ETV Bharat / international

आस्ट्रेलिया में बोले जयशंकर, भारत और चीन ने सैनिकों को पीछे हटाने की दिशा में कुछ प्रगति की - EAM S JAISHANKAR

S Jaishankar, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन ने सैनिकों को पीछे हटाने की दिशा में कुछ प्रगति की है.

External Affairs Minister S Jaishankar
विदेश मंत्री एस जयशंकर (IANS)
author img

By PTI

Published : Nov 3, 2024, 10:22 PM IST

ब्रिस्बेन : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत और चीन ने सैनिकों को पीछे हटाने की दिशा में कुछ प्रगति की है. उन्होंने इसे स्वागत योग्य कदम बताया. एस जयशंकर की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध वाले दो बिंदुओं-डेमचोक और देपसांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने के कुछ दिनों के बाद आई है.

बता दें कि भारतीय सेना ने देपसांग में सत्यापन गश्त शनिवार को शुरू कर दी, जबकि डेमचोक में गश्त शुक्रवार से शुरू हो गई थी. जयशंकर ने ब्रिस्बेन में प्रवासी भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बातचीत में कहा कि भारत और चीन के संदर्भ में हमने कुछ प्रगति की है. उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि हमारे संबंध कुछ कारणों से बहुत ही खराब थे. लेकिन हमने (सैनिकों के) पीछे हटने की दिशा में कुछ प्रगति की है.

विदेश मंत्री ने कहा कि एलएसी के पास काफी संख्या में चीनी सैनिक तैनात हैं, जो 2020 से पहले वहां नहीं थे और बदले में हमने भी जवाबी तैनाती की. इस अवधि में संबंधों के अन्य पहलू भी प्रभावित हुए हैं. इसी वजह से हमें पीछे हटने के बाद देखना होगा कि हम किस दिशा में आगे बढ़ते हैं.

जयशंकर ने कहा कि हमें लगता है कि पीछे हटना एक स्वागत योग्य कदम है. इससे यह संभावना बनती है कि अन्य कदम भी उठाए जा सकते हैं. जयशंकर ने कहा कि पिछले महीने रूस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद उम्मीद थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और मैं दोनों अपने समकक्षों से मिलेंगे. तो चीजें इस तरह हुई हैं.

इस बारे में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को दिल्ली में कहा था कि पिछले कई हफ्तों की बातचीत के बाद भारत और चीन के बीच एक एग्रीमेंट को अंतिम रूप दिया गया है. इससे 2020 में उठे मुद्दों का समाधान निकल सकेगा.

पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा पर सैनिकों को पीछे हटाने और गश्त करने पर सहमति बनी, जो चार साल से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है. वहीं जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आई थी.

दो देशों की अपनी यात्रा के पहले चरण में आस्ट्रेलिया के शहर ब्रिस्बेन पहुंचे जयशंकर ने कहा कि इस समय दो संघर्षों पर हर किसी की नजरें टिकी हुई हैं. उन्होंने एक अन्य सवाल पर कहा, ‘‘एक यूक्रेन है और दूसरा पश्चिम एशिया में जो हो रहा है. अलग-अलग तरीकों से हम दोनों में कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं.’’ यूक्रेन-रूस संघर्ष पर जयशंकर ने कहा कि भारत कूटनीति पर फिर से जोर दे रहा है, तथा पीएम मोदी व्यक्तिगत रूप से दोनों देशों के नेताओं के साथ बैठकों में शामिल रहे हैं.

ये भी पढ़ें - भारत आज खुद को 'विश्व मित्र' के रूप में स्थापित कर रहा है: जयशंकर

ब्रिस्बेन : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि भारत और चीन ने सैनिकों को पीछे हटाने की दिशा में कुछ प्रगति की है. उन्होंने इसे स्वागत योग्य कदम बताया. एस जयशंकर की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर गतिरोध वाले दो बिंदुओं-डेमचोक और देपसांग में भारतीय और चीनी सैनिकों के पीछे हटने के कुछ दिनों के बाद आई है.

बता दें कि भारतीय सेना ने देपसांग में सत्यापन गश्त शनिवार को शुरू कर दी, जबकि डेमचोक में गश्त शुक्रवार से शुरू हो गई थी. जयशंकर ने ब्रिस्बेन में प्रवासी भारतीय समुदाय के लोगों के साथ बातचीत में कहा कि भारत और चीन के संदर्भ में हमने कुछ प्रगति की है. उन्होंने कहा कि आप जानते हैं कि हमारे संबंध कुछ कारणों से बहुत ही खराब थे. लेकिन हमने (सैनिकों के) पीछे हटने की दिशा में कुछ प्रगति की है.

विदेश मंत्री ने कहा कि एलएसी के पास काफी संख्या में चीनी सैनिक तैनात हैं, जो 2020 से पहले वहां नहीं थे और बदले में हमने भी जवाबी तैनाती की. इस अवधि में संबंधों के अन्य पहलू भी प्रभावित हुए हैं. इसी वजह से हमें पीछे हटने के बाद देखना होगा कि हम किस दिशा में आगे बढ़ते हैं.

जयशंकर ने कहा कि हमें लगता है कि पीछे हटना एक स्वागत योग्य कदम है. इससे यह संभावना बनती है कि अन्य कदम भी उठाए जा सकते हैं. जयशंकर ने कहा कि पिछले महीने रूस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद उम्मीद थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) और मैं दोनों अपने समकक्षों से मिलेंगे. तो चीजें इस तरह हुई हैं.

इस बारे में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 21 अक्टूबर को दिल्ली में कहा था कि पिछले कई हफ्तों की बातचीत के बाद भारत और चीन के बीच एक एग्रीमेंट को अंतिम रूप दिया गया है. इससे 2020 में उठे मुद्दों का समाधान निकल सकेगा.

पूर्वी लद्दाख में नियंत्रण रेखा पर सैनिकों को पीछे हटाने और गश्त करने पर सहमति बनी, जो चार साल से जारी गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है. वहीं जून 2020 में गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के संबंधों में गिरावट आई थी.

दो देशों की अपनी यात्रा के पहले चरण में आस्ट्रेलिया के शहर ब्रिस्बेन पहुंचे जयशंकर ने कहा कि इस समय दो संघर्षों पर हर किसी की नजरें टिकी हुई हैं. उन्होंने एक अन्य सवाल पर कहा, ‘‘एक यूक्रेन है और दूसरा पश्चिम एशिया में जो हो रहा है. अलग-अलग तरीकों से हम दोनों में कुछ करने का प्रयास कर रहे हैं.’’ यूक्रेन-रूस संघर्ष पर जयशंकर ने कहा कि भारत कूटनीति पर फिर से जोर दे रहा है, तथा पीएम मोदी व्यक्तिगत रूप से दोनों देशों के नेताओं के साथ बैठकों में शामिल रहे हैं.

ये भी पढ़ें - भारत आज खुद को 'विश्व मित्र' के रूप में स्थापित कर रहा है: जयशंकर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.