हैदराबाद: पाकिस्तान की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल देखने को मिल रही है. देश की मौजूदा शहबाज शरीफ सरकार पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रही है. गौरतलब है कि इमरान खान पहले ही जेल में बंद हैं और अब उनकी पार्टी पर राज्य विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में प्रतिबंध लगाने की तैयारी चल रही है. लेकिन ऐसा नहीं है कि पाकिस्तान में पहली बार किसी राजनीतिक पार्टी पर प्रतिबंध लग रहा हो. इससे पहले भी कई पार्टियों पर प्रतिबंध लग चुका है.
1954 में पाकिस्तान की कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रतिबंध: पाकिस्तान की पहली कम्युनिस्ट पार्टी वास्तव में भारत के कोलकाता में बनी थी और फिर सीमा के इस तरफ स्थानांतरित हो गई. जुलाई 1954 में, लियाकत अली खान की सरकार को उखाड़ फेंकने के प्रयास के आरोप में पार्टी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.
ऐसा कहा गया कि सीपीपी ने मेजर जनरल अकबर खान द्वारा सैन्य तख्तापलट की महत्वाकांक्षी योजना में अनजाने में शामिल होकर पाकिस्तान में क्रांतिकारी प्रक्रिया को तेज करने की कोशिश की. मेजर जनरल अकबर खान, उनकी पत्नी, कवि फैज अहमद फैज, कई सैन्य अधिकारी और कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं सज्जाद जहीर को हिरासत में लिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया.
1971 में आवामी लीग पर प्रतिबंध: साल 1970 के चुनावों के दौरान, आवामी लीग ने दो को छोड़कर पूर्वी बंगाल की सभी सीटों पर कब्ज़ा कर लिया. लेकिन मुजीब और भुट्टो के बीच बातचीत ठप हो जाने के कारण निर्वाचित विधानसभा की बैठक नहीं हो सकी. इसके बाद मार्च 1971 में, आवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
इसके 160 निर्वाचित सदस्यों में से 76 को देशद्रोही होने के कारण अयोग्य घोषित कर दिया गया. राष्ट्र के नाम एक प्रसारण में, राष्ट्रपति याह्या खान ने कहा कि 'जहां तकआवामी लीग का सवाल है, यह एक राजनीतिक पार्टी के रूप में पूरी तरह से प्रतिबंधित है.' इसके घोषणा के बाद कई विरोध प्रदर्शन और सैन्य कार्रवाई हुईं.
1971 और 1975 में नेशनल अवामी पार्टी: वली खान के नेतृत्व वाले नेशनल अवामी पार्टी (NAP) गुट पर आठ साल में दो बार प्रतिबंध लगाया गया, पहली बार 1971 में याह्या खान की सरकार के दौरान और दूसरी बार 1975 में जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार के दौरान. 1967 में मौलाना भशानी और अब्दुल वली खान के बीच मूल NAP में विभाजन के बाद नेशनल अवामी पार्टी का गठन किया गया था.
बांग्लादेश (पूर्व पूर्वी पाकिस्तान) की स्वतंत्रता के बाद वली खान गुट का नाम बाद में नेशनल अवामी पार्टी रखा गया. इसके बाद इसे नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी के नाम से फिर से सामने लाया गया, जिससे इसका नाम बदलकर अवामी नेशनल पार्टी कर दिया गया.
2020 में जय सिंध कौमी महाज-अरिसर: मई 2020 में, आंतरिक मंत्रालय ने सिंध में स्थित एक पार्टी जय सिंध कौमी महाज-अरिसर (JSQM-A) को दो कथित उग्रवादी समूहों - सिंधुदेश लिबरेशन आर्मी और सिंधुदेश रिवोल्यूशनरी आर्मी के साथ गैरकानूनी घोषित कर दिया था. इस प्रतिबंध यह कहते हुए लगाया गया कि ये संगठन आतंकवाद में शामिल थे. JSQM-A चीन की बेल्ट एंड रोड पहल की आलोचना करने के लिए प्रसिद्ध था.
2021 के तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान: 15 अप्रैल, 2021 को पंजाब सरकार ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद टीएलपी पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसके परिणामस्वरूप कई पुलिसकर्मियों की मौत हो गई. प्रांतीय सरकार ने प्रतिबंध का अनुरोध किया, जिसे संघीय कैबिनेट ने आतंकवाद विरोधी अधिनियम 1997 के तहत लागू करते हुए मंजूरी दे दी.