जेरूसलम : ईरान ने सैंकड़ों ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों से इजरायल पर हमला कर दिया है. इस ईरानी हमले का मुकाबला करने वाली सुरक्षा की पहली पंक्ति इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली है. जिसके लिए यह हमला नवीनतम चुनौती रहा. इस वायु रक्षा प्रणाली को पहले से ही हमास के खिलाफ छह महीने के युद्ध के दौरान आने वाले रॉकेट, ड्रोन और मिसाइल हमलों से निपटने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ रही है. यहां हम इजरायल की बहुस्तरीय वायु-रक्षा प्रणाली पर नजदीक से नजर डाल रहे हैं.
- ऐरो: अमेरिका के साथ विकसित यह प्रणाली लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन की गई है, जिसमें ईरान की ओर से शनिवार को लॉन्च की गई बैलिस्टिक मिसाइलों के प्रकार भी शामिल हैं. एरो, जो वायुमंडल के बाहर संचालित होता है. इसका उपयोग वर्तमान युद्ध में यमन में हौथी आतंकवादियों की ओर से लॉन्च की गई लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने के लिए किया गया है.
- डेविड स्लिंग: अमेरिका के साथ मिलकर विकसित, डेविड स्लिंग का उद्देश्य मध्यम दूरी की मिसाइलों को रोकना है. ऐसी मिसाइलें जो लेबनान में हिजबुल्लाह के पास मौजूद हैं.
- पैट्रियट: यह भी अमेरिका में तैयार हुई प्रणाली है. पैट्रियट इजरायल की मिसाइल-रक्षा प्रणाली का सबसे पुराना सदस्य है. जिसका उपयोग 1991 में प्रथम खाड़ी युद्ध के दौरान उस समय इराक के नेता सद्दाम हुसैन की ओर से दागी गई स्कड मिसाइलों को रोकने के लिए किया गया था. पैट्रियट का उपयोग अब ड्रोन सहित विमानों को मार गिराने के लिए किया जाता है.
- आयरन डोम: अमेरिका की मदद से इजरायल ने इसे खुद विकसित किया है. यह प्रणाली कम दूरी के रॉकेटों को मार गिराने में माहिर है. पिछले दशक की शुरुआत में सक्रिय होने के बाद से इसने हजारों रॉकेटों को रोका है. इसने हमास और हिजबुल्लाह के खिलाफ मौजूदा युद्ध के दौरान कई हमलों को नाकाम किया है. इजरायल का कहना है कि आयरन डोम को सफलता दर 90% से अधिक है.
- आयरन बीम: इजरायल लेजर तकनीक से आने वाले खतरों को रोकने के लिए एक नई प्रणाली विकसित कर रहा है. इजरायल ने कहा है कि यह प्रणाली गेम चेंजर साबित होगी क्योंकि मौजूदा प्रणालियों की तुलना में इसे संचालित करना बहुत सस्ता है. हालांकि, यह अभी तक चालू नहीं हुआ है.