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क्या चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत से SCO कमजोर हुआ! भारत ने उठाए सवाल - SCO

SCO : एससीओ में भारत की प्राथमिकताएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सिक्योर' SCO के दृष्टिकोण को लेकर है. भारत ने क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया और बिना किसी देश का नाम लिए आतंकवाद को पाकिस्तान से जोड़ा.

India points to role of Pakistan and China in weakening the SCO
शंघाई सहयोग संगठन (IANS)
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By IANS

Published : Jul 20, 2024, 9:55 AM IST

संयुक्त राष्ट्र : शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के महत्व की प्रशंसा करते हुए भारत ने पाकिस्तान और चीन की भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहा है कि दोनों देश इसे कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रभारी आर रवींद्र ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में एक संबोधन में क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया और बिना किसी देश का नाम लिए आतंकवाद को पाकिस्तान से जोड़ा.

उन्होंने कहा, "कुछ देश आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के रूप में उपयोग कर रहे हैं, इस तरह के दृष्टिकोण से SCO सहित बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग प्रभावित होने की संभावना है." उन्होंने कहा, "भारत ने कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान की लगातार वकालत की है." रवींद्र का इशारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीनी परियोजनाओं को लेकर था. वह रूस द्वारा बुलाई गई सुरक्षा परिषद की बैठक में बोल रहे थे.

India points to role of Pakistan and China in weakening the SCO
आर रवींद्र (IANS)

रवींद्र ने कहा, "भारत SCO के भीतर विश्वास को मजबूत करने के साथ-साथ समानता, सम्मान और आपसी समझ के आधार पर भागीदारों के साथ संबंधों को मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देता है." उन्होंने कहा, "एससीओ में भारत की प्राथमिकताएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सिक्योर' SCO के दृष्टिकोण को लेकर है. उन्होंने बताया कि 'सिक्योर' का मतलब सिक्योरिटी, इकनोमिक कोऑपरेशन, कनेक्टिविटी, यूनिटी, रेस्पेक्ट फॉर सावरेंटी और टेरिटोरियल इंटीग्रिटी और एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन है."

उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और आतंकवादियों और उसके समूहों पर प्रतिबंधों को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "कजाकिस्तान के अस्ताना में 4 जुलाई को हुए SCO शिखर सम्मेलन ने अपने घोषणापत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उन देशों को अलग-थलग करना चाहिए और उन्हें बेनकाब करना चाहिए जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं और आतंकवाद का समर्थन करते हैं."

हालांकि, अमेरिकी स्थायी प्रतिनिधि लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने एससीओ के आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर सवाल उठाया. उन्होंने एससीओ देशों पर "आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने की आड़ में" जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "एससीओ सदस्य देशों ने क्षेत्रीय राजनीतिक स्वायत्तता के महत्व के बारे में बताने को लेकर लोगों पर मुकदमा चलाया है. अन्य SCO सदस्य देशों में दमन से भाग रहे शरणार्थियों को जबरन वापस भेजा है."

थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि "मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध को उचित ठहराने के प्रयास में क्षेत्रीय संगठन कुछ गलत धारणाओं को बढ़ावा दे रहे हैं". SCO दस देशों का एक अंतरराष्ट्रीय समूह है, जिसमें भारत औपचारिक रूप से 2015 में शामिल हुआ था. इसके अन्य सदस्य देश रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान, चार सेंट्रल एशियाई देश, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान और ताजिकिस्तान और रूस का यूरोपीय सहयोगी बेलारूस है जो हाल ही में इस संगठन में शामिल हुआ है.

रवींद्र ने कहा, "भारत सेंट्रल एशिया के लोगों के साथ गहरे संबंध साझा करता है." उन्होंने कहा कि भारत ने इन देशों में विकास परियोजनाओं के लिए 1 बिलियन डॉलर की ऋण सहायता की पेशकश की है. भारत-सेंट्रल एशिया वार्ता मंच भारत और सेंट्रल एशियाई देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए काम करता है. उन्होंने आगे कहा कि ईरान में चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारत का अनुबंध "अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया के लिए एक कनेक्टिविटी हब के रूप में विकसित करने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है."

बैठक की अध्यक्षता करने वाले रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई वर्शिनी ने कहा कि SCO , सीआईएस और सीएसटीओ ने "एकीकरण प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने, संघर्षों को रोकने और आतंकवाद का मुकाबला करने सहित महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त किए हैं". उन्होंने कहा, "SCO की प्राथमिकता आतंकवाद, अलगाववाद, उग्रवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खतरों का मुकाबला करना है, विशेष रूप से अफगानिस्तान से पैदा होने वाले." चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कांग ने आतंकवाद के खतरों पर भी बात की. उन्होंने कहा, "आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए बड़े खतरे हैं." उन्होंने कहा कि चीन चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र एससीओ के साथ मिलकर "बातचीत और आपसी समझ को मजबूत करे."

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संयुक्त राष्ट्र : शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के महत्व की प्रशंसा करते हुए भारत ने पाकिस्तान और चीन की भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया और कहा है कि दोनों देश इसे कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं. भारत के संयुक्त राष्ट्र मिशन के प्रभारी आर रवींद्र ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में एक संबोधन में क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया और बिना किसी देश का नाम लिए आतंकवाद को पाकिस्तान से जोड़ा.

उन्होंने कहा, "कुछ देश आतंकवाद को स्टेट पॉलिसी के रूप में उपयोग कर रहे हैं, इस तरह के दृष्टिकोण से SCO सहित बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग प्रभावित होने की संभावना है." उन्होंने कहा, "भारत ने कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान की लगातार वकालत की है." रवींद्र का इशारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में चीनी परियोजनाओं को लेकर था. वह रूस द्वारा बुलाई गई सुरक्षा परिषद की बैठक में बोल रहे थे.

India points to role of Pakistan and China in weakening the SCO
आर रवींद्र (IANS)

रवींद्र ने कहा, "भारत SCO के भीतर विश्वास को मजबूत करने के साथ-साथ समानता, सम्मान और आपसी समझ के आधार पर भागीदारों के साथ संबंधों को मजबूत करने को उच्च प्राथमिकता देता है." उन्होंने कहा, "एससीओ में भारत की प्राथमिकताएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'सिक्योर' SCO के दृष्टिकोण को लेकर है. उन्होंने बताया कि 'सिक्योर' का मतलब सिक्योरिटी, इकनोमिक कोऑपरेशन, कनेक्टिविटी, यूनिटी, रेस्पेक्ट फॉर सावरेंटी और टेरिटोरियल इंटीग्रिटी और एनवायर्नमेंटल प्रोटेक्शन है."

उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और आतंकवादियों और उसके समूहों पर प्रतिबंधों को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "कजाकिस्तान के अस्ताना में 4 जुलाई को हुए SCO शिखर सम्मेलन ने अपने घोषणापत्र में कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को उन देशों को अलग-थलग करना चाहिए और उन्हें बेनकाब करना चाहिए जो आतंकवादियों को पनाह देते हैं और आतंकवाद का समर्थन करते हैं."

हालांकि, अमेरिकी स्थायी प्रतिनिधि लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने एससीओ के आतंकवाद विरोधी प्रयासों पर सवाल उठाया. उन्होंने एससीओ देशों पर "आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से लड़ने की आड़ में" जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "एससीओ सदस्य देशों ने क्षेत्रीय राजनीतिक स्वायत्तता के महत्व के बारे में बताने को लेकर लोगों पर मुकदमा चलाया है. अन्य SCO सदस्य देशों में दमन से भाग रहे शरणार्थियों को जबरन वापस भेजा है."

थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा कि "मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध को उचित ठहराने के प्रयास में क्षेत्रीय संगठन कुछ गलत धारणाओं को बढ़ावा दे रहे हैं". SCO दस देशों का एक अंतरराष्ट्रीय समूह है, जिसमें भारत औपचारिक रूप से 2015 में शामिल हुआ था. इसके अन्य सदस्य देश रूस, चीन, पाकिस्तान और ईरान, चार सेंट्रल एशियाई देश, उज्बेकिस्तान, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान और ताजिकिस्तान और रूस का यूरोपीय सहयोगी बेलारूस है जो हाल ही में इस संगठन में शामिल हुआ है.

रवींद्र ने कहा, "भारत सेंट्रल एशिया के लोगों के साथ गहरे संबंध साझा करता है." उन्होंने कहा कि भारत ने इन देशों में विकास परियोजनाओं के लिए 1 बिलियन डॉलर की ऋण सहायता की पेशकश की है. भारत-सेंट्रल एशिया वार्ता मंच भारत और सेंट्रल एशियाई देशों के बीच सहयोग को मजबूत करने के लिए काम करता है. उन्होंने आगे कहा कि ईरान में चाबहार बंदरगाह को विकसित करने के लिए भारत का अनुबंध "अफगानिस्तान और सेंट्रल एशिया के लिए एक कनेक्टिविटी हब के रूप में विकसित करने की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है."

बैठक की अध्यक्षता करने वाले रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई वर्शिनी ने कहा कि SCO , सीआईएस और सीएसटीओ ने "एकीकरण प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने, संघर्षों को रोकने और आतंकवाद का मुकाबला करने सहित महत्वपूर्ण परिणाम प्राप्त किए हैं". उन्होंने कहा, "SCO की प्राथमिकता आतंकवाद, अलगाववाद, उग्रवाद, मादक पदार्थों की तस्करी और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खतरों का मुकाबला करना है, विशेष रूप से अफगानिस्तान से पैदा होने वाले." चीन के स्थायी प्रतिनिधि फू कांग ने आतंकवाद के खतरों पर भी बात की. उन्होंने कहा, "आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद वैश्विक सुरक्षा के लिए बड़े खतरे हैं." उन्होंने कहा कि चीन चाहता है कि संयुक्त राष्ट्र एससीओ के साथ मिलकर "बातचीत और आपसी समझ को मजबूत करे."

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