ओटावा: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नैथली ड्रोइन और विदेश मामलों के उप मंत्री डेविड मॉरिसन वाशिंगटन पोस्ट के साथ भारत के बारे में कथित तौर पर संवेदनशील खुफिया जानकारी शेयर करने का आरोप है.
फिलहाल दोनों जांच के घेरे में हैं. यह घटना रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) द्वारा कनाडा में भारतीय सरकारी एजेंटों और आपराधिक गतिविधियों के बीच कथित संबंधों के आरोप लगाने से कुछ ही दिन पहले हुई थी.
अमेरिकी अखबार को जानकारी दी
मामले से परिचित दो सोर्स का हवाला देते हुए द ग्लोब एंड मेल ने कहा कि ड्रोइन और मॉरिसन ने थैंक्सगिविंग से पहले के सप्ताह के दौरान कनाडा में भारत के कथित हस्तक्षेप कार्यों के बारे में अमेरिकी अखबार को जानकारी दी.
कनाडाई अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है उल्लेखनीय रूप से, यह खुफिया जानकारी थैंक्सगिविंग डे पर RCMP कमिश्नर माइक डुहेम की मीडिया कॉन्फ्रेंस में सार्वजनिक रूप से जारी करने के लिए निर्धारित नहीं थी.
रिपोर्ट के मुताबिक ब्रीफिंग के दिन द पोस्ट ने कनाडाई अधिकारियों से मिली जानकारी के आधार पर रिपोर्ट दी कि ओटावा सरकार ने भारत को सुखदूल सिंह गिल की हत्या से जोड़ा है, जिन्हें 20 सितंबर, 2023 को विन्निपेग में गोली मार दी गई थी. यह हत्या ट्रूडो द्वारा ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारत का हाथ होने का आरोप लगाने के ठीक दो दिन बाद हुई थी.
'जनता के लिए उपलब्ध नहीं थी जानकारी'
गौरतलब है कि कमिश्नर डुहेम ने गिल की हत्या और भारत के बीच किसी संबंध की पुष्टि नहीं की और न ही आरसीएमपी ने पोस्ट की रिपोर्ट में संदर्भित अतिरिक्त संवेदनशील जानकारी दी. द ग्लोब एंड मेल के अनुसार कैनेडियन सिक्योरिटी इंटेलिजेंस सर्विस (CSIS) के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी डैन स्टैंटन ने टिप्पणी की कि गिल की हत्या से संबंधित विवरण आमतौर पर गोपनीय होंगे, विशेष रूप से भारत से खुफिया संबंधों के संबंध में, क्योंकि रिपोर्ट से पहले ऐसी जानकारी जनता के लिए उपलब्ध नहीं थी.
भारत-कनाडा के रिश्ते
बता दें कि कनाडा द्वारा उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और कई अन्य भारतीय राजनयिकों को इस मामले से जोड़ने के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध बेहद खराब स्थिति में पहुंच गए थे. आरोपों के जवाब में, नई दिल्ली ने सोमवार को उच्चायुक्त वर्मा और पांच अन्य राजनयिकों को ओटावा से वापस बुलाने की घोषणा की, साथ ही भारत से छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया,.
कनाडा ने जवाबी कार्रवाई करते हुए भारतीय दूत और पांच अतिरिक्त राजनयिकों को निष्कासित कर दिया. कनाडाई अधिकारियों ने भारतीय एजेंटों पर खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ हत्या, जबरन वसूली और हिंसक कृत्यों में शामिल होने का आरोप लगाया है, जिसे भारत ने दृढ़ता से खारिज कर दिया.
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