काठमांडू: नेपाली कांग्रेस की एक प्रमुख समिति ने नेपाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति और पार्टी की भविष्य की रणनीति पर चर्चा करने के लिए बुधवार को बैठक की. यह बैठक हिमालयी देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी द्वारा नई सरकार बनाने के लिए सीपीएन-यूएमएल के साथ सत्ता साझेदारी समझौते के एक दिन बाद हुई है.
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (सीपीएन-यूएमएल) के अध्यक्ष के पी शर्मा ओली ने प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल 'प्रचंड' के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन को बदलने के लिए एक समझौते को अंतिम रूप दिया.
नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय कार्य निष्पादन समिति की बैठक पार्टी अध्यक्ष देउबा के बुधनीलकांठा स्थित आवास पर शुरू हुई. इसमें मौजूदा राजनीतिक स्थिति और पार्टी की भावी रणनीति पर चर्चा होने की उम्मीद है. नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय सदस्य सऊद ने कहा कि बैठक में नई गठबंधन सरकार के गठन के एजेंडे और तौर-तरीकों पर भी चर्चा हुई.
नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच अंतिम रूप से तय किए गए समझौते में दोनों दलों के बीच संसद के शेष तीन साल के कार्यकाल को साझा करना, मंत्रिस्तरीय विभाजन, प्रांतीय नेतृत्व की भूमिकाएं और प्रधानमंत्री पद के लिए रोटेशन शामिल हैं. नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय सदस्य सऊद ने कहा कि बैठक में नई गठबंधन सरकार के गठन के एजेंडे और तौर-तरीकों पर भी चर्चा हुई.
नेपाली कांग्रेस और सीपीएन-यूएमएल के बीच हुए समझौते में दोनों दलों के बीच संसद के शेष तीन वर्ष के कार्यकाल को साझा करना, मंत्रिस्तरीय विभाजन, प्रांतीय नेतृत्व की भूमिकाएं और प्रधानमंत्री पद के लिए रोटेशन शामिल है. समझौते के अनुसार, सीपीएन-यूएमएल प्रमुख ओली संसद के शेष कार्यकाल के पहले चरण में सरकार का नेतृत्व करेंगे. शेष कार्यकाल के लिए देउबा प्रधानमंत्री होंगे. इस बीच प्रधानमंत्री प्रचंड ने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि वह संसद में विश्वास मत का सामना करना पसंद करेंगे.
संवैधानिक प्रावधान के अनुसार सदन में बहुमत खोने वाले प्रधानमंत्री को 30 दिनों के भीतर बहुमत साबित करना होगा. सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा समर्थन वापस लेने के बाद प्रधानमंत्री को विश्वास मत हासिल करना होगा. यह पांचवीं बार होगा जब 69 वर्षीय प्रचंड डेढ़ साल के कार्यकाल के भीतर विश्वास मत हासिल करेंगे. पूर्व गुरिल्ला नेता ने संसद में तीन बार विश्वास मत हासिल किया है. सीपीएन-यूएमएल ने पहले ही प्रधानमंत्री प्रचंड से पद छोड़ने का आग्रह किया है ताकि संवैधानिक प्रावधान के अनुसार नई सरकार बनाई जा सके. नेपाल में पिछले 16 वर्षों में 13 सरकारें बनी हैं, जो हिमालयी राष्ट्र की राजनीतिक व्यवस्था की नाजुक प्रकृति को दर्शाता है.