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सिंगापुर में पीएम मोदी: दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध क्यों महत्वपूर्ण, डालें एक नजर - PM Modi in Singapore

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 4, 2024, 4:21 PM IST

PM Modi in Singapore: पीएम नरेंद्र मोदी सिंगापुर की राजकीय यात्रा पर हैं. उनकी यह यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध स्थापित होने की 60वीं वर्षगांठ के अवसर पर हो रही है. पीएम मोदी की यात्रा के दौरान भारत-सिंगापुर सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम सहित कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने वाले हैं. दोनों देशों के संबंधों पर नई दिल्ली से चंद्रकला चौधरी की रिपोर्ट.

PM Modi in Singapore
सिंगापुर में पीएम मोदी (X / @narendramodi)

नई दिल्ली : ब्रूनेई की यात्रा पूरी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार 4 सितंबर को सिंगापुर पहुंचे. पीएम मोदी बुधवार और गुरुवार को सिंगापुर में रहेंगे. इस दौरान वह राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम, प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग, वरिष्ठ मंत्री ली सीन लूंग और एमेरिटस वरिष्ठ मंत्री गोह चोक टोंग सहित कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी यहां प्रमुख वैश्विक कंपनियों के प्रमुखों और व्यापारियों से भी मिलेंगे.

वीडियो (ETV Bharat)

पीएम मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध स्थापित होने की 60वीं वर्षगांठ और रणनीतिक साझेदारी में प्रवेश करने के लगभग एक दशक पूरे होने के बाद हो रही है. वह भारत के साथ सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए सिंगापुर में व्यापारिक नेताओं से भी मिलेंगे. विदेश मंत्रालय के अनुसार, पीएम मोदी चर्चा में उन्नत विनिर्माण, डिजिटलीकरण और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.

पीएम मोदी की यात्रा के दौरान भारत और सिंगापुर कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने वाले हैं, जिसमें सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने पर एक अहम समझौता भी शामिल है. गौरतलब है कि सिंगापुर ने कई दशकों में वैश्विक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन में अपने लिए विशिष्ट स्थान बनाया है. सिंगापुर अपनी पोजीशन बनाए रखने के लिए हार्ड और सॉफ्ट दोनों तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना जारी रखा है. हालांकि, अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता और जोखिम कम करने पर बढ़ते ध्यान के कारण वैश्विक स्थिति में बदलाव के कारण भारत सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं अब खुद का सेमीकंडक्टर उद्योग स्थापित कर रही हैं. इसका सिंगापुर पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ सकता है, लेकिन सिंगापुर में उत्पादन की बढ़ती लागत और सीमित संसाधनों (भूमि और श्रम) के साथ, यह वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में सिंगापुर की वर्तमान स्थिति के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है.

दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों पर नजर

राजनयिक संबंध
भारत और सिंगापुर ने 15 अगस्त, 1965 को राजनयिक संबंध स्थापित किए थे, उसी दिन सिंगापुर को स्वतंत्रता मिली थी. औपचारिक राजनयिक संबंधों से पहले भी भारत और सिंगापुर के बीच, व्यापारिक केंद्र के रूप में सिंगापुर की स्थिति और उसके प्रवासी भारतीयों के कारण महत्वपूर्ण आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध थे. 1965 में मलेशिया से सिंगापुर की स्वतंत्रता के बाद, भारत सिंगापुर को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था. इसने औपचारिक राजनयिक संबंधों की नींव रखी.

पिछले कुछ दशकों में व्यापार और निवेश के जरिये दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं. भारत और सिंगापुर ने 2005 में एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे आर्थिक सहयोग और द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई. दोनों देश रक्षा और रणनीतिक सहयोग में भी आगे बढ़े हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता में उनके साझा हितों को दर्शाता है.

सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान: दोनों देशों के बीच कई सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुए हैं. इसके अलावा सिंगापुर में बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं, जिससे द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हुए हैं.

भारत-सिंगापुर व्यापार संबंध
सिंगापुर आसियान देशों में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और दुनिया में भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. भारत के कुल व्यापार में सिंगापुर की हिस्सेदारी 3.2 प्रतिशत है. 2005 में दोनों देशों द्वारा व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर हस्ताक्षर करने के बाद 2022-23 में व्यापार बढ़कर 35.6 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि 2005 में व्यापार 6.7 बिलियन डॉलर था. 2021-2022 से कुल व्यापार में 18.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

वित्त वर्ष 2023-2024 में सिंगापुर से भारत का आयात 21.2 बिलियन डॉलर था. वित्त वर्ष 2022-2023 में यह आंकड़ा 23.6 बिलियन डॉलर था. 2023-2024 में सिंगापुर को भारत का निर्यात कुल 14.4 बिलियन डॉलर था. वित्त वर्ष 2022-2023 में यह आंकड़ा 12 बिलियन डॉलर था. सिंगापुर 11.77 बिलियन डॉलर के साथ भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रमुख स्रोत है.

भारत की सिंगापुर में लगभग 9,000 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, जिनमें छह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और नौ बैंक शामिल हैं. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) के भी सिंगापुर में कार्यालय हैं. सिंगापुर की 440 से अधिक कंपनियां भारत में रजिस्टर्ड हैं, जिनमें सिंगापुर विकास बैंक और यूनाइटेड ओवरसीज बैंक शामिल हैं.

सिंगापुर में प्रवासी भारतीय
सिंगापुर की करीब 40 लाख आबादी में लगभग 9.1 प्रतिशत या लगभग 3.5 लाख लोग भारतीय मूल के हैं. इसके अलावा, सिंगापुर में रहने वाले 16 लाख विदेशी नागरिकों में से लगभग 21 प्रतिशत या लगभग 3.5 लाख भारतीय नागरिक हैं, जो ज्यादार वित्तीय सेवाओं, आईटी, निर्माण और समुद्री क्षेत्रों में काम कर रहे हैं या छात्र हैं. भारत के बाहर किसी एक शहर में आईआईटी और आईआईएम के पूर्व छात्रों की सबसे ज्यादा संख्या सिंगापुर में है. सिंगापुर में लगभग एक लाख प्रवासी भारतीय कामगार हैं.

बहुपक्षीय सहयोग
सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन में शामिल है. सिंगापुर 2021-24 की अवधि के दौरान भारत के लिए आसियान देश समन्वयक था, इस दौरान भारत-आसियान संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में अपग्रेड किया गया था.

यह भी पढ़ें- प्रधानमंत्री मोदी ब्रूनेई की यात्रा पूरी कर सिंगापुर पहुंचे, जोरदार स्वागत, भारतीय समुदाय के बीच ढोल बजाया

नई दिल्ली : ब्रूनेई की यात्रा पूरी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार 4 सितंबर को सिंगापुर पहुंचे. पीएम मोदी बुधवार और गुरुवार को सिंगापुर में रहेंगे. इस दौरान वह राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम, प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग, वरिष्ठ मंत्री ली सीन लूंग और एमेरिटस वरिष्ठ मंत्री गोह चोक टोंग सहित कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी यहां प्रमुख वैश्विक कंपनियों के प्रमुखों और व्यापारियों से भी मिलेंगे.

वीडियो (ETV Bharat)

पीएम मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध स्थापित होने की 60वीं वर्षगांठ और रणनीतिक साझेदारी में प्रवेश करने के लगभग एक दशक पूरे होने के बाद हो रही है. वह भारत के साथ सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए सिंगापुर में व्यापारिक नेताओं से भी मिलेंगे. विदेश मंत्रालय के अनुसार, पीएम मोदी चर्चा में उन्नत विनिर्माण, डिजिटलीकरण और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.

पीएम मोदी की यात्रा के दौरान भारत और सिंगापुर कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने वाले हैं, जिसमें सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने पर एक अहम समझौता भी शामिल है. गौरतलब है कि सिंगापुर ने कई दशकों में वैश्विक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन में अपने लिए विशिष्ट स्थान बनाया है. सिंगापुर अपनी पोजीशन बनाए रखने के लिए हार्ड और सॉफ्ट दोनों तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना जारी रखा है. हालांकि, अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता और जोखिम कम करने पर बढ़ते ध्यान के कारण वैश्विक स्थिति में बदलाव के कारण भारत सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं अब खुद का सेमीकंडक्टर उद्योग स्थापित कर रही हैं. इसका सिंगापुर पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ सकता है, लेकिन सिंगापुर में उत्पादन की बढ़ती लागत और सीमित संसाधनों (भूमि और श्रम) के साथ, यह वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में सिंगापुर की वर्तमान स्थिति के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है.

दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों पर नजर

राजनयिक संबंध
भारत और सिंगापुर ने 15 अगस्त, 1965 को राजनयिक संबंध स्थापित किए थे, उसी दिन सिंगापुर को स्वतंत्रता मिली थी. औपचारिक राजनयिक संबंधों से पहले भी भारत और सिंगापुर के बीच, व्यापारिक केंद्र के रूप में सिंगापुर की स्थिति और उसके प्रवासी भारतीयों के कारण महत्वपूर्ण आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध थे. 1965 में मलेशिया से सिंगापुर की स्वतंत्रता के बाद, भारत सिंगापुर को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था. इसने औपचारिक राजनयिक संबंधों की नींव रखी.

पिछले कुछ दशकों में व्यापार और निवेश के जरिये दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं. भारत और सिंगापुर ने 2005 में एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे आर्थिक सहयोग और द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई. दोनों देश रक्षा और रणनीतिक सहयोग में भी आगे बढ़े हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता में उनके साझा हितों को दर्शाता है.

सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान: दोनों देशों के बीच कई सांस्कृतिक आदान-प्रदान हुए हैं. इसके अलावा सिंगापुर में बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं, जिससे द्विपक्षीय संबंध और मजबूत हुए हैं.

भारत-सिंगापुर व्यापार संबंध
सिंगापुर आसियान देशों में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है और दुनिया में भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. भारत के कुल व्यापार में सिंगापुर की हिस्सेदारी 3.2 प्रतिशत है. 2005 में दोनों देशों द्वारा व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर हस्ताक्षर करने के बाद 2022-23 में व्यापार बढ़कर 35.6 बिलियन डॉलर हो गया, जबकि 2005 में व्यापार 6.7 बिलियन डॉलर था. 2021-2022 से कुल व्यापार में 18.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

वित्त वर्ष 2023-2024 में सिंगापुर से भारत का आयात 21.2 बिलियन डॉलर था. वित्त वर्ष 2022-2023 में यह आंकड़ा 23.6 बिलियन डॉलर था. 2023-2024 में सिंगापुर को भारत का निर्यात कुल 14.4 बिलियन डॉलर था. वित्त वर्ष 2022-2023 में यह आंकड़ा 12 बिलियन डॉलर था. सिंगापुर 11.77 बिलियन डॉलर के साथ भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का प्रमुख स्रोत है.

भारत की सिंगापुर में लगभग 9,000 कंपनियां रजिस्टर्ड हैं, जिनमें छह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम और नौ बैंक शामिल हैं. भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (FICCI) के भी सिंगापुर में कार्यालय हैं. सिंगापुर की 440 से अधिक कंपनियां भारत में रजिस्टर्ड हैं, जिनमें सिंगापुर विकास बैंक और यूनाइटेड ओवरसीज बैंक शामिल हैं.

सिंगापुर में प्रवासी भारतीय
सिंगापुर की करीब 40 लाख आबादी में लगभग 9.1 प्रतिशत या लगभग 3.5 लाख लोग भारतीय मूल के हैं. इसके अलावा, सिंगापुर में रहने वाले 16 लाख विदेशी नागरिकों में से लगभग 21 प्रतिशत या लगभग 3.5 लाख भारतीय नागरिक हैं, जो ज्यादार वित्तीय सेवाओं, आईटी, निर्माण और समुद्री क्षेत्रों में काम कर रहे हैं या छात्र हैं. भारत के बाहर किसी एक शहर में आईआईटी और आईआईएम के पूर्व छात्रों की सबसे ज्यादा संख्या सिंगापुर में है. सिंगापुर में लगभग एक लाख प्रवासी भारतीय कामगार हैं.

बहुपक्षीय सहयोग
सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन और वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन में शामिल है. सिंगापुर 2021-24 की अवधि के दौरान भारत के लिए आसियान देश समन्वयक था, इस दौरान भारत-आसियान संबंधों को व्यापक रणनीतिक साझेदारी में अपग्रेड किया गया था.

यह भी पढ़ें- प्रधानमंत्री मोदी ब्रूनेई की यात्रा पूरी कर सिंगापुर पहुंचे, जोरदार स्वागत, भारतीय समुदाय के बीच ढोल बजाया

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