पेशावर: पाकिस्तान के अशांत उत्तर-पश्चिमी प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में जमीन विवाद को लेकर शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच पिछले 6 दिनों से संघर्ष जारी है. जिसमें 36 लोग मारे गए हैं और 80 अन्य घायल हुए हैं. न्यूज एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान की सीमा से लगे उत्तर-पश्चिमी प्रांत के कुर्रम जिले में बीते शनिवार को झड़पें शुरू हुई थीं, जो गुरुवार को भी जारी रहीं.
अधिकारियों ने कहा कि वे आशंत क्षेत्र में भूमि विवाद को सांप्रदायिक हिंसा का रूप लेने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिले में दोनों पक्षों के चरमपंथी समूहों की मजबूत उपस्थिति है. प्रांतीय सरकार के प्रवक्ता बैरिस्टर सैफ अली ने कहा कि अधिकारी आदिवासी बुजुर्गों की मदद से तनाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन शांत के प्रयासों के बावजूद दोनों पक्षों के बीच संघर्ष नहीं रुक रहा है.
दोनों पक्षों के आदिवासी बुजुर्गों से मिलकर बनी जिरगा (आदिवासी परिषद) ने झड़पों को रोकने के लिए पुलिस उप-महानिरीक्षक और कोहाट आयुक्त से मुलाकात की, लेकिन उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली. हिंसक झड़पें गुरुवार को लगातार छठे दिन भी जारी रहीं, जिसमें ऊपरी, निचली और मध्य तहसीलों में भारी गोलीबारी हुई, जिसके कारण छह और लोगों की मौत हो गई और दस लोग घायल हो गए.
जिरगा सदस्यों को वार्ता के लिए भेजा गया...
उपायुक्त जावेदुल्लाह महसूद ने कहा कि संघर्ष विराम के लिए प्रयास जारी हैं, जिला प्रशासन, पुलिस, सैन्य नेतृत्व और आदिवासी बुजुर्ग क्षेत्र में शांति लाने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिरगा सदस्यों को दोनों पक्षों से बात करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में भेजा गया है.
पुलिस के अनुसार, दोनों पक्ष छोटे और बड़े हथियारों से एक-दूसरे को निशाना बना रहे हैं. संघर्ष के कारण पाराचिनार-पेशावर मुख्य सड़क और पाकिस्तान-अफगान खारलाची सीमा बंद हो गई है, जिससे परिवहन और आवाजाही बाधित हो गई है.
सड़कें बंद होने से आवश्यक वस्तुओं की कमी
सड़कें बंद होने के कारण क्षेत्र में भोजन, ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की कमी हो गई है, जिससे स्थानीय लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं. पाराचिनार शहर सहित प्रभावित क्षेत्रों में निजी और सरकारी दोनों स्कूल छह दिनों से बंद हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह संघर्ष कुर्रम जिले के बालिशखेल, सद्दा, खार कल्ले, पीवर और मकबल जैसे क्षेत्रों में फैल गया है, जो अफगानिस्तान के खोस्त, पक्तिया, लोगर और नंगरहार प्रांतों की सीमा के समीप हैं. जिन्हें आईएसआईएस और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का गढ़ माना जाता है. जुलाई में, इसी क्षेत्र में बोशेहरा और मालीखेल जनजातियों के बीच एक हफ्ते चली झड़पों में 50 लोग मारे गए थे.
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