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कनाडा : स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़, PM Modi के खिलाफ भी नारे लिखे गए - Canada Temple vandalised

Canada Temple vandalised : कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हाल ही में हुए हमलों की श्रृंखला में एक और हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया. लिबरल पार्टी के नेता सांसद चंद्र आर्य ने बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में की गई तोड़फोड़ पर चिंता जताई.

Another Hindu temple in Alberta capital Edmonton Canada
स्वामीनारायण मंदिर (IANS)
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By IANS

Published : Jul 23, 2024, 11:57 AM IST

नई दिल्ली : कनाडा में अल्बर्ट राज्य की राजधानी एडमोंटन में एक हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया. मंदिर में तोड़फोड़ की गई और भारत विरोधी नारे भी लिखे गए. यह घटना कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हाल ही में हुए हमलों की श्रृंखला में शामिल हो गई है. कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में की गई तोड़फोड़ पर चिंता जताई. उन्होंने एक्स प्लेटफॉर्म पर अपने पोस्ट में लिखा, ''पिछले कुछ सालों के दौरान ग्रेटर टोरंटो एरिया, ब्रिटिश कोलंबिया और कनाडा के अन्य स्थानों पर हिंदू मंदिरों में भारत विरोधी नारे के साथ तोड़फोड़ की जा रही है.''

लिबरल पार्टी के नेता आर्य ने इसके पीछे खालिस्तानी चरमपंथियों का हाथ होने की ओर इशारा करते हुए कहा कि पिछले साल सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने सार्वजनिक रूप से हिंदुओं से भारत वापस जाने का आह्वान किया था. पन्नू ने भारत को आतंकवादी घोषित कर रखा है. खालिस्तान समर्थकों ने ब्रैम्पटन और वैंकूवर में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का सार्वजनिक रूप से जश्न मनाया और घातक हथियारों की तस्वीरें लहराईं.

सांसद आर्य ने आगे कहा, ''जैसा कि मैं हमेशा से कहता रहा हूं, खालिस्तानी चरमपंथी नफरत और हिंसा की अपनी सार्वजनिक बयानबाजी से आसानी से बच निकलते हैं. मैं इसे फिर से दोहराना चाहता हूं. कनाडा में रहने वाले हिंदू सच में परेशान हैं.'' उन्होंने आगे कहा ''मैं फिर से कनाडा की कानून प्रवर्तन एजेंसियों से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने का आह्वान करता हूं. इससे पहले कि ये बयानबाजी हिंदू कनाडाई लोगों के खिलाफ हमलों में तब्दील हो जाए.''

बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर की दीवारों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी नारे लिखे गए. पिछले साल नवंबर में कनाडा-इंडिया फाउंडेशन नामक एक संस्था ने देश के राजनेताओं से अपनी चुप्पी तोड़ने और कट्टरपंथियों पर लगाम लगाने को कहा था, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए.

हालांकि, कनाडाई राजनेताओं और मीडिया ने इस मामले को नजरअंदाज तक दिया. जिसके बाद उन्होंने एक ओपन लेटर भेजा और लिखा, "हम इस बात से और भी निराश हैं कि हमारे राजनीतिक नेताओं ने इस गंभीर मुद्दे पर पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है. आतंकवाद और खतरों से निपटने के लिए यह दृष्टिकोण असुरक्षा का माहौल पैदा करेगा."

ये भी पढ़ें-

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नई दिल्ली : कनाडा में अल्बर्ट राज्य की राजधानी एडमोंटन में एक हिंदू मंदिर को निशाना बनाया गया. मंदिर में तोड़फोड़ की गई और भारत विरोधी नारे भी लिखे गए. यह घटना कनाडा में हिंदू मंदिरों पर हाल ही में हुए हमलों की श्रृंखला में शामिल हो गई है. कनाडा के सांसद चंद्र आर्य ने बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में की गई तोड़फोड़ पर चिंता जताई. उन्होंने एक्स प्लेटफॉर्म पर अपने पोस्ट में लिखा, ''पिछले कुछ सालों के दौरान ग्रेटर टोरंटो एरिया, ब्रिटिश कोलंबिया और कनाडा के अन्य स्थानों पर हिंदू मंदिरों में भारत विरोधी नारे के साथ तोड़फोड़ की जा रही है.''

लिबरल पार्टी के नेता आर्य ने इसके पीछे खालिस्तानी चरमपंथियों का हाथ होने की ओर इशारा करते हुए कहा कि पिछले साल सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने सार्वजनिक रूप से हिंदुओं से भारत वापस जाने का आह्वान किया था. पन्नू ने भारत को आतंकवादी घोषित कर रखा है. खालिस्तान समर्थकों ने ब्रैम्पटन और वैंकूवर में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का सार्वजनिक रूप से जश्न मनाया और घातक हथियारों की तस्वीरें लहराईं.

सांसद आर्य ने आगे कहा, ''जैसा कि मैं हमेशा से कहता रहा हूं, खालिस्तानी चरमपंथी नफरत और हिंसा की अपनी सार्वजनिक बयानबाजी से आसानी से बच निकलते हैं. मैं इसे फिर से दोहराना चाहता हूं. कनाडा में रहने वाले हिंदू सच में परेशान हैं.'' उन्होंने आगे कहा ''मैं फिर से कनाडा की कानून प्रवर्तन एजेंसियों से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने का आह्वान करता हूं. इससे पहले कि ये बयानबाजी हिंदू कनाडाई लोगों के खिलाफ हमलों में तब्दील हो जाए.''

बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर की दीवारों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी नारे लिखे गए. पिछले साल नवंबर में कनाडा-इंडिया फाउंडेशन नामक एक संस्था ने देश के राजनेताओं से अपनी चुप्पी तोड़ने और कट्टरपंथियों पर लगाम लगाने को कहा था, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए.

हालांकि, कनाडाई राजनेताओं और मीडिया ने इस मामले को नजरअंदाज तक दिया. जिसके बाद उन्होंने एक ओपन लेटर भेजा और लिखा, "हम इस बात से और भी निराश हैं कि हमारे राजनीतिक नेताओं ने इस गंभीर मुद्दे पर पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है. आतंकवाद और खतरों से निपटने के लिए यह दृष्टिकोण असुरक्षा का माहौल पैदा करेगा."

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