्रेनी असित ने इन घटनाक्रमों पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, "नाव किनारे पर डूब गई. बांग्लादेश में मेरे साथ बिना किसी वजह के भेदभाव किया गया. मैं बस इतना कह सकता हूं कि भगवान न्याय करेंगे और इतिहास समय का न्याय करेगा. इतिहास ने कभी किसी को माफ नहीं किया.

दुश्मनी का माहौल बन रहा है
हिंदू समुदाय का दावा है कि दुश्मनी का माहौल बन रहा है, जिसकी वजह से उन्हें अपनी नौकरी और अन्य अवसर गंवाने पड़ रहे हैं. हालांकि, कट्टरपंथी समूहों का आरोप है कि पिछली शेख हसीना सरकार ने अपनी अवामी लीग पार्टी के करीबी लोगों को तरजीह दी थी. अब, नई सरकार के आने के बाद ये कट्टरपंथी कथित तौर पर व्यक्तियों, खासकर हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं.

हिंदुओं के खिलाफ अभियान
रोजगार भेदभाव से परे भारत में लव जिहाद के समान एक दुष्प्रचार अभियान हिंदू समुदाय पर निर्देशित किया जा रहा है. बांग्लादेश में चरमपंथी समूहों ने एक लव ट्रैप अभियान शुरू किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि हिंदू पुरुष कथित तौर पर मुस्लिम महिलाओं को बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. इस कहानी को बढ़ावा देने वाले पोस्टर कई इलाकों में सामने आए हैं, जिसमें मुस्लिम महिलाओं से सावधानी बरतने का आग्रह किया गया है.

इसके अलावा बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू मूर्तियों को निशाना बनाकर तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं. व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को तैनात किया गया था, लेकिन कट्टरपंथी संगठन आक्रामक रूप से शत्रुतापूर्ण बने हुए हैं, जिन्हें हाल ही में सरकार से कथित समर्थन मिलने से बल मिला है.

इन लक्षित हमलों के जवाब में, हिंदू समुदाय ने न्याय और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की मांग करते हुए बांग्लादेश भर में कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं. बीते शुक्रवार को चटगांव के ऐतिहासिक लालदिघी मैदान में सनातन जागरण मंच के तहत हजारों लोग अपनी मांगों को आवाज देने के लिए एकत्र हुए.

यह भी पढ़ें- बांग्लादेश में हिंदुओं ने दिखाई ताकत, सड़कों पर उतरे लाखों लोग, सनातन जागरण मंच ने किया आह्वान

ढाका: बांग्लादेश में हिंदुओं पर डायरेक्ट हमले कम होते दिखाई दे रहे हैं. हालांकि, उन्हें अभी भी धमकियों और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. उनके खिलाफ राजनीतिक माहौल से सशक्त कट्टरपंथी संगठन शारीरिक हिंसा से लेकर सामाजिक बहिष्कार और बदनामी अभियानों तक, विभिन्न तरीकों से निशाना बना रहे हैं.

बता दें कि 5 अगस्त को शेख हसीना के प्रशासन के पतन के बाद नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने दक्षिण एशियाई देश में सत्ता संभाली है. हालांकि, उनके सत्ता संभालने के बाद कट्टरपंथी समूहों ने काफी ताकत हासिल की है, जिससे धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव बढ़ गया है.

भेदभाव और धमकी
हिंदू विरोधी कदमों की ताजा लहर में समुदाय के सदस्यों को सरकारी नौकरियों से हटाया जा रहा है. इसके लिए उन्हें या तो बर्खास्तगी किया जा रहा या फिर उनसे जबरन इस्तीफा मांगा जा रहा है. इतना ही नहीं प्रमुख यूनिवर्सिटीज के हिंदू शिक्षकों और प्रोफेसरों को कथित तौर पर इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला जा रहा है.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार चटगांव यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर रोंटू दास को कथित तौर पर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया. कथित तौर पर उन्हें जान से मारने की धमकियां भी मिलीं. उनका इस्तीफा पत्र, जिसमें उन्होंने अपने साथ हुए भेदभाव के बारे में बताया है, सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.

हिंदू कैडेटों को किया जा रहा बर्खास्त
दबाव की यह लहर शैक्षणिक संस्थानों से आगे बढ़कर हिंदू कैडेटों को पुलिस बल में शामिल करने तक पहुंच गई है. हाल ही में शारदा पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग पूरा करने वाले 252 पुलिस उपनिरीक्षकों को अनुशासनहीनता और अनियमितताओं के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया, जिनमें 91 हिंदू कर्मी थे. इनकी नियुक्ति शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान हुई थी.

इसके अलावा, शारदा पुलिस अकादमी में 60 से अधिक एएसपी रैंक के अधिकारियों के लिए 20 अक्टूबर को होने वाली पास-आउट परेड को रद्द कर दिया गया, जिससे इन अधिकारियों की सरकारी भूमिकाओं में नियुक्ति में और देरी हुई.

हिंदू ट्रेनी असित ने इन घटनाक्रमों पर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा, "नाव किनारे पर डूब गई. बांग्लादेश में मेरे साथ बिना किसी वजह के भेदभाव किया गया. मैं बस इतना कह सकता हूं कि भगवान न्याय करेंगे और इतिहास समय का न्याय करेगा. इतिहास ने कभी किसी को माफ नहीं किया.

दुश्मनी का माहौल बन रहा है
हिंदू समुदाय का दावा है कि दुश्मनी का माहौल बन रहा है, जिसकी वजह से उन्हें अपनी नौकरी और अन्य अवसर गंवाने पड़ रहे हैं. हालांकि, कट्टरपंथी समूहों का आरोप है कि पिछली शेख हसीना सरकार ने अपनी अवामी लीग पार्टी के करीबी लोगों को तरजीह दी थी. अब, नई सरकार के आने के बाद ये कट्टरपंथी कथित तौर पर व्यक्तियों, खासकर हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं.

हिंदुओं के खिलाफ अभियान
रोजगार भेदभाव से परे भारत में लव जिहाद के समान एक दुष्प्रचार अभियान हिंदू समुदाय पर निर्देशित किया जा रहा है. बांग्लादेश में चरमपंथी समूहों ने एक लव ट्रैप अभियान शुरू किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि हिंदू पुरुष कथित तौर पर मुस्लिम महिलाओं को बहला-फुसलाकर उनका धर्म परिवर्तन कर रहे हैं. इस कहानी को बढ़ावा देने वाले पोस्टर कई इलाकों में सामने आए हैं, जिसमें मुस्लिम महिलाओं से सावधानी बरतने का आग्रह किया गया है.

इसके अलावा बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में दुर्गा पूजा के दौरान हिंदू मूर्तियों को निशाना बनाकर तोड़फोड़ की घटनाएं सामने आईं. व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को तैनात किया गया था, लेकिन कट्टरपंथी संगठन आक्रामक रूप से शत्रुतापूर्ण बने हुए हैं, जिन्हें हाल ही में सरकार से कथित समर्थन मिलने से बल मिला है.

इन लक्षित हमलों के जवाब में, हिंदू समुदाय ने न्याय और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की मांग करते हुए बांग्लादेश भर में कई विरोध प्रदर्शन आयोजित किए हैं. बीते शुक्रवार को चटगांव के ऐतिहासिक लालदिघी मैदान में सनातन जागरण मंच के तहत हजारों लोग अपनी मांगों को आवाज देने के लिए एकत्र हुए.

यह भी पढ़ें- बांग्लादेश में हिंदुओं ने दिखाई ताकत, सड़कों पर उतरे लाखों लोग, सनातन जागरण मंच ने किया आह्वान

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