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आटे-दाल का भाव जानने के बाद मालदीव बोला- भारत बिना कुछ नहीं - India Maldives Relation Update

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 11, 2024, 12:51 PM IST

India Maldives Relation Update : भारत के खिलाफ बयानबाजी करने के बाद मालदीव के राष्ट्रपति अब खामोश हैं. उन्हें आटे-दाल का भाव पता चल गया है. ऐसा लगता है कि उन्हें अहसास हो चुका है कि बिना भारत के मालदीव आगे नहीं बढ़ सकता है. अगले सप्ताह मालदीव के संसदीय चुनाव पर सबकी नजर रहेगी, जो यह तय करेगी कि राष्ट्रपति मुइज्जू की घरेलू स्थिति कैसी है.

India Maldives Relation Update
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली: भारत और मालदीव तनाव के बाद अपने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. पिछले साल राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के पदभार संभालने के बाद से मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने से राजनयिक संबंध जटिल हो गए हैं. आइये जानते हैं हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में क्या बदलाव हुए हैं.

हाल के सप्ताहों में ऐसे संकेत मिले हैं कि द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हो रहा है. राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत से ऋण राहत प्रदान करने पर विचार करने को कहा. पिछले हफ्ते, मालदीव में भारत के उच्चायोग ने घोषणा की थी कि कुछ वस्तुओं पर निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद, भारत देश में आवश्यक वस्तुओं का निर्यात करेगा.

तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद मालदीव सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए आवश्यक वस्तुओं की कुछ मात्रा के निर्यात की अनुमति दे दी है, जिसमें इनमें से प्रत्येक के लिए कोटा निर्धारित किया गया है. माले में भारतीय उच्चायोग ने शुक्रवार को कहा कि वस्तुओं को ऊपर की ओर संशोधित किया गया है.

1981 में इस व्यवस्था के लागू होने के बाद से स्वीकृत मात्रा सबसे अधिक है. मालदीव में तेजी से बढ़ते निर्माण उद्योग के लिए महत्वपूर्ण वस्तुओं, नदी रेत और पत्थर का कोटा 25% बढ़ाकर 1,000,000 मीट्रिक टन कर दिया गया है. भारतीय उच्चायोग ने कहा कि अंडे, आलू, प्याज, चीनी, चावल, गेहूं का आटा और दाल के कोटा में भी 5% की वृद्धि हुई है. मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने सार्वजनिक रूप से इस कदम के लिए भारत को धन्यवाद दिया. दोनों देश भारतीय सैनिकों की जगह तकनीकी कर्मियों को तैनात करने के फॉर्मूले पर सहमत हो गए हैं.

आगे की राह : यह तुरंत स्पष्ट नहीं है कि रिश्ता कैसे विकसित होगा. विशेषज्ञों का तर्क है कि भारत को पड़ोसियों से पहले भी परेशानी रही है. हालांकि, भारत, जो कि क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, के साथ सहयोग का रणनीतिक तर्क यह सुनिश्चित करता है कि दुश्मनी लंबे समय तक चलने वाली नहीं है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि अगले सप्ताह होने वाले मालदीव के संसदीय चुनाव देखने लायक होंगे. नतीजे मुइज्जू की घरेलू स्थिति को मजबूत कर सकते हैं, जिससे यह प्रभावित हो सकता है कि उन्हें भारत की आलोचना करने और अपने पक्ष में राष्ट्रवादी भावना बढ़ाने की जरूरत है या नहीं.

चीन की प्रतिक्रिया: मुइज्जू की बीजिंग यात्रा ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को आगे बढ़ने की अनुमति दी. मुइज्जू ने कहा था कि वह भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सहयोग समझौते को नवीनीकृत नहीं करेंगे, इससे कुछ हफ्ते पहले ही दोनों देशों ने एक रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए थे. एक चीनी अनुसंधान जहाज, जिसे कई लोगों ने 'जासूस जहाज' कहा है, ने मालदीव के जल क्षेत्र में समय बिताया. जिसको लेकर भारत ने चिंता जतायी.

इस बात पर बिगड़ी थी बात: नवंबर में, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कट्टर भारत समर्थक इब्राहिम सोलिह से पदभार संभाला. अपने अभियान में, मुइज्जू ने भारत की सैन्य उपस्थिति (लगभग 80 कर्मियों) को देश की संप्रभुता के अपमान के रूप में चित्रित किया. उन्हें हटाने के लिए अभियान चलाया. इस वर्ष, वह चीन की यात्रा पर गये जहां उन्होंने बीजिंग के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये. जनवरी में, एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब तीन मंत्रियों ने सोशल मीडिया पोस्ट किए जिन्हें भारत और पीएम नरेंद्र मोदी के अपमान के रूप में देखा गया. परिणामस्वरूप नई दिल्ली ने मालदीव के उच्चायुक्त को तलब किया और तीन राजनेताओं को निलंबित कर दिया गया.

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नई दिल्ली: भारत और मालदीव तनाव के बाद अपने द्विपक्षीय संबंधों को स्थिर करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. पिछले साल राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के पदभार संभालने के बाद से मालदीव से भारतीय सैनिकों को हटाने से राजनयिक संबंध जटिल हो गए हैं. आइये जानते हैं हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों में क्या बदलाव हुए हैं.

हाल के सप्ताहों में ऐसे संकेत मिले हैं कि द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हो रहा है. राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारत से ऋण राहत प्रदान करने पर विचार करने को कहा. पिछले हफ्ते, मालदीव में भारत के उच्चायोग ने घोषणा की थी कि कुछ वस्तुओं पर निर्यात पर प्रतिबंध के बावजूद, भारत देश में आवश्यक वस्तुओं का निर्यात करेगा.

तनावपूर्ण संबंधों के बावजूद मालदीव सरकार के अनुरोध पर भारत सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिए आवश्यक वस्तुओं की कुछ मात्रा के निर्यात की अनुमति दे दी है, जिसमें इनमें से प्रत्येक के लिए कोटा निर्धारित किया गया है. माले में भारतीय उच्चायोग ने शुक्रवार को कहा कि वस्तुओं को ऊपर की ओर संशोधित किया गया है.

1981 में इस व्यवस्था के लागू होने के बाद से स्वीकृत मात्रा सबसे अधिक है. मालदीव में तेजी से बढ़ते निर्माण उद्योग के लिए महत्वपूर्ण वस्तुओं, नदी रेत और पत्थर का कोटा 25% बढ़ाकर 1,000,000 मीट्रिक टन कर दिया गया है. भारतीय उच्चायोग ने कहा कि अंडे, आलू, प्याज, चीनी, चावल, गेहूं का आटा और दाल के कोटा में भी 5% की वृद्धि हुई है. मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने सार्वजनिक रूप से इस कदम के लिए भारत को धन्यवाद दिया. दोनों देश भारतीय सैनिकों की जगह तकनीकी कर्मियों को तैनात करने के फॉर्मूले पर सहमत हो गए हैं.

आगे की राह : यह तुरंत स्पष्ट नहीं है कि रिश्ता कैसे विकसित होगा. विशेषज्ञों का तर्क है कि भारत को पड़ोसियों से पहले भी परेशानी रही है. हालांकि, भारत, जो कि क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, के साथ सहयोग का रणनीतिक तर्क यह सुनिश्चित करता है कि दुश्मनी लंबे समय तक चलने वाली नहीं है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि अगले सप्ताह होने वाले मालदीव के संसदीय चुनाव देखने लायक होंगे. नतीजे मुइज्जू की घरेलू स्थिति को मजबूत कर सकते हैं, जिससे यह प्रभावित हो सकता है कि उन्हें भारत की आलोचना करने और अपने पक्ष में राष्ट्रवादी भावना बढ़ाने की जरूरत है या नहीं.

चीन की प्रतिक्रिया: मुइज्जू की बीजिंग यात्रा ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को आगे बढ़ने की अनुमति दी. मुइज्जू ने कहा था कि वह भारत के साथ हाइड्रोग्राफिक सहयोग समझौते को नवीनीकृत नहीं करेंगे, इससे कुछ हफ्ते पहले ही दोनों देशों ने एक रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए थे. एक चीनी अनुसंधान जहाज, जिसे कई लोगों ने 'जासूस जहाज' कहा है, ने मालदीव के जल क्षेत्र में समय बिताया. जिसको लेकर भारत ने चिंता जतायी.

इस बात पर बिगड़ी थी बात: नवंबर में, राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने कट्टर भारत समर्थक इब्राहिम सोलिह से पदभार संभाला. अपने अभियान में, मुइज्जू ने भारत की सैन्य उपस्थिति (लगभग 80 कर्मियों) को देश की संप्रभुता के अपमान के रूप में चित्रित किया. उन्हें हटाने के लिए अभियान चलाया. इस वर्ष, वह चीन की यात्रा पर गये जहां उन्होंने बीजिंग के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर किये. जनवरी में, एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया जब तीन मंत्रियों ने सोशल मीडिया पोस्ट किए जिन्हें भारत और पीएम नरेंद्र मोदी के अपमान के रूप में देखा गया. परिणामस्वरूप नई दिल्ली ने मालदीव के उच्चायुक्त को तलब किया और तीन राजनेताओं को निलंबित कर दिया गया.

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