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इमरान के कारण मुश्किल में पीएम शहबाज? कई विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा - Pak opposition drive against govt - PAK OPPOSITION DRIVE AGAINST GOVT

Pak opposition alliance to launch countrywide drive against govt: जब से इमरान खान की सत्ता गई है तब से वे शहबाज शरीफ सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करते दिखाई दे रहे हैं. आठ फरवरी को चुनाव में कथित धांधली और जनादेश के साथ छेड़छाड़ कर बनी शरीफ शरकार के खिलाफ इमरान की पार्टी और अन्य विपक्षी पार्टियां देशव्यापी अभियान शुरू करने का ऐलान किया है.

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By PTI

Published : Apr 13, 2024, 1:07 PM IST

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ विपक्षी गठबंधन के साथ मिलकर देशव्यापी आंदोलन का ऐलान कर दिया है. खबर के मुताबिक इमरान की पार्टी न तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) आठ फरवरी को चुनाव में कथित धांधली और जनादेश के साथ छेड़छाड़ कर बनी शरीफ शरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी. पाकिस्तान में इस तरह के होने वाले आंदोलन को देखकर तो लगता है कि, चुनाव के बाद देश में शांति और राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है. सरकार के खिलाफ इस अभियान में छह दलों के गठबंधन में खान की पीटीआई भी शामिल है. देर रात बैठक, जो कि शनिवार (13 अप्रैल) सुबह तक जारी रही, तहरीक तहफुज-अयीन-ए-पाकिस्तान (टीटीपी) के बैनर तले एक साथ शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंकने का ऐलान कर दिया. विपक्षी दलों का कहना है कि यह आंदोलन पाकिस्तान के संविधान की रक्षा के लिए किया जा रहा है.

पाकिस्तान में विपक्ष का शहबाज शरीफ सरकार पर निशाना
वहीं, पश्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (पीकेएमएपी) के अध्यक्ष महमूद खान अचकजई को घंटों चली बैठक में गठबंधन का अध्यक्ष बनाया गया, जिसकी अध्यक्षता बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) के प्रमुख सरदार अख्तर मेंगल ने की. बैठक में सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के अध्यक्ष साहिबजादा हामिद रजा खान, मजलिस वहदत मुस्लिमीन के अध्यक्ष राजा नासिर अब्बास और जमात-ए-इस्लामी नेता लियाकत बलूच भी शामिल हुए. पीटीआई महासचिव उमर अयूब खान ने बैठक के बाद मीडिया को बताया कि आंदोलन का उद्देश्य देश में कानून का शासन बहाल करना है. शनिवार से बलूचिस्तान के पिशिन इलाके से एक सार्वजनिक रैली के साथ आंदोलन की शुरुआत की जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए सभी राजनीतिक दल अपनी मर्जी से विपक्षी गठबंधन में शामिल हुए हैं. ओमर ने कहा कि यह आंदोलन 8 फरवरी के चुनाव में कथित बड़े पैमाने पर धांधली के खिलाफ शुरू किया जा रहा है, क्योंकि गठबंधन ने चुनाव परिणाम में छेड़छाड़ कर स्थापित की गई सरकार को खारिज कर दिया है.

विपक्षी दल सेना के खिलाफ नहीं
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अचकजई ने घोषणा की कि गठबंधन सेना के खिलाफ नहीं है, लेकिन वे संविधान में दी गई उनकी राजनीतिक भूमिका के खिलाफ है. अचकजई ने आगे कहा, संविधान एक सामाजिक अनुबंध है और हम इसकी सुरक्षा के लिए सार्वजनिक बैठकें शुरू करेंगे. उन्होंने किसी भी नागरिक और सैन्य अधिकारी की सेवा में किसी भी विस्तार का भी विरोध किया. नया विपक्षी गठबंधन पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ की सरकार के लिए तत्काल कोई खतरा पैदा नहीं कर सकता है, लेकिन विपक्ष ऐसे समय में सड़कों पर लंबे समय तक उपस्थिति के साथ इसे अस्थिर कर सकता है. अनेक आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए शांति की आवश्यकता है. वहीं, विपक्ष ने बलूचिस्तान को लॉन्चिंग पैड के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया है, जो बलूच राष्ट्रवादियों के नेतृत्व में घरेलू विद्रोह से जूझ रहा है. प्रांत को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के हाथों भी नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि इसकी सीमा अफगानिस्तान के साथ लगती है. बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे पिछड़ा क्षेत्र भी है और विपक्षी दल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए लोगों की भावनाओं का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें: पाकिस्तान के पंजाब में सेना ने पुलिसकर्मियों को जमकर पीटा, पुलिस ने बताया 'फर्जी प्रचार'

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ विपक्षी गठबंधन के साथ मिलकर देशव्यापी आंदोलन का ऐलान कर दिया है. खबर के मुताबिक इमरान की पार्टी न तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी (पीटीआई) आठ फरवरी को चुनाव में कथित धांधली और जनादेश के साथ छेड़छाड़ कर बनी शरीफ शरकार के खिलाफ आंदोलन करेगी. पाकिस्तान में इस तरह के होने वाले आंदोलन को देखकर तो लगता है कि, चुनाव के बाद देश में शांति और राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है. सरकार के खिलाफ इस अभियान में छह दलों के गठबंधन में खान की पीटीआई भी शामिल है. देर रात बैठक, जो कि शनिवार (13 अप्रैल) सुबह तक जारी रही, तहरीक तहफुज-अयीन-ए-पाकिस्तान (टीटीपी) के बैनर तले एक साथ शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ आंदोलन का बिगुल फूंकने का ऐलान कर दिया. विपक्षी दलों का कहना है कि यह आंदोलन पाकिस्तान के संविधान की रक्षा के लिए किया जा रहा है.

पाकिस्तान में विपक्ष का शहबाज शरीफ सरकार पर निशाना
वहीं, पश्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी (पीकेएमएपी) के अध्यक्ष महमूद खान अचकजई को घंटों चली बैठक में गठबंधन का अध्यक्ष बनाया गया, जिसकी अध्यक्षता बलूचिस्तान नेशनल पार्टी-मेंगल (बीएनपी-एम) के प्रमुख सरदार अख्तर मेंगल ने की. बैठक में सुन्नी इत्तेहाद काउंसिल के अध्यक्ष साहिबजादा हामिद रजा खान, मजलिस वहदत मुस्लिमीन के अध्यक्ष राजा नासिर अब्बास और जमात-ए-इस्लामी नेता लियाकत बलूच भी शामिल हुए. पीटीआई महासचिव उमर अयूब खान ने बैठक के बाद मीडिया को बताया कि आंदोलन का उद्देश्य देश में कानून का शासन बहाल करना है. शनिवार से बलूचिस्तान के पिशिन इलाके से एक सार्वजनिक रैली के साथ आंदोलन की शुरुआत की जाएगी. उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में बिगड़ती स्थिति को देखते हुए सभी राजनीतिक दल अपनी मर्जी से विपक्षी गठबंधन में शामिल हुए हैं. ओमर ने कहा कि यह आंदोलन 8 फरवरी के चुनाव में कथित बड़े पैमाने पर धांधली के खिलाफ शुरू किया जा रहा है, क्योंकि गठबंधन ने चुनाव परिणाम में छेड़छाड़ कर स्थापित की गई सरकार को खारिज कर दिया है.

विपक्षी दल सेना के खिलाफ नहीं
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अचकजई ने घोषणा की कि गठबंधन सेना के खिलाफ नहीं है, लेकिन वे संविधान में दी गई उनकी राजनीतिक भूमिका के खिलाफ है. अचकजई ने आगे कहा, संविधान एक सामाजिक अनुबंध है और हम इसकी सुरक्षा के लिए सार्वजनिक बैठकें शुरू करेंगे. उन्होंने किसी भी नागरिक और सैन्य अधिकारी की सेवा में किसी भी विस्तार का भी विरोध किया. नया विपक्षी गठबंधन पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) पार्टी के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ की सरकार के लिए तत्काल कोई खतरा पैदा नहीं कर सकता है, लेकिन विपक्ष ऐसे समय में सड़कों पर लंबे समय तक उपस्थिति के साथ इसे अस्थिर कर सकता है. अनेक आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए शांति की आवश्यकता है. वहीं, विपक्ष ने बलूचिस्तान को लॉन्चिंग पैड के रूप में इस्तेमाल करने का फैसला किया है, जो बलूच राष्ट्रवादियों के नेतृत्व में घरेलू विद्रोह से जूझ रहा है. प्रांत को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के हाथों भी नुकसान उठाना पड़ा है क्योंकि इसकी सीमा अफगानिस्तान के साथ लगती है. बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे पिछड़ा क्षेत्र भी है और विपक्षी दल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए लोगों की भावनाओं का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं.

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