तेल अवीव: गाजा पट्टी में हमास के साथ युद्ध के बीच इजरायली की आतंरिक राजनीतिक में सबकुछ ठीक नहीं है. इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू को राजनीतिक दलों और जनता की ओर से विरोध का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी के मुताबिक बात अमेरिका तक पहुंच गई है. मामले से परिचित एक इजरायली अधिकारी के अनुसार, प्रधान मंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को अमेरिकी अधिकारियों के साथ बातचीत के लिए वाशिंगटन पहुंचे एक शीर्ष कैबिनेट मंत्री को फटकार लगाई. जानकार इसे देश के नेतृत्व के भीतर बढ़ती दरारों के संकेत के रूप में देख रहे हैं.
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बता दें कि इजरायल लगभग पांच महीने से हमास के साथ युद्ध कर रहा है. इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू इजरायल की धुर दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी से जुड़े हैं. जबकि हमास के साथ युद्ध शुरू होने के बाद उन्होंने एक मध्यमार्गी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बेनी गैंट्ज को अपने युद्धकालीन मंत्रिमंडल में शामिल किया था. माना जा रहा है कि बेनी गैंट्ज बिना नेतन्याहू को सूचित किये अमेरिका के दौरे पर चले गये थे. इस मामले में नेतन्याहू ने से बात की और उन्हें स्पष्ट किया कि वह इजरायल के प्रधानमंत्री हैं और बिना उनकी इजाजत के इस तरह की यात्रायें नहीं की जा सकती हैं.
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बेनी गैंट्ज की नेशनल पार्टी के अनुसार, गैंट्ज सोमवार को अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और मंगलवार को राज्य सचिव एंटनी ब्लिंकन से मिलने वाले हैं. एक दूसरे इजरायली अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि गैंट्ज की यात्रा का उद्देश्य अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करना, इजरायल के युद्ध के लिए समर्थन बढ़ाना और इजरायली बंधकों की रिहाई पर जोर देना है.
बता दें कि गैंट्ज की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका और नेतन्याहू के बीच गाजा में फिलिस्तीनियों की पीड़ा और युद्ध योजना को लेकर स्पष्ट मतभेद उजागर हो चुके हैं. इसके साथ ही मिस्र के काहिरा में अगले सप्ताह रमजान शुरू होने से पहले संघर्ष विराम के लिए बातचीत की कोशिश को भी झटका लग चुका है.
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नाम न छापने की शर्त पर बात करने वाले एक तीसरे इजरायली सरकारी अधिकारी के अनुसार, इजरायल ने इस शांति वार्ता में प्रतिनिधिमंडल नहीं भेजने का फैसला लिया है. इजरायली मीडिया ने बताया कि सरकार यह जानने का इंतजार कर रही है कि कौन से बंधक जीवित हैं और हमास प्रत्येक के बदले में कितने फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई चाहता है.
बता दें कि इस समय इजरायल की सरकार में धुर दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी का दबदबा है जो गाजा पट्टी में राहत सामग्री और मदद पहुंचाने की अमेरिका की योजनाओं से सहमत नहीं हैं. इसके उलट गैंट्ज़ की अधिक उदारवादी पार्टी लिकुड पार्टी का विरोध करती रही है.
अधिकांश जनमत सर्वेक्षणों के अनुसार, युद्ध शुरू होने के बाद से नेतन्याहू की लोकप्रियता में गिरावट आई है. इजरायली अधिकारियों के अनुसार, कई इजरायली उन्हें हमास की ओर से 7 अक्टूबर को सीमा पार हमले को रोकने में विफल रहने के लिए जिम्मेदार मानते हैं.
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नेतन्याहू के आलोचक इजरायलियों का कहना है कि उनका निर्णय लेना राजनीतिक विचारों से प्रभावित है. हालांकि, उनके समर्थक ऐसा नहीं मानते हैं. आलोचना विशेष रूप से युद्धोपरांत गाजा की योजनाओं पर केंद्रित है. नेतन्याहू चाहते हैं कि इजराइल गाजा पर खुला सुरक्षा नियंत्रण बनाए रखे.
वहीं, अमेरिका एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य के निर्माण के पक्ष में है. वह फिलिस्तीनी नेतृत्व में गाजा को अंतिम अलग देश का दर्जा देना चाहता है. नेतन्याहू और उनकी सरकार के कट्टरपंथियों ने अमेरिका के इस दृष्टिकोण का विरोध किया है. इसके उलट गैंट्ज की पार्टी के एक अन्य शीर्ष कैबिनेट अधिकारी ने युद्ध से निपटने और बंधकों को मुक्त कराने की नेतन्याहू की रणनीति पर सवाल उठाये हैं.
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नेतन्याहू की सरकार, जो इजराइल की अब तक की सबसे अधिक रूढ़िवादी और धार्मिक सरकार है यहूदियों की सैन्य भर्ती को व्यापक बनाने के लिए एक नए विधेयक के लिए अदालत की ओर से आदेशित समय सीमा से भी परेशान हो गई है. उनमें से कई को सैन्य सेवा से छूट दी गई है ताकि वे धार्मिक अध्ययन कर सकें.
गैंट्ज फिलिस्तीनी राज्य के बारे में अपने दृष्टिकोण के बारे में अस्पष्ट रहे हैं. सर्वेक्षणों से पता चलता है कि अगर आज मतदान हुआ तो उन्हें प्रधानमंत्री बनने के लिए पर्याप्त समर्थन मिल जाएगा. अमेरिका की यात्रा के बाद यदि बंधक की रिहाई के मामले में उन्हें कोई सफलता मिलती है तो इजरायल में गैंट्ज के समर्थन को और बढ़ावा मिल सकता है.
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इजराइल और हमास संभावित नए संघर्ष विराम और बंधक रिहाई समझौते पर बातचीत कर रहे हैं. उपराष्ट्रपति हैरिस ने रविवार को कहा कि अब इस पर सहमत होना हमास पर निर्भर है. हैरिस ने कहा कि गाजा में पीड़ा के विशाल पैमाने को देखते हुए, कम से कम अगले छह सप्ताह के लिए तत्काल संघर्ष विराम होना चाहिए.
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इधर इजरायल में बड़ी संख्या में लोग नेतन्याहू के प्रति अपनी निराशा व्यक्त कर रहे हैं. इजरायली मीडिया के अनुसार, लगभग 10,000 लोगों ने शीघ्र चुनाव की मांग को लेकर शनिवार देर रात विरोध प्रदर्शन किया. हाल के सप्ताहों में इस तरह के विरोध प्रदर्शन बढ़े हैं,. हालांकि, सरकार की न्यायिक सुधार योजना के खिलाफ पिछले साल के प्रदर्शनों की तुलना में यह बहुत छोटे हैं.
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यरूशलेम में हिब्रू विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर रूवेन हजान ने कहा कि यदि राजनीतिक दरार बढ़ती है और गैंट्ज सरकार छोड़ देते हैं, तो जनता की ओर से व्यापक विरोध प्रदर्शन के द्वार खुल जाएंगे. जो हमास के हमले के समय पहले से ही सरकार से नाखुश थे.