नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक बयान में अपने कार्यकाल के दौरान देश में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला, जिसमें कहा गया कि बांग्लादेश अब दुनिया के विकासशील देशों में सम्मान का स्थान रखता है. हसीना ने अपने पिता शेख मुजीबुर रहमान और परिवार के अन्य सदस्यों को श्रद्धांजलि दी, जिनकी 15 अगस्त 1975 को ढाका में हत्या कर दी गई थी. बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान को बंगबंधु कहा जाता है.
शेख हसीना के बेटे साजीब वाजेद जॉय ने उनका यह बयान सोशल मीडिया पर जारी किया है. बांग्लादेश में विवादास्पद कोटा प्रणाली को लेकर भारी विरोध प्रदर्शन और हिंसा के बीच 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भारत आ गई थीं.
उन्होंने अपने बयान में कहा, "भाइयों और बहनों, 15 अगस्त 1975 को राष्ट्रपिता और बांग्लादेश के तत्कालीन राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की निर्मम हत्या कर दी गई थी. मैं उन्हें दिल की गहराइयों से श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं. उनके साथ-साथ मेरी मां बेगम फजीलतुन्निशां, मेरे तीन भाई - स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन शेख कमाल, स्वतंत्रता सेनानी लेफ्टिनेंट शेख जमाल, तथा शेख कमाल और जमाल की नवविवाहित पत्नियां सुल्ताना कमाल और रोसी जमाल - की भी निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी गई थी. मेरे सबसे छोटे भाई शेख रुसिल, जो उस समय केवल 10 वर्ष के थे, की भी हत्या कर दी गई थी. मेरे एकमात्र चाचा और स्वतंत्रता सेनानी शेख नासिर, राष्ट्रपति के सैन्य सचिव ब्रिगेडियर-जनरल जमीलुद्दीन अहमद और पुलिस अधिकारी सिद्दीकुर रहमान की भी क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी गई थी. मैं 15 अगस्त को शहीद हुए सभी लोगों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं."
पूर्व प्रधानमंत्री हसीना ने कहा, "जुलाई से, आंदोलनों के नाम पर तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा के कृत्यों के कारण हमारे देश के कई निर्दोष नागरिकों को अपनी जान गंवानी पड़ी है. छात्र, शिक्षक, पुलिस अधिकारी, गर्भवती महिलाओं सहित- पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, नेता, अवामी लीग (और इसके संबद्ध संगठनों) के कार्यकर्ता और अन्य जो विभिन्न प्रतिष्ठानों में काम कर रहे थे, आतंकवादी हमलों का शिकार हुए और अपनी जान गंवा दी. मैं उन सभी की मौत पर दुख व्यक्त करती हूं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करती हूं. मैं इन जघन्य हत्याओं और तोड़फोड़ की घटनाओं के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान करने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने के लिए गहन जांच की मांग करती हूं."
यह संग्रहालय हमारी स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है...
बयान में कहा गया है, "1975 में, रेहाना (उनकी बहन) और मैंने धनमंडी में 15 अगस्त को जिस घर (बंगबंधु निवास) में भयानक नरसंहार हुआ था, उसे बांग्लादेश के लोगों को समर्पित किया. इसे एक स्मारक संग्रहालय में बदल दिया गया. देश के आम नागरिकों के साथ-साथ देश-विदेश के गणमान्य लोगों ने इस घर का दौरा किया है, जो स्वतंत्रता के लिए हमारे संघर्ष की यादों को समेटे हुए है. यह संग्रहालय हमारी स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है."
आज वह सब राख में मिल गया है...
शेख हसीना ने बयान में आगे कहा, "अपने प्रियजनों को खोने के दर्द और पीड़ा को सहते हुए हमने जो यादें संजोईं, उन्हें बांग्लादेश के पीड़ित लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने के एकमात्र उद्देश्य से संजोया था. इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं, और बांग्लादेश अब दुनिया के विकासशील देशों के बीच सम्मान का स्थान रखता है. यह दुख के साथ आपको सूचित करना है कि आज वह सब राख में मिल गया है."
उन्होंने कहा, "वह स्मृति जो हमारी जीवनरेखा थी, उसे जलाकर राख कर दिया गया है. यह राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान का घोर अपमान है, जिनके नेतृत्व में हमने अपना स्वाभिमान, अपनी पहचान और अपना स्वतंत्र राष्ट्र हासिल किया. यह लाखों शहीदों के खून का घोर अपमान है. मैं इस देश के लोगों से न्याय की मांग करती हूं."
अवामी लीग की नेता ने बांग्लादेश के नागरिकों से अपील की कि वे 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस को पूरे सम्मान और गंभीरता के साथ मनाएं, बंगबंधु स्मारक संग्रहालय में पुष्पांजलि अर्पित करें और प्रार्थना करें तथा दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करें.
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