तेल अवीव : हमास ने इजराइल के साथ बंधक समझौते के लिए प्रस्तावित ढांचे को खारिज कर दिया है. हमास की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वह तब तक किसी समझौते को स्वीकार नहीं करेगा जबतक गाजा से सभी इजरायली सैनिकों की वापसी समझौते का हिस्सा नहीं होंगे. इजराइली सरकार की ओर से यह जानकारी दी हई है.
जानकारी के मुताबिक, हमास की अस्वीकृति तब सामने आयी है जब इजरायल ने कथित तौर पर पेरिस में बातचीत के दौरान योजना पर सहमति व्यक्त की, जिसका उद्देश्य आतंकवादी समूह की ओर से बंधक बनाए गए बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करना था.
हमास ने पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलिस्तीन के साथ मिलकर एक संयुक्त बयान जारी कर जोर देकर कहा कि किसी भी समझौते में चल रहे संघर्ष को समाप्त करना और गाजा से इजरायली सैनिकों की पूर्ण वापसी शामिल होनी चाहिए. द टाइम्स ऑफ इजराइल की रिपोर्ट के अनुसार, हमास ने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी विनिमय सौदे पर विचार करने से पहले इजराइल को अपनी 'आक्रामकता' बंद करनी होगी. हमास के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गाजा में 'पूर्ण और व्यापक युद्धविराम' के लिए जरूरी शर्तें रखीं.
अमेरिका, कतरी और मिस्र के अधिकारियों के साथ मोसाद और शिन बेट खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों की एक बैठक के दौरान तैयार किया गया प्रस्तावित समझौते के तहत एक चरणबद्ध प्रक्रिया की रूपरेखा तैयार की गई थी. इस समझौते में महिलाओं, बच्चों, बुजुर्गों और बीमारों जैसे कमजोर समूहों से लेकर सभी इजरायली बंधकों की रिहाई शामिल थी.
बंधकों की रिहाई की प्रक्रिया के दौरान हमास के खिलाफ इजरायल के हमले में 'चरणबद्ध विराम' लगाने की बात कही गई थी. समझौते के अनुसार, इजराइल गाजा में अधिक सहायता की भी अनुमति देगा और बहुत बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा करेगा.
टाइम्स ऑफ इजराइल ने चैनल 12 समाचार का हवाला देते हुए बताया कि यह पेशकश पहले चरण में 35-40 बंधकों के बदले लड़ाई में 45 दिनों के ठहराव पर केंद्रित है. प्रत्येक बंधक के लिए लगभग 100-250 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया जाएगा. इसके बाद संघर्ष विराम के विस्तार के बदले में और रिहाई की जाएगी और प्रत्येक बंधक के लिए फिलिस्तीनी सुरक्षा कैदियों की रिहाई का एक बड़ा अनुपात होगा. कथित तौर पर यह रूपरेखा स्थायी युद्धविराम स्थापित नहीं करती लेकिन संभावना को खुला छोड़ देती है. समझौते में गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने और बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई के प्रावधान भी शामिल हैं.
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