नई दिल्ली: शुक्रवार रात मॉस्को के एक कॉन्सर्ट हॉल में हुए घातक आतंकी हमले में 143 लोग मारे गए, इस्लामिक स्टेट-खुरासान (ISIS-K) संगठन ने जिम्मेदारी ली है. इस्लामिक स्टेट आतंकवादी ग्रुप ने अपने संबद्ध सोशल मीडिया चैनलों पर जारी एक बयान के माध्यम से हमले की जिम्मेदारी ली है, हालांकि न तो रूसी सरकार और न ही उसकी सुरक्षा एजेंसियों ने आधिकारिक तौर पर उसे इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है.
इस्लामिक स्टेट की आमाग समाचार एजेंसी (Aamaq news agency) द्वारा प्रकाशित एक बयान में अफगानिस्तान में समूह के सहयोगी ने दावा किया कि उन्होंने क्रास्नोगोर्स्क में 'ईसाइयों' की एक बड़ी सभा को निशाना बनाकर हमला किया. हालांकि इस दावे की प्रामाणिकता की तुरंत पुष्टि नहीं की जा सकी है. बहरहाल, एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी ने एसोसिएटेड प्रेस समाचार एजेंसी को सूचित किया कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने पुष्टि की है कि हमले को अंजाम देने के लिए इस्लामिक स्टेट वास्तव में जिम्मेदार था.
तो, वास्तव में आईएसआईएस-खुरासान क्या है? यह पहली बार कब सामने आया? : आईएसआईएस-खुरासान, जिसे आईएसआईएस-के या इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) के नाम से भी जाना जाता है. ये इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह का एक क्षेत्रीय सहयोगी है जो मुख्य रूप से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय है.
आईएसआईएस नेता अबू बक्र अल-बगदादी के प्रति निष्ठा की प्रतिज्ञा के बाद 2014 के अंत में आईएसआईएस-खुरासान का उदय हुआ. यह पाकिस्तानी तालिबान के पूर्व सदस्यों, अफगान तालिबान लड़ाकों और क्षेत्र के अन्य आतंकवादियों से मिलकर बना है. यह समूह इस्लामिक स्टेट के समान विचारधारा वाला है, जिसका लक्ष्य खुरासान क्षेत्र में शरिया कानून द्वारा शासित इस्लामी खिलाफत स्थापित करना है. खुरासान एक मध्ययुगीन इस्लामी साम्राज्य था जो वर्तमान ईरान, अफगानिस्तान और ब्रिटिश भारत के उत्तर-पश्चिमी सीमांत प्रांत के क्षेत्रों को कवर करता है.
खुरासान कहे जाने वाले क्षेत्र की सीमा, समय के साथ बदलती रही. अपने सख्त ऐतिहासिक अर्थ में इसमें उत्तरपूर्वी ईरान के वर्तमान क्षेत्र, अफगानिस्तान के कुछ हिस्से और मध्य एशिया के दक्षिणी हिस्से शामिल थे, जो अमु दरिया (ऑक्सस) नदी तक फैले हुए थे. हालांकि, नाम का उपयोग अक्सर एक व्यापक क्षेत्र को शामिल करने के लिए हल्के अर्थ में किया गया है जिसमें अधिकांश ट्रान्सोक्सियाना (वर्तमान उज़्बेकिस्तान में बुखारा और समरकंद शामिल हैं), पश्चिम की ओर कैस्पियन तट तक और दश्त-ए कावीर के दक्षिण में सिस्तान तक और पूर्व की ओर पामीर पर्वत तक फैला हुआ है.
आईएसआईएस-खुरासान की शुरुआत सीरियाई गृहयुद्ध में अल कायदा-गठबंधन समूहों से अफगान और पाकिस्तानी आतंकवादियों को भेजने के साथ हुई, जो खुरासान क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट की एक शाखा के लिए लड़ाकों की भर्ती के निर्देश और धन के साथ क्षेत्र में लौट आए. उन्होंने तालिबान के पूर्व असंतुष्ट लड़ाकों और असंतुष्टों को भर्ती किया. समूह की शक्ति का पारंपरिक आधार पाकिस्तान की सीमा के साथ पूर्वी अफगानिस्तान में शुरू हुआ और बना हुआ है.
आईएसआईएस-खुरासान का पहला अमीर (नेता) हाफिज सईद खान था, जो पूर्व पाकिस्तानी तालिबान कमांडर था, वह 2016 में मारा गया था. वर्तमान नेता अज्ञात है, क्योंकि समूह ने कई नेतृत्व पतन के बाद सार्वजनिक रूप से उत्तराधकारी की घोषणा नहीं की है. आईएसआईएस-खुरासान अफगानिस्तान और पाकिस्तान में अलग-अलग क्षेत्रीय शाखाओं या 'प्रांतों' में संगठित है, जिनमें से प्रत्येक की अपनी कमांड संरचना और परिचालन क्षमताएं हैं.
किन इलाकों में सक्रिय है ISIS-K? : समूह के संचालन के प्राथमिक क्षेत्र अफगानिस्तान के पूर्वी और उत्तरी प्रांतों में हैं, जैसे नंगरहार, कुनार, नूरिस्तान और जौज़जान. यह पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों में भी उपस्थिति बनाए है, विशेष रूप से अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा के साथ आदिवासी क्षेत्रों में इसकी मौजूदगी है. आईएसआईएस-के को हाई-प्रोफाइल आत्मघाती बम विस्फोट, टारगेट किलिंग और नागरिकों-सेना पर हमले के लिए जाना जाता है.
आईएसआईएस-के ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में नागरिकों के खिलाफ कई हाई-प्रोफाइल हमले किए हैं. इसके हमलों में काबुल में अगस्त 2021 में एक आत्मघाती बम विस्फोट शामिल है, जिसमें देश से अमेरिका की वापसी के दौरान 13 अमेरिकी सैन्य कर्मियों और कम से कम 169 अफगानों की मौत हुई थी. पाकिस्तान में जुलाई 2018 में चुनावी रैलियों के दौरान दोहरे आत्मघाती बम विस्फोट में कम से कम 131 लोग मारे गए थे. इसी तरह जुलाई 2016 में दोहरे बम विस्फोटों में काबुल शहर में 97 हजारा प्रदर्शनकारियों (Hazara protestors) की मौत हुई थी. जुलाई 2023 में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-एफ (जेयूआई-एफ) की रैली के दौरान पाकिस्तान के खार में एक आत्मघाती बम विस्फोट हुआ, जिसमें 63 लोग मारे गए.
जबकि आईएसआईएस-के के अधिकांश हमले पूर्वी अफगानिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान में होते हैं. समूह ने अफगानिस्तान के उत्तरी पड़ोसियों, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान में रॉकेट दागने का दावा किया है. जनवरी 2024 की शुरुआत में दो आईएसआईएस-के हमलावरों ने ईरान के करमान में कुद्स फोर्स के नेता कासिम सुलेमानी की अमेरिकी हत्या पर शोक व्यक्त करने वाले एक कार्यक्रम के दौरान दोहरे आत्मघाती बम विस्फोट किए. इस हमले में 94 लोग मारे गए. अफगानिस्तान-पाकिस्तान क्षेत्र की सीमाओं से परे आईएसआईएस-के का ये पहला हमला था.
आज, आईएसआईएस-के अफगानिस्तान में तालिबान शासन के साथ एक लंबे, कम तीव्रता वाले संघर्ष में लगा हुआ है. हालांकि तालिबान और आईएसआईएस-के ने सक्रिय रूप से अमेरिका के खिलाफ लड़ाई लड़ी, अमेरिका की वापसी के बाद से आईएसआईएस-के ने अपनी काल्पनिक इस्लामी खिलाफत स्थापित करने के लिए तालिबान शासन को बदनाम करने, अस्थिर करने और उखाड़ फेंकने पर जोर लगा दिया. दूसरी ओर, तालिबान हिंसक छापों के माध्यम से आईएसआईएस-के आतंकवादियों को निशाना बनाने, विदेशी राजनयिकों और निवेशकों को आईएसआईएस-के हमलों से बचाने और विदेशी मान्यता और निवेश को आकर्षित करने के लिए सार्वजनिक रूप से इस्लामिक स्टेट की उपस्थिति को कम करने का प्रयास करता है.
ISIS-K ने मॉस्को में कॉन्सर्ट हॉल को निशाना क्यों बनाया? : यह पहली बार नहीं है कि आईएसआईएस-के ने रूस को अपने हमलों का निशाना बनाया है. सितंबर 2022 में आतंकी संगठन ने काबुल में रूसी दूतावास के प्रवेश द्वार के पास एक हाई-प्रोफाइल आत्मघाती बम विस्फोट किया था, जिसमें दूतावास के दो कर्मचारियों सहित कम से कम छह लोग मारे गए थे. रूसी विदेश मंत्रालय ने स्वीकार किया कि शीर्ष रूसी राजनयिक मिखाइल शेख और सुरक्षा विशेषज्ञ कुज़ुगेट अदिग्ज़ी आत्मघाती हमले में मारे गए.
गौरतलब है कि क्रोकस सिटी हॉल में शुक्रवार रात का हमला व्लादिमीर पुतिन के फिर रूस का राष्ट्रपति चुने जाने के कुछ दिनों बाद हुआ. इस्लामिक स्टेट की पुतिन से लंबे समय से दुश्मनी चल रही है. पुतिन के प्रति इस्लामिक स्टेट के विरोध का एक प्रमुख कारण सीरिया में रूस का सैन्य हस्तक्षेप है.
इस्लामिक स्टेट और अन्य विद्रोही समूहों के खिलाफ हवाई हमले सहित बशर अल-असद की सीरियाई सरकार को समर्थन प्रदान करने के पुतिन के फैसले ने सीरिया में संगठन की क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को सीधे चुनौती दी. रूस की सैन्य भागीदारी ने क्षेत्र पर इस्लामिक स्टेट के नियंत्रण को काफी कमजोर कर दिया और इसके विस्तार की क्षमता में बाधा डाली.
पुतिन को इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मन के रूप में चित्रित करना इस्लामिक स्टेट के प्रचार उद्देश्यों को पूरा करता है. सीरिया और अन्य क्षेत्रों में संघर्ष को इस्लाम और पुतिन और रूस सहित इसके कथित दुश्मनों के बीच संघर्ष के रूप में बताकर, इस्लामिक स्टेट रूस के उत्तरी काकेशस और मध्य एशिया सहित मुस्लिम-बहुल क्षेत्रों से रंगरूटों और समर्थकों को आकर्षित करना चाहता है.